गाजियाबादःसिद्धेश्वर महादेव कुटी पाईप लाईन राड मकरेडा के महंत मुकेशानंद गिरि महाराज वैद्य ने कहा कि हिंदू सनातन धर्म में अक्षय नवमी का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु व आंवला के पेड़ की पूजा-अर्चना करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और घर परिवार में सुख- समृद्धि व शांति का वास होता है। अक्षय नवमी का व्रत हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन रखा जाता है। इस बार नवमी तिथि 09 नवंबर को रात 10 बजकर 45 मिनट से शुरू हो रही है और 10 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी।उदया तिथि के अनुसार अक्षय नवमी का व्रत 10 नवंबर को रखा जाएगा। हंत मुकेशानंद गिरि महाराज वैद्य ने कहा कि अक्षय नवमी के दिन आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने का भी विधान है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर सबसे पहले भगवान विष्णु और शिव जी को भोग लगाना चाहिए। आंवला के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इसी के चलते आंवला के पेड़ का इतना अधिक महत्व है और अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु के साथ इसकी पूजा-अर्चना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में अक्षय नवमी के व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवला के पेड़ से अमृत की बूंदे गिरती हैं। इसी कारण इस पर्व पर आंवला के पेड़ के नीचे भोजन ना सिर्फ बनाया जाता है, बल्कि किया भी जाता है। इस पर्व पर आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है और साधक की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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