मुकेश गुप्ता
गाजियाबाद। हिण्डन नदी के पुनर्जीवन और उसके पारिस्थितिक संतुलन को सुदृढ़ करने के लिए सोमवार को महात्मा गांधी सभागार में आयोजित हिण्डन वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में उत्थान समिति अध्यक्ष पर्यावरणविद् सत्येंद्र सिंह ने विशेषज्ञ सदस्य के रूप में भाग लेते हुए हिण्डन नदी पुनर्जीवन के प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (केपीआई) प्रस्तुत किए। पर्यावरणविद सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि यह दस्तावेज हिण्डन नदी के पुनर्जीवन के लिए एक व्यवस्थित, परिणाम-आधारित और समयबद्ध कार्यनीति का खाका प्रस्तुत करता है, जिसमें 35 बिंदुओं के माध्यम से जल गुणवत्ता सुधार, जैव विविधता पुनर्स्थापन, जनसहभागिता, नीति क्रियान्वयन और निगरानी व्यवस्था को परिभाषित किया गया है।
उन्होंने बताया कि हिण्डन नदी का पुनर्जीवन केवल पर्यावरणीय पहल नहीं है, बल्कि यह जनजीवन, कृषि, भूजल, जैव विविधता और सामाजिक स्वास्थ्य से सीधा जुड़ा हुआ विषय है। उन्होंने कहा कि इन संकेतकों का उद्देश्य नदी पुनर्जीवन के कार्यों को मापनीय, प्राप्त करने योग्य, यथार्थवादी और समयबद्ध बनाना है। उत्थान समिति के अध्यक्ष पर्यावरणविद् सत्येन्द्र सिंह ने बताया कि प्रमुख संकेतक 1 से 3 वर्ष के भीतर प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों में बिना शोधन वाले सीवेज या औद्योगिक अपशिष्ट का प्रवाह रोकना, नदी में प्रवेश करने वाले असंशोधित अपशिष्ट को पूर्ण रूप से बंद करना, प्रत्येक जिले में जल परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना, सीवेज ट्रीटमेंट और ईटीपी संयंत्रों की 90% परिचालन दक्षता सुनिश्चित करना, प्लास्टिक, गाद और ठोस अपशिष्ट के नियमन और वैज्ञानिक निस्तारण की व्यवस्था, नदी मित्र पहल की शुरूआत, विद्यालयों, महाविद्यालयों और समुदायों में जनजागरूकता अभियान प्रदूषण नियंत्रण हेतु नागरिक निगरानी तंत्र की स्थापना, महिला स्व.सहायता समूहों की सहभागिता, हिण्डन नदी दैनिक पुनर्जीवन मिशन के रूप में संस्थागत निकाय की स्थापना, पर्यावरणीय कानूनों का सख्त प्रवर्तन और दंडात्मक कार्रवाई, जिला एवं ब्लॉकस्तर पर नदी पुनर्जीवन समितियों का गठन, सीएसआर फंड और हरित बॉन्ड्स के माध्यम से वित्त पोषण जुटाना, जीआईएस आधारित निगरानी प्रणाली का विकास, आॅनलाइन हिण्डन नदी डैशबोर्ड तैयार करना आदि शामिल है। पर्यावरणविद् सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि इस पहल से न केवल हिण्डन नदी का पुनर्जीवन होगा, बल्कि यह स्वच्छ, हरित और स्वस्थ भारत के निर्माण में एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध होगा। यह दस्तावेज देश के लिए नदी प्रबंधन का एक मानक मॉडल बनेगा, जो आने वाली पीढ़ियों को जल और पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी का संदेश देगा। हिण्डन नदी हमारे पर्यावरण और संस्कृति की जीवनधारा है। यह योजना केवल प्रदूषण नियंत्रण का दस्तावेज नहीं, बल्कि समाज, उद्योग, और प्रशासन के संयुक्त प्रयास का रोडमैप है। इस ङढक को व्यवहारिक धरातल पर लागू करने से हिण्डन का पुनर्जीवन निश्चित रूप से संभव है। समिति द्वारा किए गए ड्रोन सर्वेक्षण और जल गुणवत्ता रिपोर्ट के आधार पर यह केपीआई तैयार किया गया है।

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