रिपोर्ट--मुकेश गुप्ता
गाजियाबाद । तुलसी निकेतन योजना के व्यापक पुनर्विकास के लिए आज गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम जीडीए के उपाध्यक्ष नंद किशोर कलाल के नेतृत्व में संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्राधिकरण के सचिव तथा एनबीसीसी के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
इस परियोजना को दो चरणों में लागू किया जाएगा—पहला चरण 8 सप्ताह की व्यवहार्यता (Feasibility) अध्ययन अवधि का होगा, जिसके पश्चात चयनित भू-भागों पर 3 वर्षों की विकास अवधि निर्धारित की गई है। एनबीसीसी, जो भारत सरकार का नवरत्न केंद्रीय सार्वजनिक उद्यम है, इस परियोजना में परियोजना प्रबंधन सलाहकार (PMC) की भूमिका निभाएगा तथा योजना निर्माण से लेकर परियोजना कार्यारंभ तक पूर्ण तकनीकी व प्रशासनिक सहयोग प्रदान करेगा।
प्राधिकरण उपाध्यक्ष कलाल ने स्पष्ट किया कि पुनर्विकास कार्य पर किसी भी प्रकार का आर्थिक बोझ न तो प्राधिकरण पर पड़ेगा न ही आवंटियों पर। पूरी परियोजना पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर क्रियान्वित की जाएगी।
तुलसी निकेतन योजना वर्ष 1990 में विकसित की गई थी, जहां वर्तमान में 2,292 फ्लैट, 60 दुकानें और लगभग 20,000 से अधिक निवासी हैं। योजना के 2004 ईडब्ल्यूएस तथा 288 एलआईजी मकानों को आधुनिक सुविधाओं के साथ पुनर्विकसित किया जाएगा। जीडीए निजी विकासकर्ताओं के साथ मिलकर 16 एकड़ क्षेत्र में नई बहुमंजिला आवासीय इमारतें स्थापित करेगा। जीडीए द्वारा कराए गए सर्वे में कई भवनों की स्थिति जर्जर और निवास हेतु असुरक्षित पाई गई थी, जिसे ध्यान में रखते हुए यह पुनर्विकास प्रक्रिया आरंभ की जा रही है।
यह सहयोग तुलसी निकेतन के निवासियों के जीवन स्तर में अभूतपूर्व सुधार लाएगा, आधारभूत संरचना को मजबूत करेगा तथा गाजियाबाद में आधुनिक, टिकाऊ और नागरिक-केंद्रित शहरी विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।



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