मंगलवार, 21 जनवरी 2025

समाजवाद के पुरोधा श्रद्धेय जनेश्वर मिश्र की पुण्यतिथि 22 जनवरी 2025 के अवसर पर विशेष


समाजवादी विचारधारा के ध्वजवाहक, समाजवादी पार्टी के संस्थापक, पिछड़ों, दलितों, शोषितों प्रताड़ितों के सर्वांगीण विकास, सामाजिक न्याय के लिए जीवन पर्यंत संघर्षशील पंडित जनेश्वर मिश्र डा0 राम मनोहर लोहिया, लोक नायक जय प्रकाश नारायण, लोक बन्धु राज नारायण के विचार से प्रभावित हो गरीब, गुरबों के जीवन में आशा की किरण देदीप्तमान हो अंतिम क्षण तक कार्यरत रहे। श्रद्धेय जनेश्वर जी का जन्म 5 अगस्त 1933 को बलिया के शुभनथहीं  गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था, उनके पिता रंजीत मिश्र जी ने प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें इलाहाबाद भेज दिया, वही उनकी कार्यस्थली बन गया, छात्र जीवन में ही अन्याय, अनाचार का विरोध करना उनका स्वाभाविक गुण रहा, छात्रों के सवालों पर वह जेल भी गये, जेल में रहते हुए वह राजनीति में कूद पड़े, 1969 के उपचुनाव में वह सोशालिष्ट पार्टी के टिकट पर लोक सभा के सदस्य बने, उन्होंने इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को हरा दिया, तथा 7 बार मंत्री पद पर कार्य किया, उन्हें मोरार जी देसाई, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेषर, एच0 डी0 देवगौड़ा, इन्दर कुमार गुजराल के मंत्रिमंडल में कार्य करने का अवसर मिला, मंत्री पद पर रहते हुए बेरोक-टोक कोई भी अपनी व्यथा का बयान उनके निवास पर जाकर कर सकता था, उसकी बात सुनी जाती थी, समस्या का समाधान होता था।

        श्रद्धेय जनेश्वर मिश्र अन्याय, शोषण, अत्याचार, भेदभाव, घोर पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध में आजीवन संघर्षरत रहे। गरीबों, शोषितों, पीड़ितों, प्रताड़ितों और दलितों के प्रति न्याय हो उनके दुःख से उनके मन में करुणा और दया का भाव जागृत हो जाता था, उनका कहना था कि “बेसहारा, गरीबों, बेबसों के आंसूं पोछना ही सच्चा समाजवाद है” वह सरलता, सादगीपूर्ण जीवन जीने के आदी रहे, अस्पृश्यता के विरोध में भी वह आन्दोलनरत रहे, छुवाछूत को देश के लिए कलंक  मानते थे, उनके मन में छात्र जीवन से सामाजिक व्यवस्था में व्याप्त विसंगतियों के प्रति विद्रोह की भावना व्याप्त थी, आन्दोलन और संघर्ष उनके जीवन के मूलमंत्र थे, सीमित संसाधनों के बावजूद वह समाजवादी विचार को जन-जन में प्रचारित और प्रसारित करते रहे, वह समतामूलक समाज के प्रबल पक्षधर, सद्भाव, भाईचारा की भावना देश में पुष्पित, पल्लवित हो, उसके हिमायती थे, यद्यपि वह प्रभु जाति में पैदा हुए थे, लेकिन वह पिछड़ों, दलितों और कमजोर वर्गों के हितैषी रहे।

         श्रद्धेय जनेश्वर मिश्र सामाजिक और राजनैतिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत रहे, उनका कहना था कि समाजवादी पार्टी के संगठन में महिलाओं को कार्य करने का मौका मिलना चाहिए। श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव ने उनकी सलाह मान संगठन में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की, तथा उन्हें चुनाव में उम्मीदवार बना, विधान सभा और लोक सभा तथा स्थानीय निकायों  में प्रतिनिधित्वकरने का अवसर प्रदान किया| अखिलेश यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने में श्रद्धेय जनेश्वर मिश्र ने श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव को प्रेरित कर बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नेता जी की प्रेरणा से  अखिलेश यादव ने लखनऊ में पं0 जनेश्वर मिश्र पार्क बनाया, जो एशिया का सबसे बड़ा पार्क हर तरह की सुविधाओं से सुसज्जित है, लखनऊ वासी ही नहीं दूर-दराज से भी लोग यहाँ आकर भाव – विभोर हो पार्क में परिवार के साथ आनन्द मनाते है, तथा स्वास्थ्य लाभ लेते है।

        समाजवादी चिन्तक, जनप्रिय नेता श्रद्धेय जनेश्वर मिश्र जनता के सवालों के लिए आन्दोलनरत रहे, राजनीति और सार्वजानिक जीवन में शुचिता के पक्षधर, गरीबों, किसानों, नवजवानों की आवाज को जीवन भर बुलन्द करते रहे, अनेंकों बार लोकसभा, राज्यसभा के सदस्य और मंत्री पद सुशोभित करने के बाद भी न उनके पास अपनी गाड़ी ही थी, न घर था, वह समाजवादियों के ही नहीं राजनीति में ईमानदारी और नैतिकता के पक्षधर सभी के ह्रदय में हमेशा मौजूद रहेंगे। आज उन्हें स्मरण करते हुए समाजवादी गौरवान्वित है, वह किसी तरह के पाखंड को नहीं मानते थे, हम लोगों के सामने ही कहा करते थे कि जहाँ धर्म स्थल है वहां भिखारियों की फ़ौज भी है, भगवान उनका भला नहीं करते, वह जीवन भर वहां भीख मांगते है, कड़ी मेहनत से ही सफलता मिल सकती है, सार्वजानिक जीवन में केवल नैतिकता और ईमानदारी पूर्वक लोगों की सेवा कर उनके कष्ट दूर किये जा सकते है, हमें उनके द्वारा बताए मार्ग पर चलकर ही समाजवादी समाज बनाने में मदद मिलेगी, उनके सपनों को साकार  करने के लिए उनके विचार से प्रेरणा ले, समतामूलक समाज बनाने और देश में सद्भाव, न्याय, भाईचारा को बढ़ाने में कामयाबी मिल सकती है| हमें भी जीवन पर्यंत उनके विचार पर कार्य करने, उनके सपनों को साकार करने में मदद मिलेगी| वह आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उन्होंने जो मन्त्र दिया है समाजवादियों के लिए मार्ग दर्शक का कार्य निरंतर करता रहेगा।

लेखक :

राम दुलार यादव,समाजवादी चिन्तक, शिक्षाविद 

       संस्थापक / अध्यक्ष  लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट  गाजियाबाद                                                    

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                             

                                                                                                                                         

                                                                                                                                               

                                                                                                                                                         

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