मंगलवार, 28 नवंबर 2023

ज्ञान पीठ में महात्मा ज्योतिराव फूले की पुण्य तिथि का आयोजन किया


मुकेश गुप्ता सत्ता बन्धु

  गाजियाबाद/ साहिबाबाद। मंगलवार को लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञान पीठ केंद्र 1, स्वरूप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में शिक्षाविद, समाज सुधारक, दार्शनिक, लेखक, पाखंड विरोधी, विचारक, महान क्रांतिकारी, महात्मा ज्योतिराव फूले की पुण्य तिथि का आयोजन किया गया, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संस्था के संस्थापक / अध्यक्ष, शिक्षाविद राम दुलार रहे, अध्यक्षता बाबा श्री चन्द्र ने, संचालन पं0 विनोद त्रिपाठी ने, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया, कार्यक्रम में शामिल सभी ने महात्मा ज्योतिराव फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे स्मरण किया, तथा श्रद्धा सुमन अर्पित किया| इस अवसर पर बच्चों में ड्राइंग की कॉपी, कलर वितरित किया गया।

 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि महात्मा ज्योति राव फुले विलक्षण प्रतिभावान थे, वह समाज में व्याप्त ऊंच-नीच, छुवाछूत, असमानता, महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार से व्यथित, बाल विवाह के विरोधी, विधवा विवाह के प्रबल समर्थक थे, उन्होने महिलाओं, समाज के कमजोर वर्गों, दलितों, पिछड़ों, आदिवासी समाज के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, वह जातिवाद, अशिक्षा, धार्मिक पाखंड, असमानता को सारी समस्याओं कि जड़ मानते हुए उसको दूर करने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे, तथा छात्राओं के लिए पुणे में पहली पाठशाला खोला, महिलाओं को शिक्षा के लिए यह प्रयास सराहनीय है, उन्होने अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को शिक्षित किया, उन्हे शिक्षा कार्य में लगाया, निर्धन तथा कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने के लिए 1873 में सत्य शोधक समाज की स्थापना की, उन्हे महिला शिक्षा का जनक कहा जाता है, और उनकी पत्नी को प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले, जिन्होने अन्याय और उत्पीड़न झेलकर भी महिला शिक्षा को आगे बढ़ाया, फातिमा शेष और गफ्फार शेष ने इनका पूर्ण सहयोग किया, जबकि इनका परिवरा और संबंधी इनका विरोध ही करते थे, लेकिन वह समाज सुधार और शिक्षा के कार्य में लगे रहे, 1888 में इन्हे समाज सेवा और त्याग के कारण विशाल जन सभा में महात्मा की उपाधि से अलंकृत किया गया, वह बेजोड़ लेखक भी थे, उनकी लिखित पुस्तक गुलाम गिरी और किसान का कोडा प्रसिद्ध है, किसानों के जीवन में कैसे खुशहाली आए, उनका शोषण न हो, उन्हे जागरूक करने में लगे रहे, आज 21वीं सदी में भी शिक्षा का स्तर हम ठीक नहीं कर पाये, 35 लाख से अधिक बच्चे 10वीं के बाद, 25 लाख 12वीं के बाद स्कूल छोड़ रहे है, यह चिंता का विषय है, अज्ञानता के जमे हिमखंड को तोड़ने के लिए शिक्षा एक कुल्हाड़ी है,  जीवन पर्यन्त लोगो को शिक्षित करने में लगे रहे।

        कार्यक्रम में शामिल रहे, राम दुलार यादव, बाबा श्री चंद, पंडित विनोद त्रिपाठी, महेन्द्र यादव, धर्मेन्द्र यादव, खुमान, राजेन्द्र यादव, नवीन कुमार, सुरेश भारद्वाज, रोहित यादव, शीतल, रेशमा, हरिकृष्ण यादव, राजीव गर्ग, हाजी मोहम्मद सलाम आदि।

 

                                                                                                                 


                                                                                                               

                                                                                                      

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