शिवाजी को भारत के एक महान योद्धा और कुशल रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है. शिवाजी ने गोरिल्ला वॉर की एक नई शैली विकसित की थी. शिवाजी ने अपने राज काज में फारसी की जगह मराठी और संस्कृत को अधिक प्राथमिकता दी थी.
वसंत पावडे ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन परिचय देते हुए बताया कि कि किस तरह से अफजल खान का वध किया था व शाहिस्ता खान की उंगलियां काटी थी. उन्होंने कई सालों तक मुगल शासक औरंगजेब से लोहा लिया था. छत्रपति शिवाजी की मुगलों से पहली मुठभेड़ 1656-57 में हुई थी. उन्होंने मुगलों की ढेर सारी संपत्ति और सैकड़ों घोड़ों पर अपना कब्जा जमा लिया था. कहा जाता है 1680 में कुछ बीमारी की वजह से अपनी राजधानी पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद उनके बेटे संभाजी ने राज्य की कमान संभाली थी.
जहां एक ओर शिवाजी अपनी युद्धनिति से मुगलों की नाक में दम कर रखा था वहीं वो अपनी प्रजा का भी पूरा ध्यान रखते थे. शिवाजी एक धर्मनिरपेक्ष राजा थे उनके दरबार और सेना में हर जाति और धर्म के लोगों को उनकी काबलियत के हिसाब से पद और सम्मान प्राप्त था. सेना और प्रशासनिक सेवा में उन्होंने कई मुसलमानों को अहम जिम्मेदारी दे रखी थी. इब्राहिम खान और दौलत खान उनकी नौसेना में अहम पदों पर थे वहीं सिद्दी इब्राहिम को उन्होने तोपखाना का मुखिया नियुक्त किया था.
छत्रपति के जन्मोत्सव के अवसर पर परमार्थ समिति के अध्यक्ष वी के अग्रवाल, आरपी शर्मा पूर्व डिप्टी मेयर प्रवीण चौधरी, राष्ट्रीय व्यापार मंडल के चेयरमैन अशोक भारतीय, बालकिशन गुप्ता, महेश कुमार आहूजा, वीरेंद्र कंडारे, प्रवीण बत्रा, सौरव यादव, रितेश वर्मा, आशु पंडित, मनोज कुमार, सौरव यादव, चंद्रभान, अमृता प्रीतम, तेजवीर सिंह, सरोज तिवारी, एनडीआरएफ के निरीक्षक प्रवीण दूधे, श्रीकृष्ण पाटील, दौलत, राजेंद्र खेरकर, सुरेश इंगले, अंकित आदि गणमान्य व्यक्ति महिलाएं तथा बच्चे भी मौजूद रहे I
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें