अरे भैया हमे भी
बराबर का हक़ चाहिए। हम लड़को से पीछे क्यों रहे, हमे उनसे पीछे क्यों रखते हो? हम भी फेमिनिस्ट है।
ये जो औरते और लड़किया फेक फेमिनिज्म और फेक
वीमेन एम्पावरमेंट का झंडा लहराते चलती है ना की हमे भी लड़को के बराबर आको (समझो) हम किसी से कम थोड़ी
ना है। अरे बहन पहले आप अपनी
जात (फीमेल)
फेमिनिस्ट जैसे आप हो, उसे तो अपने बराबर समझो, उसे तो काबिल समझो।
फिर जाकर लड़को के बराबर हक़ मांगो। खुद की
जात (फीमेल) की इज़्ज़त करोगी तभी तो लड़के और बाकि लोग तुम्हे इज़्ज़त देंगे। एक दूसरे
की जात पर ही कटही पिल्ली की तरह भौंकती रहोगी तो तुम्हे और लोग क्या इज़्ज़त देंगे
!? अपोज़िट सेक्स से तो
बहुत बनती है तुम्हारी!
अगर लड़का हैंडसम लगता है तो बोल देती हो तुम लोग की ये अच्छा लग रहा है, उसके परफ्यूम की भी
तारीफ कर देती हो । ये सोच कर की तुम फेमिनिस्ट हो, तुम्हे राइट्स है सब
कुछ करने और बोलने का। चलो ठीक है, तो वही चीज़ आप लड़कियों के साथ क्यों नहीं कर सकती है? मतलब ऐसा समय आ गया
है की लड़को
के बराबर हक़ मांगते मांगते, फीमेल अपनी ही फीमेल जात को किनारे कर
रही है, धक्का
दे रही है। अरे बहन पहले अपने जात को तो बराबर का हक़ दो, वो भी तो तुम्हारे
ही तरह फेमिनिस्ट होंगी। जैसे तुम हो वैसे उनको भी समझो । अपनी ही जात तो नीचा दिखा रही, उन्हें देख नहीं पा
रही हो। लड़को से क्या बराबरी करोगी अगर खुद की ही जात से जलती रहोगी ?
मैंने बहुत सोचा की
मै अपना पहला आर्टिकल किस टॉपिक पर लिखू ! हालाँकि मेरे दिमाग़ में बहुत सारे आइडिआज़ आये, लेकिन मै सारे टॉपिक
को छोड़कर, सबसे
पहले ये टॉपिक चूज़ की क्योकि मै भी एक लड़की हु और लड़कियों में एकदूसरे के लिए बहुत
कड़वाहट रहती है। तो सबसे पहले मै अपने तरफ से ये कहूँगी लोगो से की इस न्यू ईयर का
रेज़ोल्यूशन आप लोग यही बनाओ, बाकि आपकी मर्ज़ी । मेरा जो पॉइंट ऑफ़ व्यू है इस टॉपिक पर
मै वो बता रही हु, अपना ओपिनियन आप पर थोप नहीं रही हु। मुझे सारी लड़कियों और औरतो से पूछना है की
क्यों, आख़िर क्यों इतनी
दुश्मनी है अपनी ही जात है ? शुरुआत से ही एक
धारणा (विचार) बना लिया की हां ये मेरे जात की है फीमेल है तो
इसे तो मै अपना दुश्मन मान के चलूंगी ही, चाहे कुछ भी हो। लड़को से तो हमे
कोई दिक्कत नहीं है। वो हमारे कम्पेटिटर नही होते
है। हमे दिक्कत है तो सिर्फ लड़कियों और औरतों से। कुछ लड़किया जो ऐसा नहीं करती है,
वो अपने दिमाग़ में ये बैठा लेती है की
लड़कियों से अच्छा लड़के दोस्त होते है। उन्हें कोई इन्सेक्योरिटी नहीं होती है। वो
लड़की इसलिए ऐसा बोलती है क्योकि उसके साथ सारी लड़किया ऐसा बीहेव करती है इसलिए वो
लड़कियों से दोस्ती ही नहीं करना चाहती है। वैसे तो मै फिफ्थ स्टैण्डर्ड से ही देखती
आ रही हु की लड़किया लड़कियों की दुश्मन होती है। वो एकदूसरे को निचा दिखाने का कोई
मौका नहीं छोड़ती है। एक दूसरे को कुत्तो की तरह झपटना, डिमोटिवेट करना उनकी आदत है । पहले तो बात ही नहीं करती एक दूसरे से
अच्छे से, और अगर ग़लती से भी
आमने- सामने पड़ जाती है तो टांट मारेगी और डिमोटिवेट करेंगी, ये फील कराएंगी की
तुमने ये जो किया है कोई बड़ी बात नहीं है। ये तो कोई भी कर सकता है। यही नहीं
ग़लतिया निकालेंगी, क्रिटिसाइज़ करेंगी बदनाम करने की भी कोशिश करेंगी । इस बढ़ते कम्पटीशन में लोग एक दूसरे को
निचे गिराने, कम्पीट करने में
लगे। चलो ठीक है कम्पटीशन करना भी चाहिए नहीं तो पीछे ही रह जायेंगे। 'लेकिन इनका ये जो कम्पटीशन आज चल रहा है,
वो तब भी चल रहा था जब कोई कम्पटीशन नहीं था दुनिया मे। जब कोई जितने
हारने या फेल पास का सीन नहीं था तबसे ही इनका एक दूसरे से कम्पटीशन चल रहा है। भाई हज़ारो न्यू इयर्स आये और ओल्ड इयर्स भी
हो गए लेकिन ये लोग रेज़ोल्यूशन लेते ही नहीं की
भाई अब अपनी ही जात से नहीं जलेंगे, उन्हें निचा नहीं दिखाएंगे, उनको ह्युमिलिएट नहीं करेंगे। कब, कब ये लोग ये समझेंगे की अगर तुम्हारी जात तरक्क़ी
कर रही है तो तुम्हारी भी तरक्क़ी हो रही है। इनडाइरेक्टली या डाइरेक्टली थोड़ा बहुत
बेनिफिट तो तुम्हे भी मिलता है। लेकिन नहीं! ये कहा से सोचोगे आप सब,
आपको तो ये खलता है की ये मेरे से आगे
कैसे निकल गई! इसकी तो मै अब पोल खोलूंगी, अब इसकी असलियत सबके सामने लाऊंगी, अब इसकी सारी
कमियां बुराइयाँ सब लोगो को बताउंगी। और फिर उस लड़की में कितनी भी अच्छाइया हो लेकिन उसके सिर्फ बुरे आदतों और बातो को
हाईलाइट करके उसको निचा गिराने का काम शुरू कर देती है आपलोग। जिनसे कभी बात नहीं हुई उससे भी उस लड़की की
बुराई करने के लिए बैठ जाती है। चिढ़ ये की आख़िर ये मेरे से ज़्यादा कैसे कर
ली? मै अब तो इसकी शकल भी नहीं देखुंगी,
लेकिन इसकी शकल सबको दिखाउंगी। मै छोडूंगी
नहीं, बताती हु इसे। और फिर जिसको कुछ नहीं आता
एकदम उज़लेस से उज़लेस लड़की भी उसकी बुराइयों में लग जाती है। अरे बहन ये समझो की अगर कोई लड़की कुछ
अच्छा करती है तो पूरी लड़कियों को कुछ अच्छा करने का मौका मिल जाता है। लोग कहते
है आजकल लड़किया भी सक्सेस अचीव कर रही है, लड़किया भी लड़को की तरह सब कर सकती है। कोई पर्टिकुलर
उस लड़की का नाम लेकर तारीफ़ नही करता है, पर्टिकुलर सिर्फ घर के लोग ही करते है। सारी लड़कियों को शाबाशी मिलती है,
तो आपलोग ही क्यों अपने पैरो पर कुल्हाड़ी
मार रहे हो? आजकल लड़किया सबको टक्कर दे रही है,
आपलोग एकदूसरे का सपोर्ट सिस्टम बनो, ना की एक दूसरे को खोखला करो। कुत्त्तों की तरह
एक दूसरे के रोटी को लेकर भागने की कोशिश मत करो, सब अपना - अपना रोटी तैयार करो। दूसरे की रोटी मिलेगी भी नहीं और ग़लती से मिल भी जाएगी तो पेट नहीं भरेगा। अगर कोई अपनी रोटी बना भी लेता
है तो उससे भी जलने की ज़रूरत नही, एक छोटी सी स्माइल
दो और अपने पर ध्यान दो। अगर कोई एक लड़की भी कुछ अलग या कुछ अच्छा
काम करती है तो पूरी दुनिया के लड़कियों को, उनके घरो से उनके मन का करने का छूट मिलता है।
ज़्यादा नहीं कहूँगी लेकिन 1 % छूट मिलने का तो
चांस हो ही जाता है। तो क्यों इस कीचड़ से निकलने का 1 % चांस भी खोना चाहती है आपलोग?
बोल्डली बोलू तो; आपलोगो के इस
रवैये से, इस घटिया सोच से ये पता चलता है की आपलोग हमेशा हाउसवाइफ या ये कहे सुबह
नौकरानी और रात को राते रंगीन करने का साधन ही बनना चाहती है।
यार इतनी चिढ़न इतनी जलन अपनी ही जात से हद्द है! मैंने
नोटिस किया है की रोड पर चलती
लड़किया जो एक दूसरे को जानती भी नहीं है, वो भी एक दूसरे को देख कर मुँह बनाती है, आंखे तो ऐसी घुमाती है जैसे बरसो पुराने दुश्मन को
देख लिया। जबकि होना तो ये चाहिए की चलो सपोज़ सामने वाली लड़की की पर्सनालिटी या
ड्रेसिंग सेन्स अच्छी है, अच्छी लगी आपको तो बोलना चाहिए मन में चलो हम भी कभी ट्राई
करेंगे। स्माइल ना दे रही हो मत दो लेकिन
ये आँखों से दुश्मन बना कर जंग का ऐलान क्यों करके आती हो घर?
अगर ऐसे ही चलता रहा तो जानवर और इंसान
में फर्क क्या है? कुत्ता भी अपने जात
पर भोकता है और काटने को दौड़ता है, और आप इंसान रूपी कुत्ते भी वही कर रहे हो।
उन्हें तो पढ़ाया नहीं जाता लेकिन आपलोग को तो
बचपन से ही ये सब सिखाया पढ़ाया जाता है। कम से कम आपलोग तो लिहाज़ करो,
कुत्ते से आगे मत बढ़ो, प्लीज़ उन्हें ही आगे रहने दो। इंसान होने पर गर्व
करो। बचपन शब्द से याद आया । ये मम्मी लोग भी कम नहीं होती है,
ये लोग खुद को और अपने बेटियों को अपने
पति और लड़को से आगे रखना ही नहीं चाहती, ऐसा करना पाप समझती है। अभी रीसेंट एक इंसिडेंट हुआ,
मैने
देखा एक लड़की और उसकी माँ पूजा करने गई थी।
लड़की की कोई ख्वाहिश पूरी हुई थी, उसने मन्नत माँगा था। माँ से उनका लड़का पूछता है की ये पूजा क्यों हो रहा
है? तो लड़की की माँ कहती है
; अरे होगा किसी चीज़ का। जबकि माँ को सब पता था लेकिन वो अपने लड़की की
तारीफ़ करना ही नहीं चाहती, तारीफ़ छोड़ो रियल
बात भी नहीं बता सकती है। उस लड़की ने अपनी माँ से आर्ग्युमेंट भी किया,
उसे बुरा लगा।
माँ अपने कोख़ से पैदा की हुई लड़की की
तारीफ़ नहीं करती क्योकि उनके लड़को को बुरा लगेगा, तो कोई और क्या ही करेगा? हा अगर लड़की कोई ग़लत काम कर देगी तो वही मम्मी
अपने गार्डियन पति और लड़को से कह कर अपना पल्ला झाड़ लेंगी। ये दुनिया की सबसे कड़वी सच्चाई है जो कभी
भी नहीं बदलता और शायद कभी भी ना
बदले। लेकिन थोड़ा सुधार ज़रूरी है। अपने में ही लड़ कट के सब मर
जाओगी, पीछे किसी कोने में
पड़ी रहोगी और अपने जलन के साथ खुद भी जलती रहोगी और लड़के आगे निकलते रहेंगे। लड़को में भी थोड़ा बहुत
होता है लेकिन वो लोग दुसरो से जलने के बजाय खुद को इम्प्रूव करने में अपनी एनर्जी
लगाते है। लेकिन लड़किया तो सामने भी गन्दा सा मुँह बना लेती है जैसे अभी - अभी उनका सुहाग उजड़ गया हो। अपने ख़ुशी को कोई तुमलोगो के साथ
सेलिब्रेट भी करना चाहे तो नहीं कर पायेगा। तुम लोगो का मुँह सड़ा सा पहले ही बन
जाता है ये सुनकर की अरे वो लड़की थोड़ा सा कुछ अलग की है, कुछ अच्छा की है । सीधे
मुँह बात भी नहीं करती तुमलोग ऊपर से टॉन्ट अलग छोड़ती हो। तो तुम लोगो से तो दूर
ही भागेगा ना कोई ?
कोई कहता है; जो की है कोई बड़ी बात नहीं है,
इससे कुछ नहीं होगा। और कोई टॉन्ट में
कहता है गवर्मेंट जॉब तो ले नहीं पाई, ये इससे क्या ही कर लेगी।
नहीं होगा कुछ ठीक है लेकिन आपके चेहरे पर
क्यों 12 बजे है? मोटीवेट नहीं कर
सकते तो डिमोटिवेट भी मत करो। पीठ पीछे ना जाने कितनी गालिया देते हो वो कम है
क्या?
‘अभी अंजलि कंझावला
हत्याकांड को ही देख लो। जो उसकी सो कॉल्ड
निधि फ्रेंड थी, वो अंजलि के मर
जाने के बाद भी उसके कैरेक्टर को गन्दा बता रही है। यही नहीं जब वो मर रही थी उसको अकेला छोड़ कर भाग आई और जब मीडिया पूछ रही थी तब अंजलि पर ब्लेम लगाए जा रही थी
, उस लड़की के आँखों में एक भी आँसू नहीं
थे। जिस लड़की की इतनी बेरहमी से हत्या हो गई, उसकी बुराई पे बुराई करे जा रही है। जो मर गई उसे
तो छोड़ दो बहन, थोड़ी तो इंसानियत
रखो।
इन शार्ट, बहन इस नए साल को कम से कम बर्बाद मत करो। इस साल
का रेज़ोल्यूशन ले ही लो की नहीं, कुत्तो की तरह अपने
जात पर ही नहीं भौकना है रे बाबा, घूम फिर कर हमारे पर ही बैक फायर करता है।
मिल जुल के रहो, अपने सक्सेस होने के % को बढ़ाओ, झुमके के साइज़ को नहीं । सुंदरता बढ़ाओ लेकिन किसी और के सुंदरता को मत
घटाओ। सक्सेस अचीव करो और कोई होता है तो अप्रीशिएट करो। सिर्फ़ लड़को से ही नहीं
लड़कियों के साथ भी अच्छे से रहो। एक और इम्पोर्टेन्ट बात सुन्दर लड़कियों, कभी -
कभी अपने से सुन्दर लड़कियों से भी दोस्ती
कर लिया करो। थैंक्यू।
- Anuprash sharma
email- Anuprash57960000@gmail.com
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and English written by Anuprash sharma.
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