गाजियाबादःअधिकमास जिसे मलमास, खरमास व पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है, वह मंगलवार से शुरू हो गया है। अधिकमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। आचार्य दीपक तेजस्वी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जब प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं। सूर्यदेव का यह गोचर या संक्रांति तकरीबन हर महीने में होती है। अर्थात सूर्य देव को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग 1 महीने का समय लगता है लेकिन जिस महीने में सूर्य अपनी राशि नहीं बदलते हैं उसे मलमास या फिर अधिक मास कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जिस महीने में सूर्य अपनी राशि नहीं बदलते हैं वह महीना मलिन हो जाता है जिसके चलते इस महीने का स्वामी बनने से सभी देवताओं ने अस्वीकार कर दिया था। तब भगवान विष्णु ने इस महीने को अपनाया और इसके स्वामी बने। उनके इस मास के स्वामी बनने से ही यह मास पुरूषोत्तम यानि सबसे उत्तम कहलाया। इस मास में शुभ कार्य नहीं होते मगर जो भी व्यक्ति इस मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करता है, उनके जीवन के सभी पाप नष्ट होते हैं और उन्हें पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। महादेव, भगवान श्री कृष्ण व गणेश भगवान करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। अधिक मास लगने के कारण ही सावन का महीना 2 महीनों का है। साथ ही इस वर्ष कुल आठ सोमवार आएंगे।
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