शुक्रवार, 18 नवंबर 2022

उत्तर भारत के निजी अस्पतालों की पहली X1 एंडोस्कोपी मशीन का एस एस एस पी व सीएमओ ने किया उदघाटन, पेट रोगों का एवं पेट के कैंसर का पता लगाना अब बहुत आसान हुआ---डा० पी एन अरोड़ा

 

गाजियाबाद। उत्तर भारत के निजी अस्पतालों की पहली X1 एंडोस्कोपी मशीन का उदघाटन यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी में हुआ। उदघाटन समारोह में गाजियाबाद जिले के एस एस पी श्री मुनिराज एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ भावतोष शंखधर ने फीता काट कर मशीन का उदघाटन किया

एसएसपी मुनिराज ने यशोदा अस्पताल के समस्त डॉक्टरों एवं स्टाफ को इस नई मशीन के हॉस्पिटल में लगने पर बधाई दी।  डॉ शंखधर ने कहा कि इस मशीन के माध्यम से रोगों एवं पेट के कैंसर का जल्दी डायग्नोसिस किया जा सकेगा तथा साथ ही मरीजों को जल्दी उपचार मिलने से एवं मिनिमल इंवेजिव तरीके से या स्कारलेस तरीके से सर्जरी करने से अस्पताल से जल्दी छुट्टी दी जा सकेगी इससे मरीज का खर्च भी कम होगा और असुविधा भी बचेगी.

इस समारोह में हॉस्पिटल के सी एम डी डॉ पी एन अरोड़ा विशेष रूप से मौजूद थे।  डॉ पी एन अरोड़ा  ने कहा कि उन्नत और जटिल थर्ड-स्पेस एंडोस्कोपिक प्रक्रियाओं को करने के लिए यह मशीन बहुत उपयोगी है।इसने  एंडोस्कोपिक सर्जिकल प्रक्रियाओं को करने के तरीके में क्रांति ला दी है।  यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी की पेट एवं लिवर विभाग के डायरेक्टर एवं प्रमुख डॉ कुणाल दास ने बताया कि X1 एंडोस्कोपी मशीन  पारंपरिक सफेद रोशनी के अलावा NBI (नैरो बैंड इमेजिंग) और AFI (ऑटो फ्लोरेसेंस इमेजिंग) प्रदान करती है। CV-1500 नैदानिक और चिकित्सीय निर्णय के लिए शक्तिशाली उन्नत परिणाम प्रदान करता है। नैरो-बैंड इमेजिंग एक उन्नत इमेजिंग प्रणाली है जो एंडोस्कोपिक छवियों को बढ़ाने के लिए ऑप्टिक डिजिटल तरीकों का प्रयोग करती है और म्यूकोसल सतह आर्किटेक्चर और माइक्रोवास्कुलर पैटर्न के विज़ुअलाइज़ेशन में सुधार करती है। हॉस्पिटल के पेट एवं लिवर विशेषज्ञ डॉक्टर हरित कोठारी ने बताया कि पेट में घावों का पता लगाने में नैरो-बैंड इमेजिंग एक महत्वपूर्ण सहायक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है। महत्वपूर्ण रूप से, यह सामान्य और घातक घावों के बीच भेद करने में मुख्यतः मदद करता है।  साथ ही बायोप्सी ( शरीर के अंग का टुकड़ा ) लेने के लिए सटीक रूप से जगह को चिन्हित करने और सही जगह से टुकड़ा निकालने में अत्यंत सहायक होता है। इस तकनीकी से जीआई ट्रैक्ट कैंसर,गैस्ट्रिक कैंसर, कोलन कैंसर के बारे में और भविष्य में कैंसर रोगियों के शरीर में कैंसर किस गति से बढ़ेगा यह आसानी से पता लगाया जा सकता है । रसौली की भी आसानी से यह पहचान करता है।डॉक्टर कुणाल दास ने बताया कि इसमें बिना चीरे के पेट की बड़ी सर्जरी की जा सकती हैं। इस अवसर पर गाजियाबाद के उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी मौजूद थे। 

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