शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

हरतालिका तीज का व्रत सोमवार को होने से मिलेगा विशेष फलः आचार्य दीपक तेजस्वी

 


मुकेश गुप्ता सत्ता बन्धु

गाजियाबादःआचार्य दीपक तेजस्वी ने कहा कि इस बार हरतालिका तीज का व्रत सोमवार को रखा जाएगा। इससे व्रत का महत्व और भी बढ गया है। आचार्य दीपक तेजस्वी ने बताया कि हरतालिका तीज व सोमवार का दिन दोनों ही भगवान शिव का प्रिय हैं। ऐसे में दोनों का एक दिन ही पडने से इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने का विशेष फल मिलेगा। 

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा.अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। हरतालिका तीज व्रत करने से जहां महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है, वहीं कुंवारी कन्याओं को योग्य जीवन साथी मिलता है। हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि.विधान से करना चाहिए। हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन.कीर्तन करना चाहिए। हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है। हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है। हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाकर पूजा स्थल को फूलों से सजाकर चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकरए माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।

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