सोमवार, 8 दिसंबर 2025

बोधि दिवस पर भगवान बुद्ध की साधना को नमन, बोधि दिवस स्मरण कराता है कि जब भीतर प्रकाशित होता है, तो पूरा जीवन करुणा, शांति और सत्य की ज्योति से आलोकित हो उठता है-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


                               सत्ता बन्धु

देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत जी की पुण्यतिथि पर परमार्थ निकेतन से विनम्र श्रद्धांजलि

ऋषिकेश, 8 दिसम्बर। देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत जी की पुण्यतिथि पर उन्हें परमार्थ निकेतन से विनम्र श्रद्धांजलि। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राष्ट्ररक्षा के प्रति उनका अदम्य साहस, अटूट निष्ठा और शौर्यपूर्ण नेतृत्व भारत माता के गौरव का उज्वल अध्याय है। उनकी प्रेरणा, उनका वीरत्व और उनका राष्ट्रभक्त हृदय आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र भक्ति का अनुपम संदेश देता रहेगा । भारत उनकी अमर सेवा को कृतज्ञता पूर्वक सदैव याद करता रहेगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज का पावन दिन बोधि दिवस मानव इतिहास के उन श्रेष्ठतम क्षणों में से एक है जिस दिन मानवता को अद्वितीय आलोक, करुणा और जागृति का संदेश प्राप्त हुआ। आज के ही दिन सिद्धार्थ गौतम ने बोधगया की पवित्र भूमि पर पीपल वृक्ष के नीचे गहन ध्यान की अवस्था में ‘बोधि’, अर्थात् परम ज्ञान प्राप्त किया और भगवान बुद्ध के रूप में विश्व को अहिंसा, शांति, मैत्री और मध्यममार्ग का एक नया पथ दिखाया।

बोधि दिवस हमें स्मरण कराता है कि जागृति कोई दिव्य चमत्कार नहीं, बल्कि एक गहन आंतरिक क्रांति है। यह वह क्षण है जब हम अपने भीतर छिपे सत्य को पहचानते हैं, अज्ञान के अंधकार को दूर करते हंै और करुणा को अपना मार्गदर्शक बनाते हैं। भगवान बुद्ध का जीवन हमें संदेश है कि सत्य की प्राप्ति बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि अपने ही भीतर गहराई में उतरने पर होती है।

आज मानव समाज अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है, अशांति, तनाव, हिंसा, भेदभाव, पर्यावरण संकट और निरंतर बढ़ती हुई मानसिक अस्थिरता। ऐसे समय में भगवान बुद्ध का संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो जाता है। उनका उपदेश है,“अप्प दीपो भव” स्वयं अपना दीपक बनो। यही संदेश आज की पीढ़ी के लिए आशा का सबसे सशक्त आधार है। बोधि दिवस हमें प्रेरित करता है कि हम भीतर की रोशनी को जगाएँ और अपने विचारों, वचनों और कर्मों के माध्यम से दुनिया को उजाला दें।

भगवान बुद्ध का दर्शन केवल धार्मिक उपदेश नहीं, बल्कि व्यावहारिक जीवन-पथ है। उनकी सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी और सम्यक कर्म का मार्ग जीवन को संतुलन प्रदान करता है। उन्होंने संसार को दिखाया कि सच्चा धर्म वह है जो मानवता को जोड़ता है, मन को शांत करता है और जीव-जगत के प्रति करुणा का भाव जगाता है। आज जब समाज में विभाजन और कटुता की घटनाएँ बढ़ रही हैं, बुद्ध का शांतिपूर्ण संदेश हमें आपसी सद्भाव और वैश्विक बंधुत्व की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाता है।

बोधगया की वह पुण्यभूमि आज भी विश्व भर के साधकों के लिए प्रेरणा का केंद्र है। अनेको साधक वहां जाकर ध्यान, मौन और आत्मचिंतन के माध्यम से आंतरिक शांति का अनुभव करते हैं। भगवान बुद्ध की शिक्षाओं ने विश्व के अनेकों देशों की संस्कृति, कला, साहित्य, व्यवहार और नीति-निर्माण को गहराई से प्रभावित किया है। भारत की गौरवशाली संस्कृति में जिन मूल्य-परंपराओं का गौरव है, अहिंसा, सत्य, सेवा और करुणा उन सभी का सुन्दर समन्वय हमें भगवान बुद्ध के दर्शन में मिलता है। इस दृष्टि से बोधि दिवस एक शाश्वत प्रकाश का दिवस है।

आज के दिन हम सभी अपनी जीवन यात्रा पर एक क्षण ठहरकर चिंतन करें। क्या हम अपनी प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित कर पा रहे हैं? क्या हम अपने भीतर क्रोध, लोभ और भ्रम को कम कर रहे हैं? क्या हम अपने आसपास के लोगों के प्रति दया, धैर्य और समझ को बढ़ा रहे हैं? यदि नहीं, तो बोधि दिवस हमें यह संकल्प लेने का अवसर देता है कि हम अपने भीतर बुद्धत्व की उस चिंगारी को प्रज्वलित करें जो हम सबमें संभावित रूप से विद्यमान है।

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