Home Page

रविवार, 28 सितंबर 2025

अमर शहीद भगत सिंह की जयंती पर नमन, भगत सिंह जैसे महानायक केवल इतिहास के पन्नों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हर भारतीय के अंतर्मन में राष्ट्रभक्ति का दीपक जलाने वाले आदर्श--स्वामी चिदानन्द सरस्वती

 



स्वतंत्रता केवल बाहरी बंधनों से मुक्त होना ही नहीं, बल्कि अन्याय, असमानता और अज्ञान से भी मुक्ति पाना

ऋषिकेश, 28 सितम्बर। आज का दिन भारतीय इतिहास और आध्यात्मिक साधना, दोनों ही दृष्टियों से अत्यंत पावन और प्रेरणादायी है। आज अमर शहीद भगत सिंह जी की जयंती है, जिन्होंने अपने निर्भीक साहस, अद्भुत त्याग और न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता से स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। 

भगत सिंह एक क्रांतिकारी तो थे ही साथ ही वे विचारों के योद्धा भी थे। उनकी कलम और उनकी आवाज ने जितना झकझोरा, उतना ही उनके साहसिक कदमों ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला डाला। उनका उद्घोष “इंकलाब जिंदाबाद” आज भी हमारे रगों में जोश और जागरूकता भरता है। उनकी शहादत हमें यह सिखाती है कि स्वतंत्रता केवल बाहरी बंधनों से मुक्त होना नहीं है, बल्कि अन्याय, असमानता और अज्ञान से भी मुक्ति पाना है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज नवरात्रि के छठे माँ कात्यायनी की पूजा अर्चना करते हुये कहा कि आज के दिन आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित कर अपने अन्दर विवेक और आत्मज्ञान की ज्योति को प्रज्वलित करे। माँ कात्यायनी का स्वरूप धर्म की रक्षा और अधर्म के संहार का प्रतीक है। मां के श्री चरणों में ध्यान करने से हमारे भीतर से भ्रम और मोह का अंधकार मिटता है और निर्णय शक्ति प्रखर होती है। माँ का संदेश स्पष्ट है, अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़ा होना ही सच्ची भक्ति है।

स्वामी जी ने कहा कि आज हमें दोनों प्रेरणाओं को एक सूत्र में पिरोना है। भगत सिंह का बलिदान हमें सिखाता है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और उसके लिए किसी भी प्रकार का त्याग छोटा नहीं है। माँ कात्यायनी का आशीर्वाद हमें यह शक्ति देता है कि हम अपने जीवन में सही और गलत का भेद कर सकें, साहसपूर्वक सत्य का पक्ष लें और अपने कार्यों से समाज में प्रकाश फैलाएँ।

स्वामी जी ने कहा कि भगत सिंह जैसे महानायक केवल इतिहास के पन्नों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हर भारतीय के अंतर्मन में जागृति का दीपक जलाने वाले आदर्श हैं। यह समय है कि हम बच्चों के हाथों में पत्थर नहीं, बल्कि पुस्तकें दें, उनके दिलों में नफरत नहीं, बल्कि देशभक्ति और सेवा की भावना बोएँ। यही शहीद भगत सिंह को हमारी ओर से सच्ची श्रद्धाजंलि होगी। 

आइए, इस पावन अवसर पर संकल्प लें कि हम अपने जीवन को देश और धर्म की रक्षा हेतु समर्पित करेंगे। आज की परमार्थ गंगा आरती शहीद भगत सिंह जी की जयंती पर उन्हें समर्पित की।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें