बुधवार, 6 सितंबर 2023

प्रदेश के लाखों तकनीकी छात्रों को सर्वोच्च न्यायालय से मिली राहत - डॉ.अतुल जैन, महासचिव यूपीटिफ

 

मुकेश गुप्ता सत्ता बन्धु

गाजियाबाद। वर्ष 2013 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पार्श्वनाथ चैरिटेबल ट्रस्ट और अन्य बनाम अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और अन्य के मामले में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों में शैक्षणिक सत्र में विभिन्न कार्यवाहियों हेतु समयसीमा निर्धारित की थी। शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय (AKTU) ने उत्तर प्रदेश सरकार को  संबद्धता एवम अनुमोदन हेतु कागजात प्रेषित किए थे, लेकिन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी द्वारा समय से संबद्धता प्रदान नहीं की गई और इस तरह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समय सीमा समाप्त हो गई। जिसके कारण सरकार के द्वारा कार्यवाही करने की अधिकारिकता ही समाप्त हो गई। वर्तमान सत्र2023-24 में उत्पन्न इस गंभीर स्तिथि को देखते हुए एकेटीयू ने समय विस्तार हेतु सर्वोच्च न्यायालय में आवेदन दाखिल किया। परंतु सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिनांक 21.08.2023 को AKTU के इस आवेदन को निरस्त कर दिया और समय विस्तार करने से इन्कार कर दिया। इसके बाद लाखों छात्रों के भविष्य पर विचार करते हुए उत्तर प्रदेश के सभी पोषित संस्थाओं के संगठन टेक्निकल इंस्टीट्यूशंस फाउंडेशन आफ उत्तर प्रदेश ने महासचिव डॉ.अतुल कुमार जैन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक समय विस्तार हेतु एक आवेदन दायर कर तकनीकी संस्थानों के संबंध में संबद्धता प्रदान करने की अंतिम तिथि 15.09.2023 तक बढ़ाने और उसके बाद एक महीने के लिए काउंसलिंग की मांग की। उक्त आवेदन पर आज दिनांक 6.9.2023 को सुनवाई हुई और भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंड पीठ ने टेक्निकल इंस्टीट्यूशंस फाउंडेशन, उत्तर प्रदेश द्वारा दायर आवेदन पर समय विस्तार को अनुमति देते हुए तकनीकी संस्थानों को भी संबद्धता के आदेश के दिनांक से एक माह का समय काउंसलिंग हेतु प्रदान किया है। संबद्धता प्रदान करने की अंतिम तिथि 15.09.2023 नियत की गई है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फैसले द्वारा तय की गई काउंसलिंग की समय सीमा भी एक महीने बढ़ा दी गई है।तकनीकी संस्थानों के लिए श्री ए आर. नाडकर्णी और  अनूप त्रिवेदी वरिष्ठ अधिवक्ता ने पक्ष रखा। अटॉर्नी जनरल विश्वविद्यालय की ओर से उपस्थित हुए और सॉलिसिटर जनरल  तुषार मेहता केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित हुए। इस तरह से भारतवर्ष की माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आज के निर्णय से उत्तर प्रदेश के लाखों छात्रों के भविष्य पर मंडरा रहे खतरे को टाल दिया है जिससे सभी संस्थाओं में और छात्रों और अभिभावकों में खुशी और राहत की लहर है।

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