अयोध्या। विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मऋषि विभूति बी के शर्मा हनुमान ने बताया कि सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लगभग लोग जानते हैं कि अयोध्या को भगवान राम की नगरी कहा जाता है। इसलिए उनके परम भक्त हनुमान जी भी वहां सदैव वास करते हैं। हनुमान गढ़ी में भगवान श्रीराम से पहले हनुमान जी की पूजा करना अनिवार्य है। यहां हनुमान जी की मूर्ती बलिष्ठ और लाल रंग में है। मान्यता है कि भगवान राम जब लंका जीतकर अयोध्या लौटे, तो उन्होंने अपने प्रिय भक्त हनुमान को रहने के लिए यही स्थान दिया था। साथ ही ये अधिकार भी दिया कि जो भी भक्त यहां दर्शन के लिए अयोध्या आएगा, उसे पहले हनुमान का दर्शन-पूजन करना होगा। इसके अलावा इस मंदिर की एक और ख़ास बात है कि। यहां पर हनुमान जी के सबसे छोटे रूप के दर्शन करने के लिए 76 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है। ये हनुमान टीला है, जो हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पवनपुत्र हनुमान की 6 इंच की प्रतिमा है, जो हमेशा फूल-मालाओं से सुशोभित रहती है. हनुमान चालीसा की चौपाइयां मंदिर की दीवारों पर सुशोभित हैं। तो वहीं आपको बता दें कि यहां आज भी छोटी दीपावली के दिन आधी रात को संकटमोचन का जन्म दिवस मनाया जाता है।
पवित्र नगरी अयोध्या में सरयू नदी में पाप धोने से पहले लोगों को भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी होती है।मुख्य मंदिर में माता अंजनी की गोद में पवनसुत विराजमान हैं। इस यात्रा में विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय संगठनमंत्री देवेंद्र शर्मा, शिवकुमार शर्मा, मदन पाल शर्मा, सुनील शर्मा, आदि थे
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