मुकेश गुप्ता
आरटीई के दाखिले नहीं लेने वाले स्कूलो की मान्यता रद्द करे शिक्षा विभाग - आईपीए
गाजियाबाद । प्रदेश का बेसिक शिक्षा विभाग जहा हर साल निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम ( आरटीई) के तहत चयनित बच्चो के शत प्रतिशत दाखिले कराने के वादे का दावा करता है वहीं प्रदेश के निजी स्कूल इन दावों की पोल अपने अंदाज में ही खोलते है जिसका उदाहरण हमें जिला गाजियाबाद में देखने को मिलता है जिसमें सूचना का अधिकार अर्थात (आरटीआई) के माध्यम से आरटीई के दाखिलों को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है जिले के 30 नामी बड़े बड़े स्कूलों ने आरटीई के दाखिले नहीं लिए जिनमें डीपीएस, वसुंधरा , डीपीएस,मेरठ रोड , गुरुकुल दा स्कूल , क्रॉसिंग एवं डसना रोड , खेतान वर्ल्ड स्कूल , मेरठ रोड ,उत्तम स्कूल फॉर गर्ल्स, शास्त्रीनगर, देहरादून पब्लिक स्कूल, गोविंदपुरम , डीपीएस, इंदिरापुरम, चिल्ड्रन एकेडमी स्कूल , विजय नगर , जीडी गोयनका स्कूल ,शक्ति खंड , इंदिरापुरम , जेकेजी इंटरनेशनल स्कूल,विजय नगर,सन वैली इंटरनेशनल स्कूल, वैशाली , श्रीराम यूनिवर्सल स्कूल , लोनी,
डीएलएफ पब्लिक स्कूल, राजेंद्र नगर , ओम सन पब्लिक स्कूल , मुरादनगर, जिंदल पब्लिक स्कूल, के आर मंगलम वर्ल्ड स्कूल, वैशाली , एवरेस्ट पब्लिक स्कूल, साहिबाबाद , आदि के बड़े बड़े नाम शामिल है आईपीए की अध्यक्ष सीमा त्यागी ने बताया कि निजी स्कूलों द्वारा हर साल हजारों बच्चो को आरटीई के अंतर्गत चयनित होने के बाद भी शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया जाता है कार्यवाई के नाम पर बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा ऐसे स्कूलों को नोटिस और चेतावनी भेजकर खानापूर्ति तो की जाती है लेकिन मान्यता रद्द करने जैसी सख्त कार्यवाई सुनिश्चित नहीं की जाती यही कारण की जिले और प्रदेश के निजी स्कूल आरटीई अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आ रहे इस वर्ष जिले मे 5 जोन के अतर्गत आरटीई के दायरे मे आने वाले स्कूलों की संख्या लगभग 1206 रही और इनमें कुल सीटों की संख्या लगभग 19666 थी इन 19666 सीटों के लिए आरटीई के दाखिलों की प्रक्रिया के चार चरण दिसंबर 2024 से प्रारंभ हुआ और अंतिम यानि चौथा चरण मार्च माह में समाप्त हुआ इन 4 चरणों में लाटरी के माध्यम से लगभग 6306 बच्चो का चयन हुआ अगर हम स्कूलों की संख्या और इनमें चयनित बच्चो के आंकड़ों पर गौर करे तो 19666 सीटों के तहत लगभग 6306 बच्चो का चयन दाखिलों के लिए हुआ जिसके बाद जिले में कुल 13360 सीटों के आस पास सीटे खाली रह गई जिनको भरने के लिए ना तो जिला प्रशासन और ना ही जिला बेसिक शिक्षा विभाग के पास कोई ठोस प्लान रहा 13360 सीटे खाली रहने का मतलब है कि जिले के 13000 से ज्यादा बच्चों का शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित रह जाना । अब आप जिला बेसिक शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली को देखिए कि जिन 6306 बच्चो का चयन दिसंबर माह से चली चार चरणों की लाटरी के तहत हुआ था लेकिन नवंबर माह तक केवल 4407 बच्चो का ही दाखिला ही सुनिश्चित कराया जा सका है यह आंकड़ा खुद बेसिक शिक्षा विभाग के हवाले से मौखिक रूप से दिया गया है अगर हम इन आंकड़ों को सत्य माने तो अभी भी लगभग 1800 से ज्यादा बच्चे दाखिले से वंचित रह गए । अब नए शिक्षा सत्र के लिए आरटीई के दाखिलों की प्रक्रिया नई उम्मीद के साथ शुरू होने वाली है इंडियन पेरेंट्स एसोसिएशन के महासचिव महिपाल रावत ने कहा कि हम उम्मीद करते है कि इस बार बेसिक शिक्षा विभाग आरटीई के शत प्रतिशत दाखिले सुनिश्चित करा किसी भी बच्चे को शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं होने देगा ।
सौजन्य से - इंडियन पेरेंट्स एसोसिएशन

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