मुकेश गुप्ता
गाजियाबाद । मुरादनगर स्थित भारतीय ज्ञान शोध संस्थान द्वारा संचालित ज्योतिष कोर्स के विद्यार्थियों के ‘दीक्षांत समारोह 2024’ का पावन चिंतन धारा आश्रम प्रांगण भव्य आयोजन किया गया। इस दीक्षांत समारोह में ज्योतिष कोर्स के प्रणव, प्रभाकर और प्रवीण के बैचों के देश भर के अलग-अलग शहरों से लगभग 500 से अधिक विद्यार्थी एवं उनके परिवारजन उपस्थित थे। ज्योतिष एक प्राच्य विद्या है जिसे त्रेता युग में श्रीराम जी ने भी अपने विद्यार्थी जीवन में गुरु के सान्निध्य में पढ़ा और द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने भी। यह विद्या अनेक युगों से अपने पठन-पाठन की ऐतिहासिक यात्रा की साक्षी रही है। ज्योतिष किसी भी विज्ञान की तरह एक विशुद्ध विज्ञान है और इसे उसी तरह से पढ़ा और समझा जाना चाहिए जैसे गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र आदि को पढ़ा और समझा जाता है। ज्योतिष कोई चमत्कार का शास्त्र नहीं है बल्कि वैज्ञानिक पद्धति से अनेक प्रकार की गणनाओं के माध्यम से किसी भी व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक और वैचारिक क्षमताओं, विकारों आदि के बारे में बताता है। जीवनोपयोगी इस ज्योतिशास्त्र का आयुर्वेद, योग और अष्टांग योग से गहन संबंध है।
संस्थान के संस्थापक परमपूज्य डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को योग, आयुर्वेद के साथ-साथ ज्योतिष भी सीखना चाहिए जिससे वह विभिन्न लक्षणों के आधार पर गणना करते हुए रोगों आदि के बारे में आंकलन कर सके और सही समय पर उचित चिकित्सीय सलाह भी दे सके। इस प्रकार से वह अपने ज्ञान और अनुभव को समाज के लिए उपयोगी बनाते हुए समाज की सेवा कर सके। दीप प्रज्वलन से दीक्षांत सामरोह का शुभारंभ हुआ और ज्योतिष पाठ्यक्रम की संयोजिका शीतल जी ने सभी अतिथियों, विद्यार्थियों और समारोह में उपस्थित अन्य सभी प्रतिभागियों का आश्रम की ओर से स्वागत किया और भारतीय ज्ञान शोध संस्थान, ज्योतिष पाठ्यक्रम के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया। दीक्षांत समारोह 2024 के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. राजकुमार द्विवेदी, आचार्यगण श्रीमती बरखा सिंघल, श्रीमती अलका शर्मा , श्रीमती ज्योति व्यास, श्रीमती स्नेहा अनेजा को उपहार भेंट आदि से सम्मानित किया गया। संस्थान की निदेशिका गुरु माँ डॉ. कविता अस्थाना ने कहा कि दीक्षांत यानी दीक्षा का अंत होता है लेकिन शिक्षा का कभी अंत नहीं होता। शिक्षा निरंतर जारी रहनी चाहिए और ज्योतिषी को आध्यात्मिक होना जरूरी है क्योंकि आध्यात्म ज्योतिष की अगली सीढ़ी है। तदुपरांत परमपूज्य डॉ. पवन सिन्हा जी 'गुरुजी' ने अपने संभाषण में ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्योतिष एक सुव्यवस्थित और वैज्ञानिक पद्धति है, जो गणना और विश्लेषण के माध्यम से विभिन्न बिंदुओं का आकलन करती है और तब निष्कर्ष देती है। यह निष्कर्ष व्यक्ति के भविष्य जीवन, उनकी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करता है।
परमपूज्य श्रीगुरु जी ने ज्योतिष कोर्स के सभी विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि ज्योतिष एक सतत सीखने की प्रक्रिया है, जिसमें नए ज्ञान और अनुभवों को आत्मसात करना आवश्यक है। एक ज्योतिषी के रूप में, यह महत्वपूर्ण है कि छात्र स्वयं को निरंतर बेहतर बनाते रहें और नए रिसर्च कार्य करते रहें। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. राजकुमार द्विवेदी ने अपने संभाषण में ज्योतिष पाठ्यक्रम में उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को हृदय से बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने विशेष रूप से विशिष्ट स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
डॉ. द्विवेदी ने अपने ज्योतिष, संस्कृत, शास्त्र आदि के गहन ज्ञान और व्यापक अनुभव के आधार पर उपस्थित लोगों को मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने ज्योतिष के महत्व और इसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला, जिससे उपस्थित लोगों को ज्योतिष के प्रति गहरी समझ और सम्मान की भावना विकसित हुई।
इसके उपरांत, सभी आचार्यगणों ने एक-एक करके सभी विद्यार्थियों को संबोधित किया और अपने शुभकामना संदेश दिए। आचार्यगणों ने विद्यार्थियों को उनके जीवन के आगे के चरण के लिए प्रेरित किया और उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इसके बाद सभी बैच में शीर्षस्थ तीन स्थान पाने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, रजत पदक और कांस्य पदक से अलंकृत किया गया। प्रवीण बैच (2020-21) में ऋचा शर्मा जी को स्वर्ण पदक और श्रीमती नमिता मालेवार जी को कांस्य पदक से अलंकृत किया गया। प्रवीण 2021-22 बैच की श्रीमती स्मिता शर्मा को स्वर्ण पदक और श्रीमती अर्चना शर्मा को कांस्य पदक से अलंकृत किया गया । प्रणव 2022-23 बैच के श्री. देवेन्द्र गुलाटी को रजत पदक और श्री.विवेक मिश्रा जी को कांस्य पदक से अलंकृत किया गया । प्रभाकर 2022-23 बैच के श्रीमती विनीता शेवानी को स्वर्ण पदक, श्रीमती शालिनी शुक्ला को रजत पदक और श्रीमती लीला मंधानिया जी को कांस्य पदक से अलंकृत किया गया ।
प्रणव 2023-24 बैच की श्रीमती मीन गुप्ता को स्वर्ण पदक, श्री केतन सागर एवं श्रीमती विनोद कुमारी को रजत पदक और श्रीमती हरप्रीत कौर चड्ढा जी को को कांस्य पदक से अलंकृत किया गया। प्रभाकर 2023-24 बैच के श्री नवल किशोर को स्वर्ण पदक, श्रीमती हेमा जोशी को रजत एवं श्रीमती सुनीता भोभारिया को कांस्य पदक से अलंकृत किया गया।
भारतीय संस्कृति और परंपरा के एक विशेष शास्त्र, एक विशेष ज्ञान परंपरा ‘ज्योतिष शास्त्र’ के संरक्षण, संवर्धन के लिए सभी विद्यार्थियों ने अपने योगदान के लिए प्रण लिया। समाज में ज्योतिषशास्त्र की सही अवधारणा की प्रतिस्थापना के लिए कटिबद्ध होकर कार्य करने का आश्वासन दिया। सामूहिक फोटो के उपरांत धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। भारतीय ज्ञान शोध संस्थान अनेक दशकों से भारतीय प्राच्य विद्याओं, जैसे योग, ज्योतिष, धर्म आदि के पुनर्जागरण के लिए कार्यशालाओं, वेबीनार आदि का आयोजन एवं ऊससे संबंधित पुस्तकों, पत्रिका का प्रकाशन भी करता है।
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