गुरुवार, 29 जून 2023

गन्ने के रेट में केवल ₹10 की बढ़ोतरी से किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है---इंदरजीत सिंह टीटू


मुकेश गुप्ता सत्ता बन्धु
गाजियाबाद। इंदरजीत सिंह टीटू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ राष्ट्रीय लोकदल ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में गन्ने कै (एफ आर पी ) के रेट में केवल ₹10 की बढ़ोतरी का फैसला लिया गया है मात्र ₹10 की बढ़ोतरी से गन्ने की खेती करने वाला किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है और किसान का कहना है यह तो कहावत यथार्थ होती नजर आ रही है ऊंट के मुंह में जीरा। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से खाने के सभी पदार्थ दाल हो खाने का तेल हो खेती करने के लिए डीजल और पेट्रोल हो सामान्य जीवन जीने वाली जितनी भी वस्तुएं है जिनकी रोज जरूरत पड़ती है सभी में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है जिसके कारण बाजार में महंगाई भी बड़ी है और किसान को केवल उसकी फसल की कीमत में ₹10 का इजाफा समझ नहीं आ पा रहा है चीनी हमारी रसोई का एक बहुत बड़ा अंग है और त्योहारों की मिठास भी गन्ने से बनी हुई चीनी से आती है त्यौहार भी मिठाइयों के बिना त्यौहार फीके लगते हैं।  जिस वर्ष भी गन्ने की फसल ठीक से नहीं हो पाती तो हमको महंगे रेट में बाहर से भी चीनी इंपोर्ट करनी पड़ती है किसान ने गन्ने की खेती करने के बाद अपनी बहुत सी प्लानिंग कर रखी होती है बच्चों की पढ़ाई हो शादी का काम हो मकान बनाना हो सभी फसल की रकम घर पर आने के बाद ही किसान कर पाता है फसल की कीमत अच्छी मिलेगी तभी देश का अन्नदाता अपने लिए हुए कर्ज भी उतार पाता है। केंद्र में बैठी सरकार को इस पर जरूर ध्यान देना चाहिए गन्ने की एक ऐसी फसल है जो उधार में बिकती है और मिल वाले सबसे पहले अपने काम चलाते हैं बाद में किसान का नंबर आता है कई दफा कई मौकों पर देखा है ज्यादातर केंद्र सरकार हो या प्रदेश की सरकार हो मिल मालिकों के साथ खड़ी नजर आती है किसान के साथ नहीं      सरकार कहती तो है 15 दिन में पेमेंट कर देंगे लेकिन आज तक कभी ऐसा हुआ नहीं अभी तक मिलो पर करोड़ों रुपया दी हुई फसल का और ब्याज का रुका हुआ है गन्ने की खेती करने वाले किसानों का अगर किसान को अपनी फसल की ठीक कीमत नहीं मिल पाएगी और समय पर नहीं मिल पाएगी तो किसान अपने रुके हुए परिवार के काम कैसे कर पाएगा और कहां से अपने कर्ज उतार पाएगा समय पर कर्ज वापस ना दिए जाने पर किसानों पर फिर एफआईआर बहुत जल्द दाखिल कर दी जाती है सभी सरकारी चुनाव के समय किसानों से समर्थन तो चाहती है पर किसानों को किए वायदे भूल जाती है। इस पर सरकार को जरूर गौर करना चाहिए। सत्ता में बैठी हुई सरकार देश के अन्नदाता पर रहम नहीं करेंगी सहयोग नहीं करेंगी किसान के दर्द को नहीं समझेंगे देश के किसान के साथ सरकारें न्याय पूर्वक कार्य नहीं करेंगे तो इसका रिजल्ट क्या होगा इस पर भी ध्यान देना होगा सरकारों को  देश की 36 बिरादरी किसानी करती है आप सहयोग करेंगे नहीं तो किसान का समर्थन कैसे ले पाओगे देश के अन्नदाता से सोचने और विचारने का विषय


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