🔥स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सन्निध्य में सुलभ स्वच्छता पर्वतों की ओर अभियान की टीम ने किया फ्लेग इन सेरेमनी*
🇮🇳आइस एक्स, ट्रैकिंग का प्रतीक का हस्तांतरण
💐पूज्य स्वामी जी के साथ साझा किये अपने अनुभव
ऋषिकेश, 17 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन के पावन परिसर में एक ऐतिहासिक और प्रेरक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जब हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में स्वच्छता और स्वास्थ्य के संदेश को आगे बढ़ाने वाले अभियान “सुलभ स्वच्छता पर्वतों की ओर” के अंतर्गत ट्रैकिंग टीम ने पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की पावन सन्निध्य में फ्लैग-इन सेरेमनी सम्पन्न की। इस अवसर पर ट्रैकिंग अभियान का प्रतीक, आइस एक्स, टीम के सदस्यों ने स्वामी जी को हस्तांतरित किया, जो इस मिशन की सफलता और समर्पण का प्रतीक है।
इस समारोह में ब्रिगेडियर (डॉ.) राम प्रताप सिंह जी के नेतृत्व में टीम ने विश्वविख्यात परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया और अपने अनुभव साझा किए। स्वामी जी ने कहा कि यह अभियान केवल स्वच्छता का संदेश नहीं है, बल्कि यह हिमालय की पवित्रता, भारतीय संस्कृति और समाज सेवा का एक जीवंत उदाहरण है। उन्होंने बताया कि इस अभियान ने हिमालय में एक नया अध्याय लिखा है, जहाँ टीम ने दूरस्थ गांवों में जाकर ग्रामवासियों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया।
अभियान की शुरुआत जोशीमठ से हुई और टीम ने घांघरिया, फूलों की घाटी, हेमकुंड साहिब, बद्रीनाथ धाम, माणा गांव, भीमपुल और सरस्वती नदी जैसी पवित्र और संवेदनशील स्थलों में सघन स्वच्छता अभियान चलाया। अभियान के दौरान स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और हिमालय की शुद्धता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया गया। इस अभियान को सफल बनाने में टीम के लीडर राजीव रावत के साथ अनामिका बिष्ट, प्रेम ठाकुर, सुधांशु वर्मा, लक्ष्मण डोंगरियाल और वीरेंद्र राणा जैसे समर्पित युवा शामिल थे।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संबोधन में कहा कि हमें अपनी जीवनशैली में ‘यूज एंड थ्रो’ संस्कृति को छोड़कर ‘यूज एंड ग्रो’ की ओर बढ़ना होगा। उन्होंने आह्वान किया की कि अपने दैनिक जीवन में फोर आर का सिद्धांत अपनाएं अस्वीकार करें उन वस्तुओं को जो अनावश्यक हैं या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। अपनी खपत और अपव्यय को कम करें। चीजों का पुनः उपयोग करें और इस्तेमाल हो चुकी वस्तुओं को सही तरीके से रीसायकल करें।
स्वामी जी ने हिमालय को केवल भौगोलिक दृष्टि से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्व दिया। उन्होंने कहा कि हिमालय हमारी संस्कृति, सभ्यता और अध्यात्म की जड़ है। यह केवल बर्फ से ढकी पर्वतमालाएँ नहीं हैं, बल्कि भारत की आत्मा हैं। यह पावन भूमि जीवनदायिनी नदियों का स्रोत है, ऋषियों की तपोभूमि है और साधना और योग की भूमि है। हिमालय शुद्ध वायु प्रदान करता है, यह एक विशाल ऑक्सीजन बैंक है और साथ ही यह ध्यान, साधना और मोक्ष की ऊर्जा का स्रोत भी है। अगर हिमालय स्वस्थ रहेगा तो भारत भी स्वस्थ और समृद्ध रहेगा।
परमार्थ निकेतन में आयोजित इस अभियान और फ्लैग-इन सेरेमनी ने यह संदेश दिया कि जब समाज के समर्पित युवा और अनुभवशील नेतृत्व मिलकर कार्य करें, तो हिमालय जैसी दुर्गम और संवेदनशील भूमि में भी स्वच्छता और जागरूकता फैलाना संभव है। टीम ने इस अभियान के दौरान न केवल कचरा संग्रहण और पर्यावरणीय संरक्षण पर जोर दिया, बल्कि स्थानीय लोगों को स्थायी परिवर्तन की दिशा में प्रेरित भी किया।
इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी ने ट्रैकिंग टीम का अभिनन्दन करते हुये उन्हें रूद्राक्ष का पौधा भेंट करते हुये कहा कि यदि संकल्प सशक्त और उद्देश्य स्पष्ट हो, तो सबसे कठिन चोटियों को भी स्वच्छता, सेवा और समाज परिवर्तन का माध्यम बनाया जा सकता है। “सुलभ स्वच्छता पर्वतों की ओर” अभियान न केवल हिमालय की पवित्रता की रक्षा का संदेश देता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सामाजिक जिम्मेदारी और अध्यात्म के गहरे मूल्यों को भी उजागर करता है। हिमालय को बचाना, स्वच्छ रखना और उसके महत्व को समझना केवल पर्यावरणीय कर्तव्य नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी भी है।
यह अभियान हिमालय के कठिन रास्तों में चलकर स्वच्छता और जागरूकता का सशक्त संदेश देने वाला एक प्रेरक उदाहरण है। इसे इंडियन मांउटेनियरिंग फाउंडेशन और सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस आॅर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया।




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