शनिवार, 15 नवंबर 2025

एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी में "विश्व मधुमेह दिवस" पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन फार्मास्युटिकल साइंसेज स्कूल द्वारा जागरूकता एवं स्वास्थ्य संवर्धन की अनूठी पहल

 




                           मुकेश गुप्ता

गाजियाबाद ।  एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज द्वारा "विश्व मधुमेह दिवस" (World Diabetes Day) के अवसर पर 14 नवम्बर 2025 को एक विशेषज्ञ व्याख्यान (Expert Talk) का सफल आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य छात्रों और समाज में मधुमेह रोग के प्रति जागरूकता फैलाना, इसके रोकथाम के उपायों पर प्रकाश डालना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के महत्व को समझाना था।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित थे डॉ. अंकित अरोड़ा, सहायक प्रोफेसर, फार्माकोलॉजी विभाग, वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली। उन्होंने मधुमेह के कारणों, लक्षणों, उपचार विधियों और आधुनिक चिकित्सा में फार्मासिस्टों की महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उनका व्याख्यान अत्यंत प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक रहा, जिसने विद्यार्थियों में चिकित्सा विज्ञान और सामाजिक जिम्मेदारी दोनों के प्रति नई चेतना जगाई।

इस कार्यक्रम की शोभा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ नेतृत्व की उपस्थिति से और बढ़ गई। माननीय चांसलर श्री महेन्दर अग्रवाल, माननीय वाइस चेयरमैन श्री अखिल अग्रवाल, प्रो-चांसलर श्री नितिन अग्रवाल, प्रो-चांसलर (प्रशासन) श्री पीयूष श्रीवास्तव, प्रो-चांसलर (अकादमिक) श्री विमल कुमार शर्मा, माननीय कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रसेनजीत कुमार, तथा रजिस्ट्रार डॉ. राजीव रतन जैसे विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को विशेष महत्व प्रदान किया। उनकी सहभागिता ने यह सिद्ध किया कि एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता की दिशा में अग्रसर है, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी पूरी निष्ठा से निभा रही है।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन समारोह से हुआ, जो ज्ञान, सत्य और नवाचार का प्रतीक है। इसके उपरांत प्रो. (डॉ.) शालिनी शर्मा, निदेशक, स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज, ने सभी गणमान्य अतिथियों, प्राध्यापकों और विद्यार्थियों का स्वागत किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने विश्व मधुमेह दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह दिवस हर वर्ष 14 नवम्बर को मनाया जाता है, जो सर फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिन की स्मृति में मनाया जाता है वही वैज्ञानिक जिन्होंने इंसुलिन की खोज की थी। उन्होंने कहा कि यह दिवस हमें इस तथ्य की याद दिलाता है कि मधुमेह अब एक वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है और इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए शिक्षा, जागरूकता और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है।

डॉ. शर्मा ने वर्ष 2025 की थीम "डायबिटीज एंड वेलबीइंग" (मधुमेह और कल्याण) का परिचय कराया और बताया कि मधुमेह का प्रबंधन केवल दवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक संतुलन का भी उतना ही महत्व है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव नियंत्रण, और सकारात्मक सोच को अपनाकर न केवल मधुमेह बल्कि अनेक जीवनशैली-जनित रोगों से बचा जा सकता है।

इसके बाद रजिस्ट्रार डॉ. राजीव रतन ने प्रेरणादायक संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों की सक्रिय भागीदारी विश्वविद्यालय की सशक्त शैक्षणिक संस्कृति को दर्शाती है। डॉ. रतन ने इस बात पर बल दिया कि आज के समय में फार्मासिस्ट केवल दवाओं के प्रदायक नहीं, बल्कि समाज के सच्चे स्वास्थ्य सलाहकार हैं। वे रोगियों को न केवल सही औषधि उपयोग के लिए मार्गदर्शन करते हैं, बल्कि उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे समाज में स्वास्थ्य जागरूकता के दूत बनें और अपने पेशेवर ज्ञान को सामाजिक कल्याण के साथ जोड़ें।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा डॉ. अंकित अरोड़ा का विस्तृत और सारगर्भित व्याख्यान। उन्होंने मधुमेह को एक दीर्घकालिक मेटाबोलिक विकार के रूप में समझाते हुए बताया कि यह रोग इंसुलिन की कमी या इंसुलिन के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के कारण उत्पन्न होता है, जिससे रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है। उन्होंने टाइप-1, टाइप-2, गर्भावधि (Gestational) और द्वितीयक (Secondary Diabetes) जैसे विभिन्न प्रकारों का वैज्ञानिक विवरण प्रस्तुत किया और इनके कारण, जोखिम कारक और दीर्घकालिक जटिलताओं पर विस्तार से चर्चा की।

डॉ. अरोड़ा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत आज "डायबिटीज़ कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड" के रूप में उभर रहा है। उन्होंने युवाओं को चेताया कि बदलती जीवनशैली, असंतुलित आहार, और शारीरिक निष्क्रियता इस रोग के प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में इस विषय पर जागरूकता फैलाना समय की मांग है ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ जीवन जी सके।

उन्होंने मधुमेह के औषधीय (Pharmacological) और गैर-औषधीय (Non-Pharmacological) उपचारों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इंसुलिन एनालॉग्स, सल्फोनाइल यूरियाज, बिगुआनाइड्स, थायाजोलिडीनडायोन्स, DPP-4 इनहिबिटर्स तथा SGLT-2 इनहिबिटर्स जैसी औषधियों की कार्यविधि, उपयोगिता और दुष्प्रभावों को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह

दी कि वे नवीनतम चिकित्सा अनुसंधानों से स्वयं को अद्यतन रखें और रोगी केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाएं।

डॉ. अरोड़ा ने मधुमेह से जुड़ी मनोवैज्ञानिक चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मधुमेह जैसे दीर्घकालिक रोग न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि मधुमेह रोगियों में तनाव, चिंता और अवसाद आम समस्याएं हैं, जो उपचार की प्रभावशीलता को घटा सकती हैं। इसलिए रोगी की समग्र देखभाल में परिवार, चिकित्सक, परामर्शदाता और समाज सभी की भूमिका महत्वपूर्ण है।

व्याख्यान के अंत में आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में विद्यार्थियों ने अनेक जिज्ञासापूर्ण प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर डॉ. अरोड़ा ने वैज्ञानिक तथ्यों के साथ अत्यंत सरल और स्पष्ट रूप में दिया। विद्यार्थियों ने नई दवाओं, इंसुलिन डिलीवरी तकनीकों और मधुमेह अनुसंधान के नवीन क्षेत्रों के बारे में विशेष रुचि दिखाई।

 कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रसेनजीत कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि फार्मास्युटिकल साइंसेज स्कूल द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसके तहत वह शैक्षणिक उत्कृष्टता और सामाजिक उत्तरदायित्व दोनों को समान महत्व देता है। उन्होंने विभाग के शिक्षकों और छात्रों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक अनुभव से जोड़ने का अवसर प्रदान करते हैं और उन्हें भविष्य के संवेदनशील एवं नवोन्मेषी स्वास्थ्य पेशेवर बनने के लिए प्रेरित करते हैं।

कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ. बबीता अग्रवाल, डॉ. जसप्रीत कौर, नेहा रावत, अंकुर श्रीवास्तव स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज द्वारा किया गया। समापन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन सुश्री पलक हिंडवाल, सहायक प्रोफेसर द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने मुख्य अतिथि, विश्वविद्यालय प्रशासन, आयोजन समिति और छात्रों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन इस भावना के साथ हुआ कि "विश्व मधुमेह दिवस 2025' केवल एक शैक्षणिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है, जिसने छात्रों में जागरूकता, सहानुभूति और समाज के प्रति दायित्व का भाव जगाया। इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी अपने विद्यार्थियों को केवल शिक्षा ही नहीं देती, बल्कि उन्हें मानवता की सेवा के प्रति समर्पित, संवेदनशील और सशक्त नागरिक बनाती है।

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