सत्ता बन्धु
✨सुजलम भारत की दिशा मे एक पहल*
*🌺 अनिल सिंह, मनोज पाण्डेय, संकेत चतुर्वेदी, अजय गुप्ता का महत्वपूर्ण योगदान
*🌺जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले जल योद्धाओं को जल प्रहरी सम्मान से किया पुरस्कृत
*💥राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक बालासाहब देवरस की जयंती एवं सुप्रसिद्ध सितार वादक पं रविशंकर जी की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि
*🌺संयुक्त राष्ट्र बाल कोश दिवस की हार्दिक बधाई व ढेर सारी शुभकामनायें
*🌺इंटरनेशनल माउंटेन डे पर आइए संकल्प लें -पर्वतों की रक्षा ही भविष्य की रक्षा
*✨पर्वत बचेंगे तो मानवता बचेगी-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
दिल्ली/ऋषिकेेश, 11 दिसम्बर। दिल्ली में नमामि गंगे और अन्य संस्थाओं द्वारा विशिष्ट अतिथियों के पावन सान्निध्य में आयोजित जल प्रहरी 2025 पहल राष्ट्र निर्माण, प्रकृति संरक्षण और मानवता का उत्थान का एक दिव्य आह्वान है।
आज छठे संस्करण “जल प्रहरी 2025” का शुभारंभ परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, विश्वप्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानन्द सरस्वती के सान्निध्य एवं मार्गदर्शन में हुआ। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री, सीआर पाटिल और हेस्को के संस्थापक पर्यावरणविद पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी जी सहित अनेक माननीय मंत्रियों एवं माननीय सांसदों की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ।
यह अभियान केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जल-जागरण का एक सशक्त राष्ट्रीय आंदोलन है, जो भारत को “सुजलम-सुफलम, हरित-पवित्र” बनाने की दिशा में अबाध गति से आगे बढाने का एक दिव्य अभियान है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि जल केवल तत्व नहीं, जीवन का प्रथम मंत्र और धरती का प्राण है। जब तक जल सुरक्षित नहीं होगा, तब तक जीवन, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और सभ्यता सुरक्षित नहीं हो सकती।
स्वामी जी ने कहा कि स्वच्छता, सेवा, संवेदना और प्रकृति, संरक्षण हमारे राष्ट्रीय कर्तव्य हैं, जिन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए निभाना अनिवार्य है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोश दिवस पर स्वामी जी ने कहा कि बच्चे राष्ट्र का भविष्य हैं, और पानी भविष्य का जीवन। यदि हम बच्चों को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध भविष्य देना चाहते हैं, तो जल संरक्षण सबसे पहली जिम्मेदारी है। जल को बचाना केवल पर्यावरण का कार्य नहीं, बल्कि बच्चों के अधिकारों और भविष्य की सुरक्षा का कार्य है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत तब सुजलम होगा जब हर नागरिक जल का प्रहरी बनेगा। जब हम नदियों को मां समझकर उनका सम्मान करेंगे। जब हम प्रकृति को उपभोग नहीं, उपासना मानेंगे। उन्होंने सभी देशवासियों से आह्वान किया कि जल की हर बूंद में जीवन है।
जब घर में पानी कम होता है तो हम घबरा जाते हैं, लेकिन जब धरती का पानी कम हो रहा है तो हम चुप हैं। यही हमारी सबसे बड़ी भूल है। जल संकट केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर प्रश्न है। खेतों की हरियाली से लेकर शहरों की रोशनी तक, सबका मूल आधार जल है। यदि जल खत्म हुआ, तो जीवन, विकास, व्यापार, कृषि सब समाप्त हो जाएगा इसलिए आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक “जल प्रहरी” बने, एक ऐसा संरक्षक जो हर बूंद की रक्षा का संकल्प ले।
पंडित रविशंकर जी, संगीत, संस्कार और विश्व संस्कृति के सेतु थे। उनका जीवन भारतीय संगीत की आध्यात्मिकता, शुचिता और विश्व-बंधुत्व का अद्भुत उदाहरण था। उनके संगीत ने पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति की अनंत गहराई और सौंदर्य का संदेश दिया।
श्री बालासाहब देवरस जी राष्ट्रजीवन के ऐसे उज्ज्वल दीप थे, जिन्होंने संगठन, सेवा और समर्पण को जीवन का आधार बनाया। उन्होंने समाज को जोड़ने, जागृत करने और राष्ट्रहित के लिए खड़ा करने की अद्भुत शक्ति जगाई। देवरस जी का विश्वास था कि सेवा ही सबसे बड़ा साधना मार्ग है और संगठित समाज ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। ग्रामीण विकास, सामाजिक समरसता, शिक्षा और संस्कार के क्षेत्रों में उनकी दृष्टि कालातीत है। उनका जीवन संदेश देता है कि राष्ट्रभक्ति का वास्तविक अर्थ कर्तव्य, अनुशासन और सतत समाज-सेवा है।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी. आर. पाटिल जी ने अपने संबोधन में सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जल संरक्षण, जल प्रबंधन और स्वच्छ जल उपलब्धता केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से है। उन्होंने जल जीवन मिशन, नमामि गंगे, अटल भू-जल योजना, कैंपेन फॉर वॉटर कंजर्वेशन जैसी योजनाओं के प्रभाव और प्रगति पर प्रकाश डाला। पाटिल जी ने कहा कि इन पहलों ने ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचाने, नदियों को पुनर्जीवित करने और भूजल स्तर सुधारने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने सभी नागरिकों से जल संरक्षण को राष्ट्रीय कर्तव्य के रूप में अपनाने का आह्वान किया।
हेस्को के संस्थापक, पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी जी ने इंटरनेशनल माउंटेन डे के अवसर पर कहा कि पर्वत केवल भू-आकृति नहीं, बल्कि जल, जंगल, जैव-विविधता और मानव जीवन के आधार स्तंभ हैं। अनियंत्रित निर्माण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण पर्वतीय पारिस्थितिकी गंभीर संकट में है। डॉ. जोशी जी ने कहा कि हिमालय जैसे पर्वत हमारी नदियों के स्त्रोत हैं और इनका संरक्षण सीधे मानव अस्तित्व से जुड़ा है। उन्होंने स्थानीय समुदायों, युवाओं और सरकार को पर्वतीय क्षेत्रों की असली जरूरतों को समझकर इको-फ्रेंडली विकास मॉडल अपनाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर सभी माननीय मंत्रियों और माननीय सांसदों ने जल प्रहरी कार्यक्रम के अवसर पर अपने विचार, सुझाव व जल संरक्षण पर विलक्षण विचार रखे।
नमामि गंगे, दिल्ली मेट्रो, इन्डियन आयल, हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड, सिंघानिया यूनिवर्सिटीज़, एफ एच एंड आर ए, हर घर जल, जल जीवन मिशन, एएफसीओउनएस, अमर उजाला, सीईईडब्ल्यू, ब्रांड्स टू लाइफ आदि अनेक संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित जल प्रहरी 2025 एक दिव्य पहल।




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