गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025

श्री आनंदेश्वर महादेव मठ मंदिर कानपुर के जीर्णोद्वार हेतु आयोजित गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान की पूर्णाहुति हुईः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज

 



श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता में हुए अनुष्ठान में अंतिम दिन देश-विदेश के हजारों भक्त शामिल हुए

भक्तों को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज व  आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ

प्रयागराजःछोटी काशी के नाम से देश.विदेश में मशहूर जूना अखाडे की शाखा श्री आनंदेश्वर महादेव मठ मंदिर कानपुर के जीर्णोद्वार हेतु काली रोड पर जूना अखाडे के परिसर में आयोजित गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान की गुरूवार को पूर्णाहुति हो गई। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षकए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री व मंदिर के मुख्य महंत श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के दिशा-निर्देशन व अध्यक्षता में आयोजित शत चंडी महायज्ञ, रूद्र चंडी महायज्ञ व गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान में अंतिम दिन देश-विदेश के हजारों संत व श्रद्धालु शामिल हुए और पूजा-अर्चना करने के साथ ही हवन में आहुति दी। कन्या पूजन कर उन्हें भेंट दक्षिणा भेंट की गई। अनुष्ठान के अंतिम दिन श्रद्धालंओं को आदि जगद्गुरु शंकराचार्य संस्थान सुमेरूमठ काशी के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज व जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ। श्रीमहंत हरि गिरि महाराज, मंदिर के चारों सहायक महंत जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के सभापति श्रीमहंत उमाशंकर भारती महाराज, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंत्री श्रीमहंत केदार पुरी महाराज व श्री दूधेश्वर मंदिर के पीठाधीश्वर व जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने पूजन कर विश्व कल्याण की कामना से महायज्ञ में आहुति दी। श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि कानपुर का श्री आनंदेश्वर महादेव मठ मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि श्री आनंदेश्वर महादेव मठ मंदिर महाभारत काल से जुड़ा है। इस मंदिर में दानवीर कर्ण शिवलिंग की पूजा के बाद विलुप्त हो जाते थे। कर्ण को पूजा करते एक गाय ने देख लिया था। इसके बाद गाय भी वहीं जाकर अपना सारा दूध खुद ही चढ़ा देती थी। इसके बाद ग्रामीणों ने इस स्थान पर खुदाई कराई तो कई दिन की खोदाई के बाद यहां शिवलिंग मिला। ग्रामीणों ने शिवलिंग का अभिषेक कर गंगा किनारे ही स्थापित कर दिया। आनंदी गाय के दूध चढ़ाने के कारण ही मंदिर का नाम आनंदेश्वर पड़ा। मंदिर के जीर्णोद्वार का कार्य मुख्य महंत श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के दिशा-निर्देशन में चल रहा है। उनकी अध्यक्षता में ही प्रयागराज महाकुंभ में मंदिर के जीर्णोद्वार हेतु गुप्त नवरात्रि अनुष्ठान किया गया जिसकी गुरूवार को पूर्णाहुति हुई। अनुष्ठान थानापति अरूण भारती व अजय पुजारी की देखरेख में मुख्य आचार्य प्रामोद तिवारी ने 31 पंडितों के साथ  कराया। कुभ मेला प्रभारी श्रीमहंत मोहन भारती महाराज, श्रीमहंत महेश पुरी महाराज, श्रीमहंत शैलेंद्र गिरि महाराज, मुनि लाल पांडे, मंदिर जीर्णोद्वार समिति के पार्षद कीर्ति अग्निहोत्री, रमते पंचा, शंभू पंच व जूना अखाडे के सभी पदाधिकारियों की मौजूदगी में अनुष्ठान पूर्ण हुआ।

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