रविवार, 30 नवंबर 2025

नेशनल लोकप्रिय हॉस्पिटल मालीवाडा मे हुआ निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन




रिपोर्ट---मुकेश गुप्ता

गाजियाबाद । 30 नवंबर 2025 दिन रविवार को  मेट्रो हॉस्पिटल नोएडा द्वारा नेशनल लोकप्रिय हॉस्पिटल मालीवाडा गजप्रस्थ पर एक निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया स्वास्थ्य जांच शिविर में हृदय रोग जनरल फिजिशियन आहार रोग बीपी शुगर  पीएफटी बीएमडी एवं नेत्र जांच का निशुल्क शिविर का आयोजन हुआ हजारों स्थानीय निवासियों ने निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का लाभ उठाया तथा स्थानीय जनता ने मेट्रो हॉस्पिटल नोएडा एवं नेशनल लोकप्रिय हॉस्पिटल द्वारा एक ही छत के नीचे सारी जांच करने के लिए धन्यवाद दिया

 डॉक्टर अविनाश शर्मा, डॉक्टर सतीश कुमार डॉक्टर राजीव अग्रवाल , डॉक्टर हर्ष कुमार डॉक्टर फैजल करीम डॉ सानिया फातिमा त्रिलोक पूनम कर्मवीर प्रवीण कुमार जितेंद्र यादव आदित्यराज पवार आदि के सहयोग से सफल आयोजन हुआ

कैम्प का उद्घाटन समाजसेवी व्यापारी नेता पंडित अशोक भारतीय व पार्षद राजेन्द्र तितौरिया ने डा अविनाश शर्मा के साथ मिलकर किया 

कैम्प मे मुख्य अतिथि  गाजियाबाद नाम परिवर्तन अभियान संयोजक संदीप त्यागी रसम रहे संदीप त्यागी रसम ने निशुल्क स्वास्थ्य जांच के आयोजन के लिए बधाई दी व गाजियाबाद नाम परिवर्तन के लिए समर्थन मांगा

तथा कैम्प में आशीष भटनागर नरेन्द्र गुप्ता नन्दी राम केशवानी मनोज कुमार आदि ने सहयोग प्रदान किया नेशनल हास्पिटल के डा अविनाश शर्मा ने मैट्रो अस्पताल नोएडा के सभी डाक्टर व आगंतुकगण का आभार व्यक्त किया


गाजियाबाद के नगर आयुक्त द्वारा लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम विकसित उत्तर प्रदेश विकसित भारत @2047 में साझा किए विचार

 




                       रिपोर्ट--मुकेश गुप्ता

2047 लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रहा है गाजियाबाद नगर निगम --नगर आयुक्त

गाजियाबाद । नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक द्वारा लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम  विकसित उत्तर प्रदेश विकसित भारत @ 2047 में गाजियाबाद नगर निगम की बढ़ती रफ़्तार को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए गए जिसमें गाजियाबाद में चल रहे स्मार्ट सिटी योजना,अमृत योजना, स्वच्छ भारत मिशन योजना व अन्य योजना के कार्यों को विस्तार से बताया गया, गाजियाबाद नगर निगम शहर में निर्माण कार्य में तेजी ला रहा है साथ ही 2047 तक गाजियाबाद नगर निगम पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनेगा जिसकी योजना के क्रम में निर्णय लेते हुए कार्य कर रहा है जिसमें गाजियाबाद नगर निगम उत्तर प्रदेश के साथ-साथ भारत और विश्व में भी अपनी पहचान बना रहा है विचार रखे गएl

गोमती नगर एक्सटेंशन लखनऊ स्थित नगरीय निकाय निदेशालय के सभागार में विकसित उत्तर प्रदेश विकसित भारत 2047 के कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें श्री अनुज कुमार झा निर्देशक नगर निकाय उत्तर प्रदेश द्वारा उत्कृष्ट कार्य कर रहे नगर निकायों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नगर विकास  मंत्री ए के शर्मा उपस्थित रहे तथा नगर विकास प्रमुख सचिव व अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिनके समक्ष गाजियाबाद नगर आयुक्त द्वारा गाजियाबाद नगर निगम के चल रही कार्यों तथा प्लानिंग को साझा किया गया जिसकी प्रशंसा उपस्थित अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई, कार्यक्रम में नगर आयुक्त द्वारा बताया गया कि  महापौर सुनीता दयाल कुशल नेतृत्व में गाजियाबाद नगर निगम द्वारा शहर हित में वर्तमान में विकास कार्य तेजी से चल रहे हैं जिसमें सी एम ग्रिड से लेकर स्पोर्ट्स कंपलेक्स व अन्य कार्य सफलतापूर्वक प्रारंभ कराए जा रहे हैं, इसके अलावा वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए भी शहर में निरंतर प्रतिदिन की कार्यशैली में भी विशेष बदलाव जनहित में किए गए हैं जिसमें गाजियाबाद नगर निगम को हाईटेक पद्धति से कार्य करने के लिए तैयार किया जा रहा है, गाजियाबाद नगर निगम उत्तर प्रदेश में सबसे बेहतर तथा आत्मनिर्भर नगर निकाय बने योजनाबद्ध तरीके से कार्य कराया जा रहा है, 2047 तक विकसित उत्तर प्रदेश विकसित भारत में गाजियाबाद नगर निगम की अहम भूमिका रहेगी योजना बनाते हुए निर्णय लिए जा रहे हैं जो सफल होते दिखाई दे रहे हैं 2047 में गाजियाबाद नगर निगम पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होगा इसी कामना के साथ कार्य किया जा रहे हैं नगर आयुक्त द्वारा विचार रखे गएl

विकसित उत्तर प्रदेश विकसित भारत @ 2047 के कार्यक्रम में गाजियाबाद के अलावा लखनऊ,गोरखपुर प्रयागराज, झांसी, वाराणसी के नगर आयुक्त द्वारा भी अपनी- अपनी प्लानिंग साझा की तथा उपस्थित जनों ने नगर निकायों को शुभकामनाएं देते हुए उत्साहवर्धन किया, विकास की रफ्तार में नगर निकायों के बीच प्रतिस्पर्धा भी जनहित में आवश्यक है माननीय मंत्री द्वारा उपस्थित जनों का उत्साह वर्धन किया गया, कार्यक्रम में मुख्य रूप से नीति आयोग की प्रोजेक्ट डायरेक्टर अन्ना रॉय भी उपस्थित रहींl

ए ब्लॉक कवि नगर में बैडमिंटन प्रतियोगिता का समापन

                     रिपोर्ट--मुकेश गुप्ता

गाजियाबाद । ए ब्लॉक कवि नगर वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय बैडमिंटन प्रतियोगिता का आज समापन हुआ। प्रतियोगिता में कुल 60 पुरुष ,महिला बालक ,एवं बालिकाओं ने अपने-अपने आयु वर्ग में हिस्सा लिया ।

विजेताओं में युवराज ,अरनव ,प्रियंका ,देवांश, आशुतोष पैशना, रीवान , रूहतंकीका तथा द्वितीय स्थान पर अरनव ,अभिषेक ,शलज,स्वाति, आशुतोष ,माधव ,शौर्य ,आराध्या, अभिनव और वेदिका रहे श्री अमित चौधरी (सचिव) व ललित जायसवाल ने सभी को ट्राफी व नगद राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की गई।चीफ रेफरी श्री सौरव गुप्ता व एमपायर श्री प्रियांशु चौधरी को भी सम्मानित किया गया प्रतियोगिता में विशेष सहयोग शलज ओर सुमित का रहा।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती बैंकाक यात्रा पर,स्वर्ण भूमि एयरपोर्ट पर उतरते ही भारतीय संस्कृति की अद्भुत झलकियाँ

 



*✨भारतीय ज्ञान परम्परा का विस्तार बैंकाक में स्पष्ट* 

*💫स्वर्णभूमि एयरपोर्ट से लेकर हर कोने में आध्यात्मिक सरिता की जीवंत धारायें प्रवाहित* 

*🌸आध्यात्मिक प्रवास के दौरान पटेल परिवार ने पूज्य स्वामी जी और पूज्य साध्वी जी को वर तेजस और वधु जानकी के विवाह समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित किया*

*✨नव दम्पति तेजस व जानकी ने लिया पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद*

बैंकाक, ऋषिकेश, 30 नवम्बर। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष डा साध्वी भगवती सरस्वती जी बैंकाक प्रवास पर हैं। स्वर्णभूमि एयरपोर्ट पर उतरते ही उन्हें भारतीय संस्कृति की अद्भुत, सौम्य तथा आध्यात्मिक झलकियाँ देखने को मिलीं।

पूज्य स्वामी जी व साध्वी जी को अपने बीच पाकर स्थानीय लोग गद्गद हो गये। इस दौरान उन्होंने बैंकाक-थाईलैंड के राजपरिवार, पटेल परिवार और स्थानीय लोगों से भेंट की। स्थानीय लोगों ने बैंकाक में मनाये जाने वाले पर्वो व त्यौहारों का जिक्र करते हुये कहा कि  जैसे भारत में नवरात्रि का पर्व शुचिता, पवित्रता और सात्त्विकता के साथ मनाया जाता है, उसी प्रकार बैंकाक में भी उन दिनों को अत्यंत शुद्धता, पवित्रता व सात्विकता के साथ, सात्विक आहार ग्रहण कर मनाया जाता है। बैंकाक में भारतीय ज्ञान, परम्परा का स्वभाविक विस्तार सहज ही दिखाई देता है। स्वर्णभूमि एयरपोर्ट से लेकर शहर के हर कोने में आध्यात्मिक सरिता की एक जीवंत धारा मानो प्रवाहित होती प्रतीत होती है।

बैंकाक में रहने वाले भारतीय संस्कृति के उपासकों का उत्साह और समर्पण विशेष रूप से उल्लेखनीय है। वे नवरात्रि पर्व को भारत की ही तरह श्रद्धा और भक्ति से मनाते हैं। नौ दिनों तक शुद्ध सात्त्विक आहार ग्रहण करते हैं और नवमी के दिन भगवान शिव तथा प्रभु श्री राम की रथयात्रा बड़े ही हर्षोल्लास से निकालते हैं। यहां के मन्दिरों में और रथयात्रा के आयोजन में भारतीय मूल के पुरोहित सम्मिलित होते हैं और थाई नागरिक भी बड़ी प्रसन्नता और सहयोग भाव से इसमें सहभागी बनते हैं। पूरा परिसर भारतीय संस्कृति के भाव, भक्ति और रंगों से सराबोर हो जाता है।

यहां के राजपरिवार के हृदय में भी भारतीय संस्कृति और संस्कारों के प्रति अगाध श्रद्धा है। वे हर धार्मिक गतिविधि में गहन भक्ति और सम्मान के साथ सहभागी होते हैं तथा स्वयं को लवकुश के वंशज मानते हैं। विगत माह राजमाता का शरीर शांत हुआ। पूज्य स्वामी जी और पूज्य साध्वी जी ने पूरे राजपरिवार से मिलकर उनकी आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की। इस दौरान थाईलैंड में आए बाढ़ के कारण हुए नुकसान के लिए भी विशेष प्रार्थना की गई।

रथयात्रा के दौरान थाई भक्तों का समर्पण अत्यंत प्रेरणादायक होता है। वे पूजन-अर्चन के साथ प्रभु को नारियल अर्पित करते हैं। उनका विश्वास है कि नारियल समर्पण का प्रतीक है, जिसके माध्यम से वे स्वयं को प्रभु को अर्पित कर रहे हैं। थाई संस्कृति भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से सुसज्जित है, परन्तु यहां भगवान शिव, भगवान गणेश, प्रभु श्री राम तथा सभी देव रूपों की पूजा अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ होती है। यह दृश्य भारतीय संस्कृति की वैश्विक स्वीकृति और आध्यात्मिक प्रभाव का सशक्त प्रमाण है।

बैंकाक और थाईलैंड के अन्य क्षेत्रों से अनेक श्रद्धालु प्रतिवर्ष भारत के पावन बोधगया में आते हैं। यह उनकी भारतीय संस्कृति, सनातन परंपरा और भारतीय आध्यात्मिक धरोहर के प्रति गहरी श्रद्धा का प्रमाण है। 

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि थाई लोगों ने भारतीय संस्कृति को केवल अपनाया ही नहीं, बल्कि अपने देश और दिल दोनों में सुरक्षित तथा संरक्षित भी रखा है। जैसे ही वे स्वर्णभूमि एयरपोर्ट से पटाया की ओर बढ़े, हर ओर भारतीयता की सुगंध और आध्यात्मिकता का सौम्य स्पर्श अनुभव हुआ। इसके साथ ही उन्होंने देखा कि यहां प्रकृति का संरक्षण अत्यंत अनुकरणीय है। विशाल पर्वत, हरीतिमा से आवृत क्षेत्र और पर्यावरण संरक्षण के विविध प्रयास यहाँ की सुन्दरता और चेतना को और भी उज्ज्वल बनाते हैं। प्रकृति और  संस्कृति का संगम, भारत में तो देखने को मिलता ही है, ऐसा अद्भुत संगम वहां भी देखने को मिला।

पूज्य स्वामी जी ने आगे कहा कि भारत, पुष्कर में भगवान ब्रह्मा जी का प्रसिद्ध मंदिर है, परन्तु बैंकाक में जगह-जगह ब्रह्मा जी के भव्य मंदिर देखने को मिलते हैं। श्री गणेश जी, भगवान शिव, श्री राम, माता काली और शक्ति के विविध स्वरूप यहाँ प्रतिष्ठित हैं। इन सभी के पूजन में थाई लोग बड़ी निष्ठा और आनंद से जुटते हैं। यह दृश्य बौद्ध और सनातन परम्पराओं के अद्भुत और सौहार्दपूर्ण संगम का प्रतीक है। यहां के मंदिरों में संस्कृत मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, चाहे वह सनातन मंदिर हो या बौद्ध। भले ही उच्चारण में स्वर के अंतर हों, लेकिन भावना, भक्ति और आदर पूर्णतया भारतीय रंग में रँगा हुआ प्रतीत होता है।

स्वामी जी ने कहा कि यह अत्यंत प्रेरणादायक है कि थाई संस्कृति में भारतीय संस्कृति के अनेक तत्व गहराई से समाहित हैं, नामों में संस्कृत का प्रयोग, मंदिरों की स्थापत्य शैली, पूजा-पद्धति तथा आध्यात्मिक आयोजन, सब भारतीय संस्कृति से प्रभावित हैं। यह दृश्य देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो बैंकाक में भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण की एक दिव्य गाथा साकार हो रही हो। भारतीयता, अध्यात्म और संस्कृति का यह उत्सव यहां के प्रत्येक हृदय में धड़कता है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि बैंकाक के लगभग 80 प्रतिशत होटल डेस्टिनेशन वेडिंग्स के कारण पूर्ण रूप से भरे हुए हैं। अधिकांश भारतीय परिवार आजकल यहां आकर विवाह समारोह आयोजित करते हैं। साध्वी जी ने कहा कि हमारा उत्तराखंड भी हरियाली और अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है; उसे भी डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में विकसित किया जा सकता है। उत्तराखंड स्वयं भगवान शिव की पावन धरती है यहां गंगा जी हैं, हिमालय है और अपार    प्राकृतिक सौन्दर्य बिखरा है। यहां विश्व-स्तरीय डेस्टिनेशन वेडिंग सेंटर्स बनाये जा सकते हैं।

आज बैंकाक में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी स्वयं भारत की अद्भुत, प्राचीन और व्यापक सांस्कृतिक परम्परा के वैश्विक स्वरूप का साक्षात् अनुभव कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह दृश्य केवल संस्कृति की उपस्थिति नहीं, बल्कि मानव-हृदयों में बसे सनातन मूल्यों की जीवंतता का उत्सव है, यह दिव्यता, शुचिता और आध्यात्मिक एकात्मता की एक अनंत यात्रा है।  

बैंकाक में गौतमभाई पटेल, रीटाबेन पटेल, निकभाई पटेल, प्रवीणभाई, मोहन पारा जी तथा सम्पूर्ण पटेल परिवार ने पूज्य स्वामी जी और पूज्य साध्वी जी को तेजस और जानकी के विवाह समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित किया। पटेल परिवार भारतीय संस्कृति और संस्कारों को समर्पित जीवन जीने वाला परिवार है। लगभग 46 वर्ष पूर्व, पीट्सबर्ग (अमेरिका) में पूज्य स्वामी जी की प्रेरणा से निर्मित हिंदू जैन टेम्पल के निर्माण में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। और अब कृ 45 वर्ष बाद कृ उसी हिंदू जैन मंदिर के शिखर निर्माण में भी उन्होंने अद्भुत और अविस्मरणीय योगदान दिया है।

चिल्ड्रन्स एकेडमी का 40वाँ स्थापना दिवस धूमधाम से संपन्न

 








                       रिपोर् -मुकेश गुप्ता

गाजियाबाद, 30 नवम्बर 2025: चिल्ड्रन्स एकेडमी द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय सभागार में अपने 40वें स्थापना दिवस का शनिवार को भव्य आयोजन अत्यंत हर्षोल्लास और उत्साह के साथ किया गया। स्थापना दिवस का मुख्य कार्यक्रम "आरम्भ" शीर्षक से प्रस्तुत किया गया, जो मानव जीवन की किशोरावस्थापर आधारित था।

कार्यक्रम में भारतीय जल सेना के रियर एडमिरल श्रीराम अमूर (VSM) मुख्य अतिथि के रूप में तथा हार्टफुलनेस संस्था के वी. श्रीनिवासन सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर विद्यालय के डायरेक्टर  पी.एस. राणा. एकेडमिक डायरेक्टर हर्ष राणा, तथा प्रधानाचार्या श्रीमती कमलेश राणा महित अन्य गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों द्वारा संगीतमय प्रस्तुति से हुआ, जिसमें विभिन्न वाद्ययंत्रों पर सुमधुर संगीत ने दर्शकों का मन मोह लिया। इसके पश्चात स्वागत गान प्रस्तुत किया गया।

मुख्य नाट्य प्रस्तुति में किशोरावस्था के विविध भावों को नव रसों के माध्यम से मनोरंजक, रोचक और प्रेरणादायक शैली में प्रस्तुत किया गया। नाटक ने उपस्थित दर्शकों और अतिथियों को मोह लिया।

वार्षिक रिपोर्ट विद्यालय के एकेडमिक डायरेक्टर  हर्ष राणा ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने गत वर्ष की उपलब्धियों, सफलताओं और विभिन्न आयामों में विद्यालय की प्रगति का उल्लेख किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीराम अमूर एवं सम्मानित अतिथि  वी श्रीनिवासन ने विद्यार्थियों की प्रस्तुति की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे प्रेरणादायक कार्यक्रम बच्चों के व्यक्तित्व और चिंतन को समृद्ध करते हैं। उन्होंने विद्यालय प्रबंधन, शिक्षकों और छात्रों को उत्कृष्ट आयोजन के लिए बधाई दी। कार्यक्रम का समापन पर  विद्यालय के डायरेक्टर  पी.एस. राणा ने सभी अतिथियों, अभिभावकों और दर्शकों का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का औपचारिक समापन किया।

शुक्रवार, 28 नवंबर 2025

जेकेजी इंटरनेशनल स्कूल, इंदिरापुरम में प्लास्टिक के उपयोग दुष्प्रभावों पर सेमिनार आयोजित




                                  मुकेश गुप्ता       

गाजियाबाद । जेकेजी इंटरनेशनल स्कूल, इंदिरापुरम में 27 नवंबर 2025 को एक प्रभावशाली एवं भावनात्मक नाटक (स्किट) का आयोजन किया गया, जिसमें कक्षा 8 के विद्यार्थियों ने RIDS गतिविधि – “रीक्लेम द प्लास्टिक” के अंतर्गत प्लास्टिक उपयोग के दुष्प्रभावों एवं इसके प्रति जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण संदेश प्रस्तुत किया।

इस प्रस्तुति की विशेषता इसका अंतरराष्ट्रीय आयाम रहा, जहाँ विद्यार्थियों ने भारत, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, ताइवान और नेपाल में प्लास्टिक उपभोग को कम करने हेतु अपनाई जा रही सरकारी रणनीतियों एवं जन-जागरूकता अभियानों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की गरिमा उस समय और बढ़ गई जब ट्रिटन सेकेंडरी स्कूल, नेपाल के कक्षा 6–8 के विद्यार्थियों ने वर्चुअल रूप से सहभागिता की। उनकी उत्साही भागीदारी ने प्रस्तुति को और समृद्ध बनाया। कार्यक्रम के दौरान मेजबान एवं साझेदार विद्यालयों के विद्यार्थियों ने एक-दूसरे का मूल्यांकन किया तथा पर्यावरण को प्लास्टिक-मुक्त बनाने के लिए प्रतिज्ञा भी ली।

विद्यालय की प्राचार्या सुश्री निधि गौड़ ने टीम जेकेजीआईएस के प्रयासों की सराहना करते हुए विद्यालय की सतत विकास एवं प्लास्टिक उपयोग में कमी की दिशा में निरंतर कार्य करने की प्रतिबद्धता को दोहराया।


करौली स्थित शंकर महादेव मंदिर से करौली शंकर महादेव आये परमार्थ निकेतन

 





*✨परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में किया सहभाग*

*🌸आध्यात्मिक व समसामरिक विषयों पर हुई चर्चा*

*💫महा मानव, महात्मा ज्योतिबा फुले, गौरव, गरिमा और मानवोन्मुख परिवर्तन के युगदृष्टा*

*💐महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन*

ऋषिकेश, 28 नवम्बर। करौली स्थित प्राचीन पवित्र शंकर महादेव मंदिर से श्री करौली शंकर महादेव जी का परमार्थ निकेतन आगमन हुआ। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्वविख्यात गंगा जी की आरती में विशेष रूप से सहभाग किया। इस दौरान आध्यात्मिक उन्नति और समसामरिक विषयों पर चर्चा हुई।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि करौली स्थित शंकर महादेव मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह साधना, सिद्धि और आत्मिक उन्नति का स्थान है। उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक समय में हमारी बुद्धि तो अत्यधिक बढ़ रही है, परन्तु मन और आत्मा की शुद्धि धीरे-धीरे खोती जा रही है। जीवन में सबसे बड़ी सिद्धि केवल भौतिक सफलता या ज्ञान नहीं, बल्कि प्रसन्नता और आत्मिक शांति है।

स्वामी जी ने कहा कि अक्सर हम अपने जीवन में धन, पद और प्रतिष्ठा अर्जित कर लेते हैं। हम अलमारियों को संपत्ति और उपलब्धियों से भर लेते हैं, ऐसी भागदौड़ में कई बार हम स्वयं खाली ही रह जाते हैं। साधना का वास्तविक अर्थ यही है कि हम अपने भीतर की शून्यता को भरें, स्वयं को पहचानें और आत्मा का वास्तविक अनुभव प्राप्त करें।

उन्होंने कहा कि यदि जीवन में शुद्धि और शोध नहीं है, तो प्रतिशोध और नकारात्मकता बढ़ती जाती है। स्वामी जी ने आदि गुरू शंकराचार्य जी द्वारा रचित भज गोविन्दम् के श्लोक-कस्त्वं कोऽहम् कुत आयातः मे जननी को मे तातः इति परिभावय निजं संसारं सर्वं त्यक्त्वा स्वप्न विचारम्, की गहन व्याख्या की। स्वामी जी ने कहा कि इस श्लोक का संदेश अत्यंत महत्वपूर्ण है हमें अपने वास्तविक स्वरूप, अपने आत्मा और ईश्वर को पहचानना चाहिए। संसार में उलझ कर, केवल बाहरी सुख-साधनों को पाने में लगना, हमें शून्यता और अधूरी अनुभूति की ओर ले जाता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने यह भी स्पष्ट किया कि भज गोविन्दम् केवल भक्ति का संदेश नहीं देता, बल्कि यह जीवन के वास्तविक उद्देश्य और संसार को त्यागने की शिक्षा देता है। जब हम अपने भीतर के भ्रम, अहंकार और मोह से मुक्त होते हैं, तभी हम वास्तविक शांति और आत्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

श्री करौली शंकर महादेव जी ने कहा कि साधना का मूल उद्देश्य स्वयं को जानना, अपने भीतर की पूर्णता को अनुभव करना और आत्मा का जागरण करना है। जब हम स्वयं को पा लेते हैं, तभी हम बाहरी संसार में भी शांति, संतोष और प्रसन्नता का अनुभव कर सकते हैं। उन्होंने उपस्थित साधकों और भक्तों को प्रेरणा दी कि जीवन में सच्ची सिद्धि प्रसन्नता, संतोष और आत्मिक जागरूकता में निहित है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भौतिक उपलब्धियाँ तो बढ़ रही हैं, लेकिन मन और आत्मा की शुद्धि की ओर ध्यान देना अतिआवश्यक है।

स्वामी जी ने महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन करते हुये कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले समाज-सुधार की पवित्र धारा के वह तेजस्वी युगदृष्टा थे, जिन्होंने भारतीय समाज को समता, शिक्षा, न्याय और मानव गरिमा के दिव्य मूल्यों से आलोकित किया। सावित्रीबाई फुले के साथ प्रथम बालिका विद्यालय की स्थापना, सत्यशोधक समाज का गठन, नारी सम्मान, विधवा विवाह और सामाजिक समरसता हेतु उनका अदम्य संघर्ष राष्ट्र की आत्मा को नई दिशा देता है। “सबके लिए शिक्षा, सबके लिए न्याय” का उनका उद् घोष आज भी आधुनिक भारत का पथप्रकाश है। सत्य, साहस और करुणा से ओतप्रोत उनका जीवन समाज-परिवर्तन की अमूल्य धरोहर है।

स्वामी जी ने श्री करौली शंकर महादेव को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट कर मां गंगा जी के तट पर उनका अभिनन्दन किया। उन्होंने इस यात्रा को अभुतपूर्व बताया।

गुरुवार, 27 नवंबर 2025

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने हरियाणा से आये 200 से अधिक बच्चों को दिया संदेश संविधान ही है समाधान

 

*✨संविधान दिवस, राष्ट्रीय चेतना, कर्तव्य और एकता का महापर्व*

*💥26/11 के शहीदों को परमार्थ निकेतन से विनम्र श्रद्धांजलि*

*🌸संविधान के शिल्पी, बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी की राष्ट्र साधना को नमन*

ऋषिकेश, 26 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज हम सभी देशवासियों के लिए अत्यंत गर्व और प्रेरणा का दिन है। संविधान दिवस हमें न केवल भारत के संविधान के निर्माण की ऐतिहासिक यात्रा की याद दिलाता है, बल्कि उन महान विभूतियों के प्रति कृतज्ञता से भी भर देता है, जिन्होंने संविधान की रचना और उसकी रक्षा हेतु अपने प्राणों तक का बलिदान कर दिया। आज हम उन महापुरुषों को नमन करते हैं जिनकी दूरदृष्टि, कठिन परिश्रम और समर्पण ने हमें एक ऐसा सशक्त संवैधानिक ढाँचा दिया, जो विश्व में अद्वितीय है।

हरियाणा के स्कूलों से आए बच्चों ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी से भेंट की। स्वामी जी ने उन्हें “राष्ट्र प्रथम हम तभी हैं जब हमारा देश है” का प्रेरक संदेश दिया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत का संविधान, हमारे राष्ट्र की धड़कन है। हमारा संविधान केवल एक विधायी दस्तावेज नहीं है, यह भारत की आत्मा, संस्कृति, विविधता और आदर्शों का सार है। इसमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत जड़ों के रूप में निहित हैं, जो हमें एकता के सूत्र में बाँधते हैं। संविधान हमें अधिकार देता है, लेकिन साथ ही कर्तव्य की याद भी दिलाता है, क्योंकि केवल अधिकारों पर आधारित समाज कभी स्थायी नहीं होता, उसे कर्तव्यों के पालन से ही मजबूती मिलती है।

इस पावन दिवस पर विशेष रूप से भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर को नमन करते हुये कहा कि उनका योगदान केवल संविधान के निर्माण तक सीमित नहीं था, उन्होंने भारत को वह दृष्टि दी जो सामाजिक न्याय, समानता और मानव गरिमा के आधार पर एक नए भारत का निर्माण करती है। बाबा साहेब का जीवन संघर्ष, संकल्प और समर्पण का प्रतीक है। आज जब हम संविधान दिवस मना रहे हैं, तो यह आवश्यक है कि हम बाबा साहेब के संदेश, “संविधान तभी सफल होगा, जब जनता उसे आत्मसात करेगी” को अपने जीवन का मंत्र बनाएं।

स्वामी जी ने कहा कि आज भी भारत अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन चाहे समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो, उसका समाधान संविधान के मूल्यों में ही निहित है। संविधान ही समाधान है। यदि प्रत्येक नागरिक संविधान की मर्यादा को समझे, कानून का सम्मान करे, अपने कर्तव्यों को निभाए और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखे, तो कोई भी संकट हमारे देश की प्रगति को रोक नहीं सकता।

आज का दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि यदि दुनिया में संविधान और कानून का सख्ती से पालन हो, तो 26/11 जैसी अमानवीय और दर्दनाक घटनाएँ दोबारा कभी नहीं होगी। जब नियमों को ताकत, हिंसा और आतंक पर प्राथमिकता दी जाती है, तभी समाज सुरक्षित रह सकता है। 26/11 का आतंकवादी हमला एक गहरा घाव है, जिसने बताया कि सुरक्षा, सतर्कता और मजबूत कानून-व्यवस्था लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताएँ हैं।

हम 26/11 के उन सभी वीर शहीदों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और जन-सेवा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। उनका साहस, त्याग और राष्ट्रभक्ति हमें सदैव प्रेरित करेगी। राष्ट्र उनकी वीरता को कभी नहीं भूल सकता। उनकी स्मृति हमें यह संदेश देती है कि संविधान की रक्षा केवल पुस्तकों में लिखे शब्दों से नहीं होती, बल्कि उन वीरों के रक्त और समर्पण से होती है, जो राष्ट्र के लिए सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं।

आज का दिन आत्मचिंतन का अवसर है, क्या हम संविधान द्वारा प्रदत्त कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं? क्या हम सामाजिक सद्भाव, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, अनुशासन, सत्यनिष्ठा और राष्ट्रहित को प्राथमिकता दे रहे हैं? यदि हर नागरिक यह संकल्प ले कि वह संविधान की मर्यादा का पालन करेगा, तो एक विकसित, सुरक्षित और समृद्ध भारत का सपना अवश्य साकार होगा।

आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती 26/11 के शहीदों को समर्पित की।

लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट ने ज्ञानपीठ केन्द्र 1पर “संविधान दिवस” कार्यक्रम का आयोजन किया


                             मुकेश गुप्ता

 गाजियाबाद ।  26 नवम्बर 2025 को लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरुप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में “संविधान दिवस” कार्यक्रम का आयोजन किया गया, समाजवादी चिन्तक, शिक्षाविद राम दुलार यादव के नेतृत्व में कार्यक्रम आयोजित किया गया। सभी साथियों ने बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकर को संविधान निर्माता के रूप में याद करते हुए उनके द्वारा बनाये विश्व के सर्वश्रेष्ठ संविधान व  संवैधानिक संस्थाओं की रक्षा का संकल्प लिया, संविधान की प्रस्तावना पढ़ने के बाद, देश-प्रेम के गीत प्रस्तुत किये गये, विद्यालयों में संविधान की मूल, भावना, मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के अध्ययन की व्यवस्था करने की सत्ता से मांग की गयी ।

         कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि हमें भारत के संविधान पर गर्व है, जिसे बाबा साहेब डा0 अम्बेदकर ने कठिन परिश्रम कर रात-दिन एक कर 2 साल 11 महीने 18 दिन में तैयार किया, हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हो, विधिवत कार्य करने लगा, जनता को मौलिक अधिकार मिला, स्वतंत्रता, समता, न्याय और बंधुता व हर नागरिक को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्राप्त हुआ, तथा सभी धर्मों, वर्गों जातियों को स्वतंत्र रूप से पूजा, उपासना, काम करने का अधिकार मिला, उसके साथ-साथ हमें संविधान के प्रति उत्तरदायी रहते हुए अपने कर्तव्यों का भी निर्वहन करना चाहिए, डा0 अम्बेदकर ने व्यवस्था की, आज के दिन बाबा साहेब डा0 अम्बेदकर को हम सभी देशवासी श्रद्धांजलि अर्पित करते है, उन्होंने अथक परिश्रम कर संविधान का निर्माण किया, जिससे देश का हर वर्ग लाभान्वित हुआ ।

       लेकिन आजादी के 75 वर्ष बाद ही स्थिति ऐसी बन रही है कि संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है, तथा उन्हें प्रभावित किया जा रहा है, यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है, हमारे पुरखों ने यातनाएं झेली, शहीद हुए, फांसी के फंदे को हंसते-हंसते चूम लिया, जब हम गुलामी से मुक्त हो गये तो संविधान निर्माता ने सोचा था कि देश का उपेक्षित, वंचित वर्ग भी यह अनुभव करेगा कि इस देश में मेरा भी उतना ही सम्मान है जितना प्रभु वर्ग का, लेकिन आज स्थिति बदल रही है, गरीब, कमजोर, छात्र, नवजवान, किसान, मजदूर, मंहगाई, बेरोजगारी, बेकारी की मार झेल रहा है, और उपेक्षित हो रहा है, हमें इस अवसर पर संकल्प लेना है कि हम बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेदकर द्वारा निर्मित संविधान को कमजोर नहीं होने देंगे, चाहे हमें कितना ही कष्ट झेलना पड़े, तभी मौलिक अधिकारों की रक्षा हो सकती है, अधिनायकवादी व वर्चस्ववादी ताकतों से सावधान रहने की जरुरत है, तभी हम मौलिक अधिकारों की रक्षा कर पाएंगे ।

        कार्यक्रम में प्रमुख रुप से शामिल रहे, राम दुलार यादव,  हाजी मोहम्मद सलाम, इंजी0 धीरेन्द्र यादव, शिवम् पाण्डेय, राजीव गर्ग, प्रेमचंद पटेल, शीतल यादव, हुकुम सिंह, हरिकृष्ण, रोहित यादव, साहिल, सुभाष यादव, दिलीप कुमार आदि। 


                                                                                             


                                                                                         

                                                                               

मंगलवार, 25 नवंबर 2025

अयोध्या धाम में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज के आरोहण समारोह में बोले मुख्यमंत्री, धर्म, मर्यादा, सत्य-न्याय व राष्ट्रधर्म का भी प्रतीक है श्रीराम मंदिर पर फहराता केसरिया ध्वजः मुख्यमंत्री

 




ध्वजारोहण यज्ञ की पूर्णाहूति नहीं, बल्कि नए युग का शुभारंभ हैः सीएम योगी

500 वर्षों में साम्राज्य बदले, पीढ़ियां बदलीं, लेकिन आस्था अडिग रहीः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

अयोध्या, 25 नवंबरः मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने ध्वजारोहण समारोह में अपनी बातों का आगाज सियावर रामचंद्र भगवान, माता जानकी, सरयू मैया की जय, भारत माता की जय और हर हर महादेव के उद्घोष के साथ किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही समूचा मंदिर परिसर जय-जयकार से गूंज उठा। 

आजु सफल तपु तीरथ त्यागू। आजु सुफल जप जोग बिरागू।

*सफल सकल सुभ साधन साजू। राम तुम्हहि अवलोकत आजू

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ध्वजारोहण यज्ञ की पूर्णाहूति नहीं, बल्कि नए युग का शुभारंभ है। प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर 140 करोड़ भारतीयों की आस्था, सम्मान व आत्मगौरव का प्रतीक है। सीएम योगी ने भव्य मंदिर के निर्माण में योगदान देने वाले कर्मयोगियों का भी अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि आज का पावन दिन उन पूज्य संतों, योद्धाओं, श्रीरामभक्तों की अखंड साधना-संघर्ष को समर्पित है, जिन्होंने आंदोलन व संघर्ष के लिए जीवन को समर्पित किया। विवाह पंचमी का दिव्य संयोग इस उत्सव को और भी पावन बना रहा है। 

मुख्यमंत्री-गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज के आरोहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत की उपस्थिति में अपने विचार रखे। सीएम योगी समेत सभी विशिष्टजनों ने झुककर भगवा ध्वज को प्रणाम निवेदित किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत को स्मृति चिह्न भी प्रदान किया। 

धर्म का प्रकाश अमर और रामराज्य के मूल्य कालजयी हैं

सीएम योगी ने कहा कि ध्वजारोहण उस सत्य का उद्घोष है कि धर्म का प्रकाश अमर है और रामराज्य के मूल्य कालजयी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब नेतृत्व संभाला था, उसी दिन कोटि-कोटि भारतवासियों के मन और हृदय में जिस संभावना, संकल्प व विश्वास का सूर्योदय हुआ, आज वही तपस्या, अनगिनत पीढ़ियों की प्रतीक्षा आपके कर कमलों के माध्यम से साकार होकर भव्य राम मंदिर के रूप में भारतवासियों व सनातन धर्मावलंबियों के समक्ष है। श्रीराम मंदिर पर फहराता केसरिया ध्वज धर्म, मर्यादा, सत्य-न्याय व राष्ट्रधर्म का भी प्रतीक है। यह विकसित भारत की संकल्पना का प्रतीक है। 

संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता। सभी ने 11 वर्ष में बदलते भारत को देखा है। हम नए भारत का दर्शन कर रहे हैं, जहां विकास और विरासत का बेहतरीन समन्वय है। यह इसे नई ऊंचाई प्रदान कर रहा है। सीएम योगी ने कहा कि 80 करोड़ लोगों को राशन, 50 करोड़ लोगों को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा, हर जरूरतमंद को आवास, हर व्यक्ति बिना भेदभाव शासन की योजनाओं का लाभ पा रहा है तो यह रामराज्य की वह उद्घोषणा है, जिसका आधार विकसित भारत है। 

उत्सवों की वैश्विक राजधानी बन रही अयोध्या

सीएम योगी ने कहा कि 500 वर्षों में साम्राज्य बदले, पीढ़ियां बदलीं, लेकिन आस्था अडिग रही। आस्था न झुकी, न रुकी। जन-जन का विश्वास अटल था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन के हाथों में कमान आई तो हर मुंह से एक ही उद्घोष निकलता था कि ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। लाठी गोली खाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे।‘ एक समय था, जब वैभवशाली अयोध्या संघर्ष, बदहाली का शिकार बन चुकी थी, लेकिन पीएम मोदी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में अयोध्या उत्सवों की वैश्विक राजधानी बन रही है। यहां हर दिन पर्व है, हर दान प्रताप है और हर दिशा में रामराज्य की पुनर्स्थापना की दिव्य अनुभूति हो रही है। 

रामलला की पावन नगरी आस्था व अर्थव्यवस्था के नए युग में कर चुकी है प्रवेश

सीएम योगी ने कहा कि रामलला की पावन नगरी आस्था व आधुनिकता, आस्था व अर्थव्यवस्था के नए युग में प्रवेश कर चुकी है। यहां बेहतर कनेक्टिविटी है। धर्मपथ, रामपथ, भक्ति पथ, पंचकोसी और 14 कोसी के साथ 84 कोसी की परिक्रमा श्रद्धालुओं व भक्तों को नया मार्ग व आस्था को नया सम्मान प्रदान कर रही है। महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट कनेक्टिविटी की बेहतर सुविधा उपलब्ध करा रही है। पीएम मोदी के मार्गदर्शन में अयोध्या धाम में आस्था, आधुनिकता, आस्था और अर्थव्यवस्था का नया केंद्र दिख रहा है। देश की पहली सोलर सिटी-सस्टेनबल स्मार्ट रूप में नई अयोध्या का दर्शन हो रहा है। आज का दिन हर भारतवासी, सनातन धर्मावलंबी के लिए आत्मगौरव-राष्ट्रगौरव का दिन है। 

इस अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास  महाराज, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज आदि मौजूद रहे। संचालन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विवाह पंचमी पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में किया ध्वजारोहण, सदियों के घाव भर रहे, वेदना विराम पा रही और संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहाः पीएम मोदी

 






अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैः प्रधानमंत्री

सदियों और सहस्रशताब्दियों तक यह धर्म ध्वज प्रभु राम के आदर्शों व सिद्धातों का उद्घोष करेगाः प्रधानमंत्री


अयोध्या, 25 नवंबरः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या धाम में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज के आरोहण समारोह में अपने विचार रखे। पीएम मोदी ने अपनी भावनाओं का आगाज ‘सियावर रामचंद्र की जय, जय सियाराम’ से किया। उन्होंने कहा कि आज अयोध्या भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और उत्कर्ष बिंदु की साक्षी बन रही है। आज संपूर्ण भारत व विश्व राममय है। हर रामभक्त के हृदय में अद्वितीय संतोष, असीम कृतज्ञता, अपार अलौकिक आनंद है। सदियों के घाव भर रहे हैं। सदियों की वेदना आज विराम पा रही है। सदियों का संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहा है। आज उस यज्ञ की पूर्णाहूति है, जिसकी अग्नि 500 वर्ष तक प्रज्ज्वलित रही। जो यज्ञ एक पल भी आस्था से डिगा नहीं, एक पल भी विश्वास से टूटा नहीं, आज भगवान श्रीराम मंदिर के गर्भगृह की अनंत ऊर्जा,  श्रीराम का दिव्य प्रताप इस धर्मध्वजा के रूप में दिव्यतम, भव्यतम मंदिर में प्रतिष्ठापित हुआ है। 

धर्मध्वज भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह धर्मध्वज केवल ध्वज नहीं, यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है। इसका भगवा रंग इस पर रचित सूर्यवंश की ख्याति, वर्णित ओम शब्द व अंकित कोविदार वृक्ष रामराज्य की कीर्ति को प्रतिरूपित करता है। यह ध्वज संकल्प, सफलता और संघर्ष से सृजन की गाथा है। यह ध्वज सदियों से चले आ रहे सपनों का साकार स्वरूप है। यह ध्वज संतों की साधना और समाज की सहभागिता की सार्थक परिणीति है। सदियों और सहस्रशताब्दियों तक यह धर्म ध्वज प्रभु राम के आदर्शों व सिद्धातों का उद्घोष करेगा। यह धर्मध्वज आह्वान करेगा कि जीत सत्य की ही होती है, असत्य की नहीं। धर्मध्वज उद्घोष करेगा कि सत्य ही ब्रह्म का स्वरूप है, सत्य में ही धर्म स्थापित है। यह धर्मध्वज प्रेरणा बनेगा ‘प्राण जाय पर वचन न जाई’ अर्थात जो कहा जाए, वही किया जाए। यह धर्मध्वज संदेश देगा कि ‘कर्म प्रधान विश्व रचि राखा’ अर्थात विश्व में कर्म व कर्तव्य की प्रधानता हो। धर्मध्वज कामना करेगा कि भेदभाव, पीड़ा-परेशानी से मुक्ति मिले और समाज में शांति व सुख हो।

मंदिर के ध्येय का प्रतीक है धर्म ध्वज

प्रधानमंत्री ने कहा कि धर्मध्वज संकल्पित करेगा कि हम ऐसा समाज बनाएं, जहां गरीबी, दुख या लाचारी न हो। हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि जो लोग किसी कारण मंदिर नहीं आ पाते और दूर से ध्वज को प्रणाम कर लेते हैं, उन्हें भी उतना ही पुण्य मिल जाता है। धर्म ध्वज भी मंदिर के ध्येय का प्रतीक है। य़ह ध्वज दूर से ही रामलला की जन्मभूमि के दर्शन कराएगा और युगों-युगों तक प्रभु श्रीराम के आदेशों व प्रेरणाओं को मानव तक पहुंचाएगा। पीएम मोदी ने करोड़ों रामभक्तों के साथ ही राम मंदिर निर्माण के लिए सहयोग देने वाले दानवीरों, श्रमवीरों, योजनाकारों, वास्तुकारों का आभार जताया। 

अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं

प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं। यही वह नगरी है, जहां से श्रीराम ने जीवनपथ शुरू किया था। इसी अयोध्या ने संसार को बताया कि एक व्यक्ति कैसे समाज की शक्ति व संस्कारों से पुरुषोत्तम बनता है। जब श्रीराम अयोध्या से वनवास गए तो वे युवराज राम थे, लेकिन जब लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर आए। उनके मर्यादा पुरुषोत्तम बनने में महर्षि वशिष्ठ का ज्ञान, महर्षि विश्वामित्र की दीक्षा, महर्षि अगस्त्य का मार्गदर्शन, निषादराज की मित्रता, मां शबरी की ममता, भक्त हनुमान के समर्पण के साथ ही अनगिनत लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 

भारत के सामूहिक सामर्थ्य की चेतना स्थली बन रहा है राम मंदिर का दिव्य प्रांगण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए समाज की सामूहिक शक्ति की आवश्यकता है। राम मंदिर का दिव्य प्रांगण भारत के सामूहिक सामर्थ्य की चेतना स्थली बन रहा है। यहां सप्त मंदिर, मां शबरी, निषादराज गुह्य का भी मंदिर है। यहां एक ही स्थान पर मां अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य और संत तुलसीदास हैं। रामलला के साथ-साथ इन ऋषियों के भी दर्शन यहीं होते हैं। जटायु व गिलहरी की मूर्ति भी बड़े संकल्पों की सिद्धि के लिए हर छोटे से छोटे प्रयास के महत्व को दिखाती है। 

राम भेद से नहीं, भाव से जुड़ते हैं

पीएम मोदी ने कहा कि यह मंदिर आस्था के साथ मित्रता, कर्तव्य व सामाजिक सद्भाव के मूल्यों को शक्ति देते हैं। हमारे राम भेद से नहीं, भाव से जुड़ते हैं। उनके लिए व्यक्ति का कुल नहीं, भक्ति महत्वपूर्ण है। उन्हें मोक्ष नहीं, मूल्य प्रिय है। उन्हें शक्ति नहीं, सहयोग महान लगता है। आज हम भी इसी भावना से आगे बढ़ रहे हैं। 11 वर्षों में महिला, दलित, पिछड़े, अतिपिछड़े, आदिवासी, वंचित, किसान, श्रमिक, युवा हर वर्ग को विकास के केंद्र में रखा गया है। जब देश का हर व्यक्ति, वर्ग, क्षेत्र सशक्त होगा, तब संकल्प की सिद्धि में सबका प्रयास लगेगा। 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, तब सबके प्रयास से ही हमें विकसित भारत का निर्माण करना होगा। 

हमें आने वाले दशकों व सदियों को ध्यान में रखकर कार्य करना होगा

पीएम मोदी ने कहा कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर राम से राष्ट्र के संकल्प की चर्चा करते हुए मैंने कहा था कि आने वाले एक हजार वर्षों के लिए भारत की नींव मजबूत करनी है। जो सिर्फ वर्तमान की सोचते हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय करते हैं। हमें वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के बारे में सोचना है। जब हम नहीं थे, यह देश तब भी था, जब हम नहीं रहेंगे, यह देश तब भी रहेगा। हमें दूरदृष्टि के साथ ही काम करना होगा। हमें आने वाले दशकों, सदियों को ध्यान में रखना ही होगा। 

हमें प्रभु राम के व्यवहार को करना होगा आत्मसात  

पीएम मोदी ने कहा कि हमें प्रभु राम और उनके व्यक्तित्व को सीखना होगा। उनके व्यवहार को आत्मसात करना होगा। राम यानी आदर्श, राम यानी मर्यादा, राम यानी जीवन का सर्वोच्च चरित्र, राम यानी सत्य-पराक्रम का संगम। राम यानी धर्मपथ पर चलने वाला व्यक्तित्व, राम यानी जनता के सुख को सर्वोपरि रखना, राम यानी धर्म और क्षमा का दरिया, राम यानी ज्ञान व विवेक की पराकाष्ठा, राम यानी कोमलता में दृढ़ता, राम यानी कृतज्ञता का सर्वोच्च उदाहरण, राम यानी श्रेष्ठ संगति का चयन, राम यानी विनम्रता में महाबल, राम यानी सत्य का अडिग संकल्प, राम यानी जागरूक, अनुशासित और निष्कपट मन। राम सिर्फ व्यक्ति नहीं, राम मूल्य हैं, मर्यादा हैं, दिशा हैं। 

भारत को 2047 तक विकसित व समाज को सामर्थ्यवान बनाना है तो अपने भीतर राम को जगाना है

पीएम मोदी ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित व समाज को सामर्थ्यवान बनाना है तो अपने भीतर राम को जगाना होगा। अपने भीतर के राम की प्राण-प्रतिष्ठा करनी होगी। इस संकल्प के लिए आज से बेहतर दिन नहीं हो सकता। 25 नवंबर का ऐतिहासिक दिन विरासत पर गर्व का एक और अद्भुत क्षण लेकर आया है। पीएम ने धर्मध्वज पर अंकित कोविदार वृक्ष का जिक्र किया और कहा कि यह वृक्ष उदाहरण है कि जब हम अपनी जड़ों से कट जाते हैं तो हमारा वैभव इतिहास के पन्नों में दब जाता है। जब भरत चित्रकूट पहुंचे तो लक्ष्मण जी ने दूर से ही अयोध्या की सेना को पहचान लिया। उन्होंने श्रीराम जी से कहा कि सामने जो तेजस्वी प्रकाशमय विशाल वृक्ष जैसा ध्वज दिखाई दे रहा है, वह अयोध्या की सेना का ध्वज है। उस पर कोविदार का शुभ चिह्न अंकित है। आज जब राम मंदिर प्रांगण में कोविदार फिर से प्रतिष्ठित हो रहा है तो यह केवल वृक्ष की ही नहीं, बल्कि यह हमारी स्मृति की भी वापसी है। अस्मिता का पुनर्जागरण है। हमारी स्वाभिमानी सभ्यता का पुनः उद्घोष है। कोविदार वृक्ष हमें याद दिलाता है कि जब हम पहचान भूलते हैं तो स्वयं को खो देते हैं, जब पहचान लौटती है तो राष्ट्र का आत्मविश्वास भी लौट आता है। देश को आगे बढ़ना है तो अपनी विरासत पर गर्व करना होगा। इसके साथ ही गुलामी की मानसिकता से मुक्ति भी जरूरी है। 

हमें आजादी मिली, लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं

पीएम मोदी ने कहा कि 190 साल पहले 1835 में मैकाले नामक अंग्रेज ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के बीज बोए थे। मैकाले ने भारत में मानसिक गुलामी की नींव रखी थी। 10 साल बाद 2035 में उस अपवित्र घटना को 200 वर्ष पूरे हो रहे हैं। कुछ दिन पहले मैंने आग्रह किया था कि आने वाले 10 वर्षों का लक्ष्य लेकर चलना है कि भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे। सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि मैकाले ने जो सोचा था, उसका प्रभाव व्यापक हुआ। हमें आजादी तो मिली, लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं मिली। हमारे यहां एक विकार आ गया कि विदेश की हर चीज-व्यवस्था अच्छी है। हमारी चीजों में खोट ही खोट है। गुलामी की मानसिकता ने स्थापित किया कि हमने विदेशों से लोकतंत्र लिया। कहा गया कि हमारा संविधान भी विदेश से प्रेरित है, जबकि सच यह है कि भारत लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र हमारे डीएनए में है। 

नौसेना के ध्वज से हमने गुलामी के हर प्रतीक को हटाया

पीएम मोदी ने कहा कि तमिलनाडु के उत्तरी हिस्से में उत्तीर मेरूर गांव है। वहां हजारों वर्ष पहले का शिलालेख है, जिसमें बताया गया कि उस कालखंड में भी कैसे लोकतांत्रिक तरीके से शासन व्यवस्था चलती थी और लोग कैसे सरकार चुनते थे। हमारे यहां तो मैग्नाकार्टा की प्रशंसा का ही चलन रहा। गुलामी की मानसिकता के कारण भारत की पीढ़ियों को जानकारी से वंचित रखा गया। हमारी व्यवस्था के हर कोने में गुलामी की मानसिकता ने डेरा डाला हुआ था। भारतीय नौसेना के ध्वज पर सदियों तक ऐसे प्रतीक बने रहे, जिनका हमारी सभ्यता, शक्ति, विरासत से कोई संबंध नहीं था। हमने नौसेना के ध्वज से गुलामी के हर प्रतीक को हटाया है और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को स्थापित किया। सिर्फ डिजाइन में ही बदलाव नहीं हुआ, बल्कि यह मानसिकता बदलने का क्षण था। यह घोषणा थी कि भारत अपनी शक्ति, प्रतीकों से परिभाषित होगा, न कि किसी और की विरासत से। 

अपने आप में वैल्यू सिस्टम हैं भगवान राम*

पीएम मोदी ने कहा कि आज अयोध्या में भी परिवर्तन दिख रहा है। गुलामी की मानसिकता ही है, जिसने इतने वर्षों तक रामत्व को नकारा है। भगवान राम अपने आप में वैल्यू सिस्टम हैं। ओरछा के राजा राम से लेकर रामेश्वरम् के भक्त राम तक और शबरी के प्रभु राम से लेकर मिथिला के पाहुन राम जी तक, भारत के हर घर, हर भारतीय के मन और भारत के कण-कण में राम हैं। पीएम ने तंज कसते हुए कहा कि गुलामी की मानसिकता इतनी हावी हो गई कि प्रभु राम को भी काल्पनिक घोषित किया जाने लगा। यदि हम ठान लें तो अगले 10 साल में मानसिक गुलामी से पूरी तरह मुक्ति पा लेंगे, तब जाकर ऐसी ज्वाला प्रज्ज्वलित होगी और ऐसा आत्मविश्वास बढ़ेगा कि 2047 तक विकसित भारत का सपना पूरा होने से कोई रोक नहीं पाएगा। 

1000 वर्ष के लिए भारत की नींव तभी सशक्त होगी, जब मैकाले की गुलामी के प्रोजेक्ट को हम 10 साल में ध्वस्त करके दिखा देंगे

पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले 1000 वर्ष के लिए भारत की नींव तभी सशक्त होगी, जब मैकाले की गुलामी के प्रोजेक्ट को हम अगले 10 साल में पूरी तरह ध्वस्त करके दिखा देंगे। अयोध्या धाम में रामलला का मंदिर परिसर भव्य से भव्यतम हो रहा है। अयोध्या को संवारने का कार्य लगातार जारी है। आज अयोध्या फिर से वह नगरी बन रही है, जो दुनिया के लिए उदाहरण बनेगी। त्रेतायुग की अयोध्या ने मानवता को नीति दी तो 21वीं सदी की अयोध्या मानवता को विकास का नया मॉडल दे रही है। तब अयोध्या मर्यादा का केंद्र थी, अब अयोध्या विकसित भारत का मेरूदंड बनकर उभर रही है। भविष्य की अयोध्या में पौराणिकता व नूतनता का संगम होगा, जहां सरयू जी की अमृत धारा व विकास धारा एक साथ बहेगी। यहां अध्यात्म व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का तालमेल दिखेगा। 

अयोध्यावासियों के जीवन में समृद्धता के लिए निरंतर चल रहा कार्य

पीएम मोदी ने कहा कि रामपथ, भक्तिपथ व जन्मभूमि पथ से नई अयोध्या के दर्शन होते हैं। अयोध्या में भव्य एयरपोर्ट, शानदार रेलवे स्टेशन है। वंदे भारत-अमृत भारत एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें अयोध्या को देश की अन्य जगहों से जोड़ रही है। अयोध्यावासियों को सुविधाएं मिले, उनके जीवन में समृद्धि आए, इसके लिए निरंतर कार्य चल रहा है। जबसे प्राण-प्रतिष्ठा हुई है, तबसे आज तक करीब 45 करोड़ श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आ चुके हैं। यह वो पवित्र भूमि है, जहां 45 करोड़ लोगों के चरणरज पड़े हैं। इससे अयोध्या व आसपास के लोगों की आय में वृद्धि हुई है। विकास के पैमाने में अयोध्या कभी बहुत पीछे थी, लेकिन आज यूपी के अग्रणी शहरों में एक है। 

21वीं सदी का आने वाला समय बहुत महत्वपूर्ण

पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का आने वाला समय बहुत महत्वपूर्ण है। आजादी के बाद 70 साल में भारत विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना, लेकिन पिछले 11 वर्ष में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। वह दिन दूर नहीं, जब भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। आने वाला समय नए अवसरों व नई संभावनाओं का है। इस अहम कालखंड में भी भगवान राम के विचार ही हमारी प्रेरणा बनेंगे। जब श्रीराम के सामने रावण विजय जैसा विशाल लक्ष्य था, तब उन्होंने कहा था रावण पर विजय पाने के लिए जो रथ चाहिए, शौर्य व धैर्य उसके पहिए हैं। उसकी ध्वजा सत्य व अच्छे आचरण की है। बल, विवेक, संयम व परोपकार इस रथ के घोड़े हैं। लगाम के रूप में क्षमा, दया व समता है। जो रथ को सही दिशा में रखते हैं। 

हमें वह भारत बनाना है, जो रामराज्य से प्रेरित हो

पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत की यात्रा को गति देने के लिए ऐसा ही रथ चाहिए, जिसके पहिए में चुनौतियों से टकराने का साहस और परिणाम आने तक दृढ़ता से डटे रहने का धैर्य हो। ऐसा रथ, जिसकी ध्वजा में सत्य व सर्वोच्च आचरण हो यानी नीति-नीयत व नैतिकता से कभी समझौता कभी न हो। ऐसा रथ, जिसके घोड़े बल, विवेक, संयम और परोपकार हों यानी शक्ति, बुद्धि, अनुशासन व दूसरे के हित का भाव भी हो। ऐसा रथ जिसकी लगाम क्षमा, करुणा व समभाव हो, यानी जहां सफलता का अहंकार न हो और असफलता में भी दूसरों के प्रति सम्मान बना रहे। यह पल कंधे से कंधा मिलाने, गति बढ़ाने का है। हमें वह भारत बनाना है, जो रामराज्य से प्रेरित हो। यह तभी संभव है, जब स्वयंहित से पहले देशहित होगा और राष्ट्रहित सर्वोपरि होगा। 

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास जी महाराज, कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज समेत देश-प्रदेश से आए संत व गणमान्य नागरिक आदि मौजूद रहे। संचालन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने किया।

एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ (SLLS) पर सेमिनार आयोजित हुआ





                                 मुकेश गुप्ता

 गाजियाबाद । एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ (SLLS) द्वारा  "Introduction to Criminal Procedure: From Investigation to Trial" विषय पर एक महत्वपूर्ण अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया। यह सत्र विश्वविद्यालय के SGU बिल्डिंग स्थित सेमिनार हॉल में आयोजित हुआ, जिसमें एडवोकेट समर्थ सूरी (सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया) मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समन्वय असिस्टेंट प्रोफेसर सुश्री आकांक्षा सिंह और सुश्री इस्मत हेना द्वारा किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसके बाद डॉ. हेमंत कुमार शर्मा, निदेशक, स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। Felicitation ceremony के पश्चात व्याख्यान की शुरुआत हुई, जिसमें एडवोकेट समर्थ

 सूरी ने आज की कानूनी प्रणाली में आपराधिक प्रक्रिया (Criminal Procedure) की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार विधिक प्रक्रियाएँ न्याय प्रणाली में निष्पक्षता, पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।

एडवोकेट सूरी ने आपराधिक न्याय प्रक्रिया के विभिन्न चरणों जैसे एफआईआर दर्ज करना, जाँच प्रक्रिया, सबूतों का संकलन, चार्जशीट दाखिल करना, आरोप तय करना, ट्रायल की कार्यवाही, तथा अभियोजन और बचाव पक्ष की भूमिका पर विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने वास्तविक मामलों के उदाहरणों के माध्यम से जटिल प्रक्रियात्मक नियमों को सरल तरीके से समझाया और अपराध मामलों में वकालत करते समय आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला।

व्याख्यान के दौरान छात्रों को जमानत (Bail), संगणनीय एवं असंगणनीय अपराध (Cognizable vs Non-Cognizable Offences), अभियुक्त के अधिकार, तथा "Due Process" के महत्व जैसी महत्वपूर्ण कानूनी अवधारणाओं से अवगत कराया गया। सत्र ने छात्रों को आपराधिक कानून को सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक दोनों दृष्टिकोणों से समझने के लिए प्रेरित किया।

सत्र अत्यंत संवादात्मक रहा, जिसमें विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से प्रश्न पूछे और आपराधिक प्रक्रिया से संबंधित अपनी जिज्ञासाएँ साझा कीं। सत्र के अंत में ट्रायल प्रक्रिया, जाँच में कमियों और कोर्टरूम प्रैक्टिस से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे गए, जिनका एडवोकेट सूरी ने विस्तृत और संतोषजनक उत्तर दिया।

स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ की टीम ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा निरंतर प्रोत्साहन और सहयोग के कारण ही प्रायोगिक और कौशल-आधारित कानूनी शिक्षा को बढ़ावा मिलता है। यह व्याख्यान विद्यार्थियों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक सिद्ध हुआ।

कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सुन्दर दीप एजुकेशनल सोसायटी के चेयरमैन एवं एसजीयू के कुलाधिपति  महेंद्र अग्रवाल, एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी के उपकुलाधिपति  नितिन अग्रवाल, उपाध्यक्ष  अखिल अग्रवाल, प्रो-चांसलर विमल कुमार शर्मा, प्रो-चांसलर (प्रशासन)  पियूष श्रीवास्तव, कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रसनजीत कुमार एवं रजिस्ट्रार डॉ. राजीव रतन ने सराहना की और विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।

सोमवार, 24 नवंबर 2025

एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ में पिंपरी-चिंचवड़ यूनिवर्सिटी, पुणे के छात्रों का शैक्षणिक दौरा आयोजित









                     रिपोर्ट-मुकेश गुप्ता

गाजियाबाद । एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ ने 17 नवंबर 2025 को पिंपरी-चिंचवड़ यूनिवर्सिटी, पुणे के 23 कानून विद्यार्थियों के लिए एक शैक्षणिक इमर्शन कार्यक्रम का सफल आयोजन किया। इस कार्यक्रम का समन्वयन स्कूल के निदेशक प्रो. डॉ. हेमंत कुमार शर्मा और सहायक प्रोफेसर सुश्री इस्मत हेना ने किया। कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के बीच शैक्षणिक सीख, अनुभव साझा करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था।

कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद प्रो. डॉ. हेमंत कुमार शर्मा ने स्वागत भाषण देते हुए संस्थानों के बीच सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। visiting students के सम्मान में felicitation ceremony भी आयोजित की गई।

इसके बाद लीगल क्विज प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों को एक साथ मिलाकर टीम बनाई गई,

जिससे टीमवर्क, कानूनी ज्ञान और विश्लेषण क्षमता को बढ़ावा मिला। कार्यक्रम के सांस्कृतिक सत्र में छात्रों ने अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में गीत, संगीत और नृत्य प्रस्तुत किए। इस गतिविधि ने विविधता और आपसी समझ को बढ़ाया और छात्रों के लिए एक मनोरंजक अनुभव रहा।

सहायक प्रोफेसर सुश्री सिमरन द्वारा वोट ऑफ थैंक्स देने के बाद फीडबैक सत्र हुआ, जिसमें छात्रों ने बताया कि इस कार्यक्रम ने उनके आत्मविश्वास, सीखने की प्रक्रिया और सोच में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। छात्रों ने विश्वविद्यालय की मेजबानी और पूरे आयोजन की सराहना की।

कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने विश्वविद्यालय की सुविधाओं और वातावरण को समझने के लिए कैंपस भ्रमण किया। इसके बाद सभी छात्रों को माननीय चांसलर एवं चेयरमैन श्री महेन्द्र अग्रवाल जी, माननीय वाइस चांसलर प्रो. डॉ. प्रसेनजीत कुमार जी और माननीय प्रो-वाइस चांसलर (प्रशासन) श्री पियूष श्रीवास्तव जी से मिलने का अवसर मिला। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया और बताया कि दोनों संस्थानों के बीच सहयोग आगे भी जारी रहेगा।

स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़  चांसलर एवं चेयरमैन श्री महेन्द्र अग्रवाल जी,  वाइस चेयरमैन  अखिल अग्रवाल ,  प्रो चांसलर  नितिन अग्रवाल,  वाइस चांसलर प्रो. डॉ. प्रसेनजीत कुमार जी और माननीय प्रो-वाइस चांसलर (प्रशासन)  पियूष श्रीवास्तव जी के मार्गदर्शन और समर्थन के लिए हार्दिक धन्यवाद देता है। इनके सहयोग से ही कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हो सका।

एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी आगे भी ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों को सीखने के नए अवसर और सहयोगपूर्ण वातावरण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

श्री गुरूगोबिन्द सिंह शोधपीठ, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार में दो दिवसीय राष्ट्रिय संगोष्ठी का हुआ आयोजन








श्री गुरूतेगबहादुर साहिब जी के 350 वें शहीदी दिवस पर आयोजित

*✨सिख गुरू परम्परा, धर्म, समाज, राष्ट्रीय अवधारणा पर आधारित*

समापन अवसर पर राज्यपाल, उत्तराखंड, कुलाधिपति ले० ज० गुरमीत सिंह ज एवं परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  का पावन सान्निध्य

💐अध्यक्ष, गुरूद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब समिति, ऋषिकेश, सरदार  नरेन्द्र जीत सिंह बिन्द्र , राजयमंत्री, उत्तराखंड़,  श्यामवीर सैनी , कुलपति, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार,  दिनेशचन्द्र शास्त्री , सचिव, संस्कृत शिक्षा, उत्तराखंड़,  दीपक कुमार, कुल सचिव  दिनेश कुमार, , समन्वयक डा अजय परमार जी और विशिष्ट विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति

🌸श्री गुरूतेगबहादुर साहिब जी के जीवन पर आधारित कृति का विमोचन

ऋषिकेश, 24 नवम्बर। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रतिष्ठित श्री गुरूगोबिन्द सिंह शोधपीठ में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और गौरवपूर्ण दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी श्री गुरू तेगबहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर आयोजित की गई थी, जिसका उद्देश्य सिख गुरू परंपरा, धर्म, समाज और राष्ट्रीय अवधारणा के विविध आयामों पर गहन चिंतन और शोध को प्रोत्साहित करना है।

आज समापन अवसर पर राज्यपाल, उत्तराखंड, कुलाधिपति ले० ज० गुरमीतसिंह एवं परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ।

इस संगोष्ठी में देशभर के विद्वान, शोधकर्ता, समाजसेवी और युवाओं ने सहभाग किया। कार्यक्रम के दौरान सिख गुरुओं के आदर्शों, उनके व्यक्तित्व और उनके जीवनदर्शन के विभिन्न पहलुओं पर विमर्श हुआ। संगोष्ठी का समापन श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी का पूजन, दीपप्रज्वलन एवं पारंपरिक वंदना से किया गया।

संगोष्ठी के प्रथम दिन विभिन्न सत्रों में सिख गुरू परंपरा की ऐतिहासिक धरोहर, धर्म और समाज में उनकी भूमिका, और राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने में उनके योगदान पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। शोधकर्ताओं ने प्रमाणिक स्रोतों, ग्रंथों और ऐतिहासिक दस्तावेजों के माध्यम से गुरूओं के जीवन और उनके आदर्शों को समकालीन संदर्भ में प्रस्तुत किया। उनका शौर्य, साहस और मानवता के प्रति अटूट समर्पण का स्मरण किया।

दूसरे दिन संगोष्ठी में गुरूओं की शिक्षाओं को जीवन में उतारने के मार्गदर्शन दिए गए। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय दृष्टिकोण और समाजिक जिम्मेदारी पर ध्यान केंद्रित करते हुए विचार-विमर्श हुआ कि किस प्रकार गुरुओं के आदर्श आज के समय में मार्गदर्शन कर सकते हैं।

इस संगोष्ठी का समापन अत्यंत पावन और गौरवपूर्ण क्षण रहा। माननीय राज्यपाल, उत्तराखंड, कुलाधिपति ले. ज. श्री गुरमीत सिंह जी ने गुरू श्री गुरूगोबिन्द सिंह जी एवं गुरू तेगबहादुर साहिब जी के अद्वितीय साहस और धर्मनिष्ठा को उजागर करते हुए कहा कि उनकी शहादत केवल सिख समुदाय के लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने हमें संदेश दिया कि सत्य, धर्म और मानवता के लिए किसी भी परिस्थिति में अदम्य साहस आवश्यक है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यदि भारत के पास दशमेश गुरू न होते, तो यह देश आज जैसा है, वैसा नहीं होता। उस समय जब देश का ढांचा बिखर रहा था, उन्होंने अपने और अपने परिवार का बलिदान देकर देश को संवारा, यह अद्भुत और अनमोल योगदान है। इन गुरूओं की शहादत कभी किसी सियासत, किसी रियासत या किसी व्यक्तिगत विरासत के लिए नहीं थी, उनका लक्ष्य सदैव मानवता, समरसता और सद्भाव को बनाये रखना था।

इस पावन अवसर पर स्वामी जी ने दशमेश गुरूओं और उनकी शहादत को स्मरण करते हुए कहा कि उनके किए गए बलिदानों और उनके आदर्शों को सदैव याद रखना और उनसे प्रेरणा लेना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारी यात्रा प्रतिशोध की नहीं, बल्कि शोध, समझ और सत्कर्म की यात्रा होनी चाहिए।

स्वामी जी ने सभी को स्मरण कराया कि दशमेश गुरूओं का जीवन और त्याग हमें यह सिखाता है कि सच्चा साहस और बलिदान केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए होना चाहिए। उनका जीवन हमें मानवता, नैतिकता और एकता की ओर मार्गदर्शन करता है। ऐसे महान आदर्शों का स्मरण न केवल श्रद्धांजलि का माध्यम है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को सही मार्ग दिखाने वाला प्रकाशस्तंभ भी है। गुरुओं की शिक्षाएँ केवल धार्मिक ग्रंथों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक, नैतिक और राष्ट्रीय जीवन के आदर्श भी हैं। उन्होंने कहा कि आज के युवा यदि इन आदर्शों का अनुसरण करें, तो वे न केवल अपने जीवन को दिशा दे सकते हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र को भी मजबूत और संस्कारित बना सकते हैं।

संगोष्ठी में सम्मिलित सभी विभूतियों ने गुरू तेगबहादुर साहिब जी के शौर्य, त्याग और मानवता के प्रति उनके प्रेम पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गुरू की शहादत ने हमें यह संदेश दिया कि धार्मिक सहिष्णुता, नैतिकता और मानव अधिकारों की रक्षा के लिये प्राणों का बलिदान भी कम है।

इस संगोष्ठी ने न केवल सिख गुरू परंपरा और धर्म के ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा की, बल्कि राष्ट्रीय चेतना, सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिकता के मूल्यों को भी नवीन दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। यह आयोजन श्रद्धा, ज्ञान, गौरव और गरिमा का एक अद्भुत संगम था।

यह दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी न केवल श्रद्धांजलि का माध्यम थी, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत है जो आने वाली पीढ़ियों को सिख गुरुओं के आदर्शों के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 27 नवंबर को करेंगे गुफा मंदिर का लोकार्पण, नैतिकता के बिना धार्मिकता नहीं है : आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज

 



                        रिपोर्ट - मुकेश गुप्ता

गाजियाबाद। आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नैतिकता के बिना धार्मिकता नही है, इसका तात्पर्य है कि यदि व्यक्ति के अंदर नैतिकता नही है और वह कहता है कि मैं धार्मिक हूं, और उसका चारित्रिक पतन हो चुका है तो वह कैसा धार्मिक और उसके अंदर नैतिकता नाम की चीज नही है और अपने को धार्मिक कह रहा है तो वह धार्मिक नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में मानव सेवा विलुप्त होती जा रही है। व्यक्ति वह सुनना और देखना पसंद करता है जो उसे अच्छा लगता है। मानवता की बात करने वाले मां बाप, भाई बहन, साधु संत एवम पीड़ित व्यक्तियों की सेवा नही करता है और अपने को बहुत बड़ा मानव सेवी बताता है यह मात्र दिखावा है।

जब देश में साहित्य फुटपाथ पर और जूते चप्पल कांच के शोरूम में बिकते हैं तो लोगों को साहित्य की नही जूते चप्पलों की जरूरत है। 

दुनिया में सबसे बड़ा भिखारी वह है जिसके पास भगवान के लिए समय नहीं है। आजकल लोग मंदिर में भक्त बनकर नहीं किसी भय व भगवान से मांगने के लिए ही जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम साधु संत मंदिर से मोक्ष की तरफ आगे बढ़ते है और सांसारिक जीवन घर से शमशान की ओर बढ़ता है। अगर व्यक्ति को अपना भविष्य सुधारना है तो उसको व्यर्थ चीजों को त्यागना आना चाहिए। मनुष्य हमेशा अपने कर्मो का फल भोगता है भगवान ना कुछ देते हैं और ना ही लेते हैं। अंत में उन्होंने सभी को सुभाशीष देते हुए सभी के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना की।

क्रांतिकारी संत परम पूज्य आचार्य श्री तरुण सागर जी महाराज की समाधि स्थली — तरुणसागर तीर्थ धाम, मुरादनगर (गाजियाबाद) — इन दिनों भक्ति, तप और आध्यात्मिक उल्लास से आलोकित है।

आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के पावन सान्निध्य और मुनि श्री पीयूष सागर जी महाराज के निर्देशन में यहां भगवान महोत्सव का आयोजन दिनांक 26 से 30 नवंबर 2025 तक किया जा रहा है। इस महोत्सव की विशेष आध्यात्मिक उपलब्धि के रूप में — मात्र *100 दिनों में निर्मित भव्य “गुफा मंदिर* ” का लोकार्पण 27 नवंबर 2025 को संपन्न होगा।

इस अवसर पर *उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी मुख्य अतिथि* के रूप में तरुणसागर तीर्थ धाम पधारेंगे। उनके आगमन से यह ऐतिहासिक आयोजन और भी गरिमामय एवं प्रेरणादायी रूप लेगा। धर्म, संस्कृति और राष्ट्रसेवा के प्रति उनकी अटूट निष्ठा इस पावन कार्यक्रम की भावना से पूर्णतः मेल खाती है।

यह तीर्थ केवल श्रद्धा का स्थल नहीं, बल्कि समाज उत्थान और आध्यात्मिक जागरण का केंद्र बन चुका है

 *अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज* जैन जगत के ऐसे अद्भुत साधक हैं जिन्होंने अपने जीवन में उपवास और तप का एक अलौकिक इतिहास रचा है। उन्होंने सम्मेद शिखर की उतंग पहाड़ी पर जैन परंपरा की सर्वोच्च साधना — सिंह निष्कीड़ित व्रत साधना — संपन्न की, जिसमें उन्होंने 557 दिन तक अखंड मौन एकांतवास किया और मात्र 61 दिन ही आहार ग्रहण किया। उनकी यह विलक्षण साधना उन्हें वर्तमान युग के महावीर स्वरूप संत के रूप में प्रतिष्ठित करती है।

गुरुदेव ने अपने साधनापथ को समाजसेवा से जोड़ा — उन्होंने अपने संत जीवन में 1,30,000 किलोमीटर की “ *अहिंसा संस्कार पदयात्रा”* संपन्न की, जो केवल एक यात्रा नहीं बल्कि मानवता, नैतिकता और जीवन मूल्यों के पुनर्जागरण की साधना रही। इस पदयात्रा के माध्यम से उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, गौसेवा और नैतिक जागरण के क्षेत्रों में अमूल्य योगदान दिया तथा समाज में नई चेतना का संचार किया।

उनके कार्यों की वैश्विक स्तर पर सराहना हुई है — उन्हें वियतनाम विश्वविद्यालय व गुजरात की स्वर्णिम विश्वविद्यालय द्वारा मानद “डॉक्टरेट” की उपाधि तथा ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा “भारत गौरव अवार्ड” से सम्मानित किया गया है।

आचार्य श्री का जीवन संदेश समस्त मानवता के लिए प्रेरक है

“ *जहां अहिंसा है, वहीं संस्कार हैं; और जहां संस्कार हैं, वहीं सच्चा मानव उत्थान है।”* 

इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा गुफा मंदिर का लोकार्पण न केवल एक धार्मिक आयोजन होगा, बल्कि यह आध्यात्मिकता, समाजसेवा और राष्ट्र चेतना के संगम का प्रतीक बनकर आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा।

 आज प्रेस वार्ता में मुख्य रूप से उपस्थित  सुनील जैन, निमीत जैन ,दीपेश जैन ,अरुण  जैन, संजय  जैन अजयजी जैन,त्यागी जी उपस्थित रहे।