सोमवार, 26 फ़रवरी 2024

लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा जैन मुनि संत शिरोमणि विद्या सागर जी महाराज को दी विनयांजलि


                   मुकेश गुप्ता सत्ता बन्धु

गाजियाबाद। आज लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरूप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में जैन मुनि संत शिरोमणि विद्या सागर जी महाराज की विनयांजलि कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रख्यात अर्थशास्त्री पूर्व प्राचार्य चिड़वा कालेज झुञ्झुनू राजस्थान पवन कुमार जैन  रहे, मुख्य अतिथि अतर्रा महाविद्यालय के संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान पूर्व प्राचार्य ड़ा0 विशन लाल गौड़ रहे, आयोजन पूर्व अधिकारी दिल्ली प्रदेश सी0 पी0 सिंह जो संत जैन मुनि के प्रशंसक रहे उन्होने किया, संचालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र ने किया, संस्था के संस्थापक/अध्यक्ष शिक्षाविद राम दुलार यादव मुख्य वक्ता के रूप में समारोह में शामिल रहे, सभी श्रद्धालुओं ने महान संत को विनयांजलि देते हुए उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे स्मरण करते हुए अज्ञानता, अंधकार, अहंकार को दूर कर सत्य, अहिंसा, सद्भाव, भाईचारा और न्याय के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया, संत के सम्मान में जोरदार गगनभेदी नारे से वातावरण उल्लास से भर गया, नवोदय विद्यालय के पूर्व प्राचार्य जय नारायण शर्मा ने कार्यक्रम को संबोधित किया, मंचासीन अतिथियों को शाल ओढा, सफ़ेद परिधान भेंट कर सत्य, अहिंसा, शांति, त्याग के मार्ग पर चलने का आह्वान के साथ संत के विचारों को जन-जन में पहुंचाने का भी संकल्प लिया गया, जातिवाद और धार्मिक पाखंड से ऊपर उठकर सर्वधर्म, समभाव के प्रचार-प्रसार की भावना पर ज़ोर दिया गया।

मुख्य अतिथि ड़ा0 विशन लाल गौड़ ने कहा कि जैन धर्म ने अनेकान्तवाद और स्यादवाद का सिद्धान्त दिया, और कहा कि जैन धर्म ने विवाद नहीं संवाद पर ज़ोर दिया, उनका मानना है कि शायद ऐसा ही सही है, सत्य, अहिंसा, जीवो और जीने दो पर कार्य किया, लोक कल्याण के लिए दान करने को श्रेष्ठ कर्म बताया।

  कार्यक्रम के अध्यक्ष शिक्षाविद पवन कुमार जैन ने कहा कि संत शिरोमणि विद्या सागर जी महाराज ने 22 वर्ष की अवस्था में दीक्षा ले जन कल्याण में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, वह त्याग, तपस्या की प्रतिमूर्ति थे, उनका सारा परिवार जैन धर्म और जन कल्याण के लिए कार्यरत है, उन्होने कहा कि जैन धर्म सत्य, अहिंसा, त्याग, जीवों पर दया और करुणा का मार्ग दिखाता है, अहंकार और क्रोध, लोभ, मोह, संग्रह कर्मेन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर ज्ञान के मार्ग पर चलकर संसार को प्रकाशमान बनाया, आपने कहा कि विद्या सागर जी महाराज वीतरागी थे, चिंतन, मनन, अध्ययन और ध्यान से जितेंद्रिय बन सकते है।

       लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि जैनमुनि ने कभी न किसी से धन मांगा न रुपये-पैसे को हाथ लगाया, उनका न कोई ट्रस्ट था न बैंक मे कोई खाता, फिर भी उन्होने बड़े से बड़ा कार्य जन-कल्याण, समाज कल्याण और देश के कल्याण मे किया , वे कई भाषाओं के प्रकाण्ड विद्वान,  मूकमाटी महाकाव्य की रचना की, यह अनुपम कृति है, उन्होने अद्भुत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के लिए सारा जीवन समर्पित कर दिया, सम्यक दर्शन, ज्ञान और नैतिक जीवन, लोक कल्याण स्वामी विधासागर महाराज का मूलमंत्र रहा, उन्होने कहा है कि दूसरों की भलाई के लिए अपने सुख का त्याग करना ही सच्ची सेवा है, गुस्सा, मूर्खता से शुरू होती है और पछतावे पर समाप्त होती है, लेकिन आज 21 वीं सदी में अहंकार, अज्ञानता, अन्याय, अनाचार, अन्धभक्ति और अन्धविश्वास, ईर्ष्या, द्वेष समाज मे बढ़ रहा है, हमे संत शिरोमणि के बताए मार्ग पर चलकर उपरोक्त बुराइयों से मुक्ति मिल सकती है।

         कार्यक्रम मे शामिल रहे, डॉ0 विशन लाल गौड़, पवन कुमार जैन, सी0 पी0 सिंह, राम दुलार यादव, अनिल मिश्र, डॉ0 देवकर्ण चौहान, एस0 एस0 प्रसाद, जयनारायण शर्मा, कृष्णानन्द यादव, देवमन यादव, धर्मेंद्र यादव, अजीत यादव, सुदर्शन यादव, विजय मिश्र, राम सिंह यादव, हाजी मोहम्मद सलाम, राम यादव, देवनाथ भारती, परमानंद यादव, ब्रह्म प्रकाश, हरेन्द्र यादव, अमृतलाल चौरसिया, हरिकृष्ण यादव, ओम प्रकाश अरोड़ा, रामेश्वर यादव, राजेन्द्र सिंह, बालकर्ण यादव, सम्राट सिंह यादव, एस0 एन0 जायसवाल, विश्वनाथ यादव, शीश राम यादव, दीना नाथ यादव, बिजेन्द्र यादव, ठाकुर यादव, राम नारायण, कृष्णा यादव, नवीन कुमार आदि।

                                                                                                                             

                                                                                                                       

                                                                                                                      

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