शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने विरोध जताने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी अपने और अपने शिष्यों के रक्त से लिखा पत्र


मुकेश गुप्ता सत्ता बन्धु

गाजियाबाद। स्वीडन में कुरान जलाने की घटना के विरोध में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान एक प्रस्ताव लाया जिसका मुस्लिम देशों के साथ भारत ने भी समर्थन किया। इस बात को लेकर भारत के हिन्दुओ में बहुत रोष है जिसका प्रदर्शन सोशल मीडिया पर लगातार हो रहा है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी  महाराज ने अपने और अपने शिष्यों के रक्त से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर अपना विरोध प्रदर्शित किया।पत्र लिखते समय उनके साथ उनके शिष्य अनिल यादव,मदन मुखिया,बृजमोहन सिंह, यति कृष्णानन्द, यति रामस्वरूपनन्द, यति असीमानंद,सनोज शास्त्री तथा अन्य उपस्थित थे।

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने रक्त से प्रधानमंत्री जी को लिखा कि वो हिन्दू समाज की असहनीय अपमानजनित पीड़ा को उनके समक्ष रखने के लिये अपने और अपने शिष्यों के रक्त से यह पत्र उन्हें लिख रहे हैं।अभी कुछ दिन पूर्व स्वीडन में एक मुस्लिम शरणार्थी ने वहाँ के न्यायालय से अनुमति लेकर एक बड़ी मस्जिद के सामने कुरान जलाया।सम्पूर्ण विश्व के इस्लामिक जिहाद के पीड़ितों ने इस पहल की सराहना की।एक मुसलमान की इस ऐतिहासिक पहल पर दुनिया के इस्लामिक जिहाद के समर्थक बिलबिला गए और उन्हें इस्लामिक जिहाद के सम्पूर्ण अस्तित्व पर खतरा नजर आने लगा।स्वीडन में हुई इस घटना पर वर्तमान समय मे इस्लामिक जिहाद के सबसे बड़े पैरोकार पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में एक विरोध प्रस्ताव रखा।इस विरोध प्रस्ताव पर नेपाल जैसे छोटे से परन्तु स्वाभिमानी देश ने स्वयं को तटस्थ रखा और अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस व जर्मनी जैसे स्वाभिमानी देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।

अपने नागरिकों के स्वाभिमान और आत्मसम्मान को कुचलते हुए भारत ने एक बार फिर इस्लाम के जिहाद के सामने दयनीय समर्पण करते हुए पाकिस्तान के इस प्रस्ताव का समर्थन किया।

भारत सरकार का यह कायरतापूर्ण घिनौना कृत्य उन सभी अमर बलिदानियों का निकृष्टतम अपमान है जिन्होने सनातन धर्म और भारत राष्ट्र के लिये अपने प्राणों का बलिदान दिया।

उन्होंने पत्र में मोदी जी को यह भी लिखा कि याद रखिये की आपकी सरकार द्वारा किये गए इस जघन्य अपराध की कीमत सारे राष्ट्र को चुकानी पड़ेगी।वो अपने शिष्यों के साथ अपने नपुंसक क्रोध को बस इसी तरह दर्शा सकते हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी जी से इस विरोध को स्वीकार करने का विनम्र अनुरोध किया।

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