मंगलवार, 14 मार्च 2023

जीपीए ने किताब -कॉपी के नाम पर हो रही लूट पर रोक लगाने के लिए जिलाधिकारी को दिया ज्ञापन

गाज़ियाबाद पेटेंट्स एसोसिएशन ने कॉपी - किताब के नाम पर लाखो पेड़ो को कटने से बचाने , पर्यावरण को सुरक्षित करने एवम अभिभावको के आर्थिक बोझ को कम करने के लिये शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए पुरानी किताबों का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करने एवम फीस अधिनियम 2018 के नियमानुसार जिले के सभी सीबीएसई/आईसीएसई स्कूलों को किसी भी छात्र को किसी विशिष्ट दुकान से पुस्तके , जूते , मोजे , यूनिफार्म खरीदने के लिये बाध्य नही करने के लिए जिलाधिकारी को ज्ञापन सौपा गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी और सरंक्षक मनोज शर्मा ने बताया कि जिले के निजी स्कूल अपने निजी हित और मोटी कमाई के लालच में हर वर्ष अक्सर अभिभावको को महेंगे दामों पर नई पाठ्यपुस्तकें खरीदने के लिए मजबूर करते हैं, जो जिले के हजारों परिवारों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ डालता है जिसकी गंभीरता को देखते हुये गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा जिलाधिकारी जी से निवेदन किया गया है कि अभिभावकों को आगामी शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए पुरानी किताब- कॉपी के उपयोग की अनुमति प्रदान की जाए। इससे बच्चों की शिक्षा पर होने वाले खर्च में काफी कमी आएगी और यह परिवारों के लिए अधिक किफायती हो जाएगा साथ ही हम किताब कॉपी के नाम पर लाखों पेड़ो को कटने से बचाकर पर्यावरण को सुरक्षित करने में भी अहम भूमिका निभा सकते है इसके साथ ही गाज़ियाबाद परेंट्स एसोसिएशन को अभिभावको की तरफ से लगातार शिकायत प्राप्त हो रही है कि निजी स्कूल संचालक कॉपियों पर अपने स्कूल का लोगो छपवाकर एवम   स्टेशनरी भी एक ही विशिष्ट दुकान अथवा विद्यालय परिसर से खरीदने को विवश कर रहे है अगर अभिभावक कॉपी एवम स्टेशनरी स्कूल से नही खरीद रहे है तो स्कूल संचालक अथवा स्कूल द्वारा नामित विशिष्ट दुकनदार किताबे देने से इनकार कर रहे है जो निजी स्कूल संचालकों की मनमानी और नियमानुसार नही है जिस पर जिलाधिकारी एवम शिक्षाधिकारियों द्वारा तत्काल रोक लगाना अतिआवश्यक है इसके अलावा एसोसिएशन ने जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि स्कूलों को माता-पिता को हर साल नई पाठ्यपुस्तकें खरीदने के लिए मजबूर करने पर रोक लगाई जाये  विद्यालयों को नई पाठ्य पुस्तकों की आवश्यकता तभी होनी चाहिए जब पाठ्यक्रम में कोई महत्वपूर्ण अद्यतन या संशोधन हो। अन्यथा, माता-पिता को पुरानी पुस्तकों का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए, जब तक कि वे अच्छी स्थिति में हों और वर्तमान पाठ्यक्रम के लिए प्रासंगिक हों।  इन उपायों को अपनाकर हम माता-पिता पर हर वर्ष पड़ने वाले वित्तीय बोझ को काफी हद तक कम कर सकते हैं और शिक्षा को सभी वर्ग के अभिभावको के  लिए अधिक सस्ती एवम सुलभ बना सकते हैं। यह सुनिश्चित करना प्रदेश सरकार एवम जिला प्रशासन के लिये महत्वपूर्ण है कि शिक्षा न केवल सस्ती एवम सुलभ हो बल्कि सभी परिवारों के लिए समान हो। ये महत्वपूर्ण कदम न केवल शिक्षा की लागत को कम करते हैं बल्कि संसाधनों की बर्बादी को कम करके पर्यावरण को सुरक्षित करने में भी अहम योगदान देते हैं। इस मौके पर मनोज शर्मा , राजू सैफी , पवन शर्मा , नरेश कुमार , धर्मेंद्र यादव , विवेक त्यागी आदि मौजूद रहे



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