मुकेश गुप्ता
श्रद्धा से अपने पूर्वजों- पितरों का स्मरण करना ही श्राद्ध हैः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज
गाजियाबाद। सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर में पितृपक्ष के प्रथम दिन पूर्णिमा श्राद्ध का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंदिर में स्थापित सभी गुरु मूर्तियों व सिद्ध संतों की समाधियों की विशेष पूजा-अर्चना की गई तथा खीर-पूरी का भोग लगाया गया।
मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि श्राद्ध का वास्तविक अर्थ श्रद्धा है। श्रद्धापूर्वक अपने पूर्वजों-पितरों का स्मरण व नमन करना और सदैव सद्मार्ग पर चलते हुए ‘नर सेवा ही नारायण सेवा’ के आदर्श को चरितार्थ करना ही सच्चा श्राद्ध है। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में यह मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर पृथ्वी पर आते हैं। जब वे हमें धर्ममार्ग पर चलते व सेवा कार्य करते देखते हैं तो संतुष्ट होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर में अब तक 16 महंत हुए हैं। वर्तमान में 16वें पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज विराजमान हैं। उनके पूर्वज महंतों एवं सिद्ध संतों की समाधियाँ मंदिर परिसर में स्थापित हैं और पितृपक्ष के दौरान प्रतिवर्ष उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
रविवार को पूर्णिमा श्राद्ध से पितृपक्ष का शुभारंभ हुआ। इस दिन चंद्रग्रहण होने के कारण मंदिर के कपाट दोपहर 12 बजे बंद कर दिए गए, जिसके चलते सभी गुरु मूर्तियों को प्रातः 11 बजे ही खीर-पूरी का भोग अर्पित कर दिया गया। अब 21 सितंबर तक प्रतिदिन गुरु मूर्तियों की विशेष पूजा-अर्चना होगी और प्रातः 11रू30 बजे खीर-पूरी का भोग लगाया जाएगा।
12 सितंबर को मंदिर के 14वें महंत श्रीमहंत गौरी गिरि महाराज की पुण्य स्मृति में भंडारे का आयोजन होगा। इसमें साधु-संतों, श्री दूधेश्वर वेद विद्या संस्थान के आचार्यों, विद्यार्थियों एवं भक्तों को प्रसाद स्वरूप भोजन कराया जाएगा।

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