बुधवार, 2 सितंबर 2020

अन्तर्मना भक्ताबर व्रत पारणा महोत्सव सादगीपूर्ण सम्पन्न

प्रतीक गुप्ता


गाजियाबाद।सौरभ सागर सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा संचालित जीवन आशा हास्पिटल जहाॅ पर दिव्याॅगों को निशुल्क आधुनिक कृत्रिम अंग प्रदान किये जाते है। साथ ही अन्य इलाज की भी निशुल्क सुविधा उपलब्ध है। विगत एक वर्ष में संस्थान द्वारा 500 आधुनिक कृत्रिम अंग व 6000 ओ0पी0डी0 रोगियों का इलाज किया जा चुका है। हाॅस्पिटल में एक्स-रे, पैथोलोजी, फिज़ियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, ओ0पी0डी0 का कार्य भी किया जा रहा है। यहाॅ पर इलाज हेतु आने वाले दिव्याॅगों को निशुल्क खाने और रहने की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है।



 यह जानकारी ट्स्ट के जम्बू प्रसाद जैन तथा संजय जैन ने दी ।उन्होंने बताया कि मुरादनगर गंग नहर काॅवड़ मार्ग पर स्थित जीवन आशा हाॅस्पिटल के प्रागंण में स्थित मंशापूर्ण महावीर जिनालय में भारत गौरव साधना महोदधि अंर्तमना आचार्य श्री 108 प्रसन्नसागर जी महाराज का ससंघ चातुर्मास हो रहा है। संघ में मुनि पीयूष सागर जी, एलक पर्वसागर जी एवं ब्रहचारिणी गीता दीदी विराजमान है। आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी 28 जून 2020 से उपवास में है एवं 6 जुलाई से लगातार मौनव्रत का पालन कर रहे है। दिनाॅक 17 जुलाई को आचार्य श्री ने 50 दिन के बाद उपवास पूर्ण किया, जिसको महापारणा पर्व कहा जाता है।



41 दिन का मौनव्रत भी पूर्ण किया। मुनि पीयूष सागर जी ने बताया कि सभी धर्मो  में व्रत उपवास  की महिमा को बतलाया गया है। जैन दर्शन में व्रत उपवास  की महिमा बताते हुए जहाॅ अपनी इन्द्रियों (स्पर्शक रसना, घ्राण, चक्षु, कर्ण) पर विजय प्राप्त करना है वहीं अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्नसागर जी महाराज के लगातार 50 दिवसीय उपवास जहाॅ अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने की घोषणा कर रहे है, वहीं अन्तर्मना की सोच है कि इस कोरोना महामारी के समय मेरे उपवास व्रत प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में प्रसन्नता को ला सके अर्थात मेरे हिस्से का भोजना व पानी दूसरे व्यक्ति को प्राप्त हो सके। संसार में कोई व्यक्ति भूखा-प्यासा न रहे।



आज विषम स्थित में व्यक्ति परिवार में बच्चों को पढ़ाने-लिखाने में चिंतित नही है बल्कि  कल का राशन-पानी कैसे आयेगा इसमें चिंतत है। ऐसी स्थिति में हर आदमी मदद करना चाहता है परन्तु कोरोना के कारण अर्थिक गतिविधियाॅ प्रभावित हो गई है यदि हर व्यक्ति थोड़ा सा भी त्याग करें तो हमारे ही दूसरे भाई बन्धुओं को भोजन पानी उपलब्ध हो सकता है। जो अपना भला सोचे वो दुर्योधन है जो अपनों का भला सौचे वह युधिष्टर है, जो सबका भला सौचे वह नारायण श्री कृष्ण परमात्मा है। अन्तर्मना की व्रत आराधना साधना सभी के कल्याण के लिए है इसी सोच के कारण ऐसी आत्मा परमात्ना बन सकती है। आओ अपने जीवन में हम संकल्प करें पारणा महोत्सव पर हम अपनी सोच, अपनी वाणी और व्यवहार को सकारात्मक व विनम्र रखेगें। इस पारणा पर्व पर जीवन आशा हास्पिटल का समस्त स्टाफ, मंदिर का स्टाफ एवं जम्बू प्रसाद जैन, अशोक जैन-सी.ए., सुन्दर लाल जैन, शमनोज जैन-सी.ए.,  अजय जैन आदि उपस्थित थे, जिसमें सोशल डिसटेंसिगं का पालन करते हुए समारोह का समापन किया गया ।


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