भगवान गणेश को सिंदूर का टीका लगाने से माता लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती हैः श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज
गाजियाबादः सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में आयोजित 11 दिवसीय श्री दूधेश्वर गणपति लडडू महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को भगवान गणेश की पूजा.अर्चना करने के लिए भक्तों की भीड लगी रही। रविवार को मंदिर में भगवान गणेश के दूसरे स्वरूप एकदंत की पूजा.अर्चना विधि.विधान के साथ की गई। प्रातः 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक दूर्वा व लडडू तथा मोदक द्वारा गणपति जी का सहस्रार्चन व पूजन किया गया। गणेश स्तुतिए षोडशोपचार राज उपचारए भगवान गणेश के सहस्रनाम की भी पूजा हुई। भगवान का पंचामृत से अभिषेक किया गया। श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वरए श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ताए दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि भगवान गणेश को एकदंत भी कहा जाता है। उनके एकदंत कहाने की दो मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार एक समय भगवान शिव व माता पार्वती से मिलने भगवान परशुराम उ आए। उस समय भगवान शिव व माता पार्वती विश्राम कर रहे थेए इसलिए गणेश जी ने उन्हें भगवान शिव व माता पार्वती से मिलने नहीं दिया। इस पर भगवान परशुराम ने क्रोधित होकर उन पर फरसे से वार कियाए जिससे उनका एक दांत टूट गया और गणेश जी एकदंत के नाम से प्रसिद्ध हुए। दूसरी मान्यता के अनुसार एक बार महर्षि च्यवन ने अपने तपोबल के माध्यम से मद की रचना की थी और वह महर्षि का पुत्र भी कहलाया। मद दैत्य गुरु शुक्राचार्य से दीक्षा लेकर देवताओं पर अत्याचार करने लगा। तब सभी देवताओं ने भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र का आह्वान किया तो भगवान ने एकदंत के रूप में अवतार लिया। एकदंत भगवान ने मदासुर को युद्ध में पराजित कर दिया और देवताओं को अभय का वरदान दिया। मुख्य यजमान श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गर्ग ने भगवान गणेश का विशेष पूजन-अर्चन किया और कहा कि भगवान गणेश की पूजा से सभी विध्न दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मंदिर में रविवार को भगवान गणेश की पूजाण्अर्चना का सिलसिलासुबह से ही शुरू हो गया था। मीडिया प्रभारी एस आर सुथार ने बताया कि बडीं संख्या में लोगों ने भगवान गणेश की पूजाण्अर्चना की।मंदिर में रविवार को भगवान गणेश की पूजाण्अर्चना का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गया था। बडीं संख्या में लोगों ने भगवान गणेश की पूजाण्अर्चना की।
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