मुकेश गुप्ता
गाजियाबाद । लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरुप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में महान क्रान्तिकारी, मूर्धन्य विद्वान, बेजोड़ लेखक, समाजवादी विचारक शहीदे आजम भगत सिंह का जन्म दिन समारोह “शोषण मुक्त दिवस” के रूप में आयोजित किया गया, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता शिक्षाविद समाजवादी विचारक राम दुलार यादव रहे, अध्यक्षता प्रख्यात लेखक अमर जीत सिंह कलिंगा, संचालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र ने किया, मुख्य अतिथि डा0 विशन लाल गौड़ रहे, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया, इन्कलाब जिंदाबाद के जोरदार नारे लगाये गये| कार्यक्रम को सी0 बी0 मौर्य, कैलाश चन्द ने भी संबोधित किया, राजेन्द्र सिंह, हुकुम सिंह ने शहीदे आजम भगत सिंह के सम्मान में देश-प्रेम के गीत सुना सभी की ऑंखें नम कर दीं। पंडित विनोद त्रिपाठी ने ज्ञानपीठ सन्देश गाकर लोगों में उत्साह पैदा कर दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि शहीदे आजम भगत सिंह बाल्यकाल से ही शोषण, अन्याय, पाखंड, रुढ़िवाद और कुरीतियों के घोर विरोधी सद्भाव, भाईचारा, प्रेम और सहयोग की भावना के पक्षधर रहे, उनके जीवन में जलियावाला कांड जिसमे हजारों बेगुनाहों की जान गयी, घायल हुए, अपने घर से पैदल 12 मील चलकर उस मिट्टी का तिलक लगा प्रण किया और सांडर्स का वध कर बदला ले लिया, उनमे भारत माता को ब्रिटिश गुलामी से आजाद कराने की प्रबल इच्छा थी, उसी अनुरूप उन्होंने अपने क्रान्तिकारी साथियों के साथ लगातार संघर्ष करते हुए ब्रिटिश असेम्बली में बम धमाका कर दिया, गिरफ्तार हुए। देश के नवजवानों में क्रान्ति की ज्वाला का जन्म हो, हंसते-हंसते फांसी के फंदे को भारत माता को आजाद कराने, बहरे, गूंगों को सन्देश देने, अन्याय, शोषण मुक्त समाजवादी समाज बनाने के लिए चूम लिया, शहीदे आजम भगत सिंह बन गये, आज भी उनके विचार छात्रों, नवजवानों, किसानों, मजदूरों के सर्वांगीण विकास और उनके जीवन स्तर में सुधार हो प्रासंगिक है। उन्होंने विद्यार्थियों को आह्वान किया था “आपके लिए पढाई महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ-साथ देश की सामाजिक, आर्थिक स्थिति को समझना, जानना, उसमे आवश्यकतानुसार आमूल चूल परिवर्तन, यदि उस शिक्षा में शामिल नहीं, तो वह शिक्षा अज्ञानता से भरी है।
आज 21वीं शदी में सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था पर बाते बहुत होती है, लेकिन अन्याय, शोषण, असमानता, अमीर-गरीब की खाई बढती जा रही है, एशिया में आंकड़ा बताता है कि सबसे अधिक अरबपति भारत में है लेकिन गरीबी, भूख, पीड़ा और दर्द में कोई कमी नहीं आयी, यह विचारणीय है, शहीदे आजम भगत सिंह के सपनों का भारत बने, हमें ईमानदारी और नैतिक आचरण से शोषण और अन्याय मुक्त देश बनाने के लिए संकल्प लेना चाहिए, वर्तमान नेतृत्व के कथनानुसार यदि हम 2047 में विकसित राष्ट्र बन भी जाय तो भी यहाँ गरीबी बनी रहेगी, जैसे आज 81 करोड़ को अनाज अनुकम्पा में दिया जा रहा है, कमोबेस शायद ही इस स्थिति में सुधार हो।
कार्यक्रम को महानगर अध्यक्ष समाजवादी पार्टी वीरेन्द्र यादव एडवोकेट ने संबोधित करते हुए कहा कि 23 साल की उम्र में ब्रिटिश गुलामी से भारत को मुक्त कराने, शोषण और अन्याय, पाखंड के विरोध में लोगों को जागरूक करते हुए, इसलिए फांसी के फंदे को हंसते-हंसते चूम लिया था उनका उद्देश्य था यदि हम फांसी पर चढ़ गये तो देश के नवजवान देश की आजादी के लिए तथा अन्याय और शोषण विरुद्ध लड़ाई लड़ते हुए देश को आजाद कराने में संघर्ष करेंगे, आज लोकतंत्र, संविधान खतरे में है, आजादी के 78 वर्ष बाद ही हम शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को भूल गये, यह विडम्बना है, जिन्होंने देश को आजादी दिलवाने में अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया, हम निजी लाभ और स्वार्थ में लिप्त अपने हित में लगे है, हमें इस व्यवस्था को बदलना होगा, तथा शहीदे आजम भगत सिंह के व्यक्तित्व और विचार से प्रेरणा ले देश, समाज और व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करना होगा।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल रहे और शहीदे आजम भगत सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित किया, डा0 विशन लाल गौड़, राम दुलार यादव, अमर जीत सिंह कलिंगा, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, देवकर्ण चौहान, सी0 बी0 मौर्य, अनिल मिश्र, कैलाश चन्द्र, हुकुम सिंह, ओम प्रकाश अरोड़ा, सरदार मक्खन सिंह, विजय सिंह, ब्रह्म प्रकाश, मुनीव यादव, हरेन्द्र यादव, फौजुद्दीन, रामेश्वर यादव, सत्यपाल सिंह, राजेन्द्र सिंह, सुभाष यादव, अमृत लाल चौरसिया, एस0 एन0 जायसवाल, हरीस ठाकुर, सम्राट सिंह, फूल चन्द वर्मा सहित गणमान्य लोगों ने श्रद्धांजलि दी।



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