रविवार, 4 जून 2023

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की शिकायत पर बाल आयोग ने डीएम से मांगा जबाब

                       मुकेश गुप्ता

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने अभी कुछ दिन पहले छात्र को कक्षा 7 से कक्षा 8 में प्रमोट नही करने पर छात्र के पिता की शिकायत का सज्ञान लेते हुये बच्चों के हितो की रक्षा करने वाली देश की सबसे बड़ी संस्था राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग , नई दिल्ली को शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत "नो डिटेंसन पालिसी " का हवाला देते हुये पत्र के माध्य्म से अवगत कराया था कि छात्र पर्व शर्मा पुत्र तुलसी शर्मा दास यूनिवर्सल अकैडमी , इंद्रपुरी , लोनी रोड ,गाजियाबाद में शिक्षा सत्र 2022-23 में कक्षा 7 का छात्र था । परीक्षा से पहले बच्चे को स्वस्थ संबंधी परेशानी होने के कारण परीक्षा ठीक से नही दे पाया है जिस पर स्कूल द्वारा छात्र को कक्षा 7 में फेल कर अगली कक्षा में प्रमोट नही किया गया है माता पिता द्वारा स्कूल प्रशासन से बच्चे को अगली कक्षा में प्रमोट करने का अनुरोध अनेको बार किया जा चुका था लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नही निकला उल्टे छात्र का नाम स्कूल प्रबंधन द्वारा ग्रुप से रिमूव कर दिया गया है  जिसके कारण छात्र गहरे मानसिक तनाव में है जो अत्यंत चिंता का विषय है यहाँ आपको बताते चले कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा-3 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है। आयोग को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोस्को ) अधिनियम, 2012, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 तथा निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के उचित और प्रभावी क्रियान्वयन की निगरानी करने का कार्य सौंपा गया है। सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत आयोग को देश में बाल अधिकारों और संबंधित मामलों के रक्षण और संरक्षण के लिए अधिदेशित किया गया है। इसके साथ ही आयोग को

सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 14 के तहत धारा-13 (1) (जे) में निर्दिष्ट किसी विषय की जांच करते समय और विशिष्ट

विषयों के संबंध में वह सभी शक्तियां प्राप्त हैं, जो सिविल प्रक्रियां संहिता 1908 के अधीन किसी वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय को होती हैं। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी और सचिव अनिल  सिंह ने बताया कि शिकायत का सज्ञान लेते हुये राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग ने 2019 में आरटीई अधिनियम 2009 में हुये बदलाव का हवाला देते हुये जिलाधिकारी से आरटीई एक्ट 2009 की धारा 16 के अंतर्गत करवाई कर 10 दिन के अंदर जबाब मांगा है अब देखना यह है कि क्या जिलाधिकारी बच्चे के भविष्य एवम हितों को मध्यनजर रखते हुये कोई कार्यवाई करेगे ? गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने शिकायत का सज्ञान लेने के लिए रस्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग का धन्यवाद किया है



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें