भगवान गणेश के सातवें अवतार विघ्नराज की पूजा.अर्चना करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैंः श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज
गाजियाबादःसिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में आयोजित 11 दिवसीय श्री दूधेश्वर गणपति लडडू महोत्सव के सातवें दिन भगवान गणेश के सातवें अवतार विघ्नराज की पूजा.अर्चना हुई। बारिश के बावजूद पूजा.अर्चना करने के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। शुक्रवार की पूजा में दीपाली ज्वलैर्स के संचालक व गाजियाबाद ज्वलैर्स एसोसिएशन के महामंत्री गौरव गर्ग व उनकी पत्नी शामिल हुए। पूजा.अर्चना विधि.विधान से श्री दूधेश्वर वेद विद्या पीठ के सचिव लक्ष्मीकांत पाढीए प्रधानाचार्य तयौराज उपाध्यायए रोहित त्रिपाठी सामवेदी व नित्यानंद आचार्य ने विधि.विधान से कराई।
भगवान गणेश के सहस्रनाम के पाठ के बाद प्राचीन देवी मंदिर द्वारका पुरी के महंत गिरीशानंद गिरी महाराज ने गणेश स्तुतिव आरती की तथा भगवान गणेश को मोदक-लडडू का भोग लगाया। गौरव गर्ग व उनकी पत्नी समेत मंदिर में पूजा के लिए आए सभी भक्तों ने श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। महाराजश्री ने भगवान गणेश के सातवें अवतार विघ्नराज के बारे में बताया कि एक बार माता पार्वती अपनी सखियों के साथ कैलाश पर्वत पर टहल रहीं थीं। सखियों से बातचीत में उन्हें हंसी आ गई। उनकी हंसी से एक विशाल पुरुष की उत्पत्ति हुई और उन्होंने उसका नाम मम रख दिया। मम वन में तप करने चला गयाए जहां उसकी मुलाकात शंबासुर से हुई। शंबासुर ने मम को कई आसुरी शक्तियां दीं। इसके बाद मम ने गणेशजी को प्रसन्न करके ब्रह्मांड का राज मांग लिया। जब इसके बारे में शुक्राचार्य को जानकारी मिली तो उन्होंने मम को दैत्यराज का पद दे दिया। पद मिलने के बाद मम ने देवताओं को कारागार में डाल दिया। तब देवताओं के आहवान करने पर भगवान गणेश ने विघ्नराज अवतार का अवतार लिया और ममासुर का मान मर्दन करते हुए देवताओं को कारागार से मुक्त कराया। श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने बताया कि भगवान गणेश का सातवां अवतार सभी विघ्नों को हरने वाला है। जो भी भक्त सच्चे मन से उनके इस अवतार की पूजा.अर्चना करता हैए भगवान गणेश उसके सभी विघ्नों को हरकर उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
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